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    सोनभद्र में खनन हादसे में नामजद एफआईआर के बावजूद अभी तक एक भी गिरफ्तारी नहीं : अजय राय

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Fri, 21 Nov 2025 03:35 PM (IST)

    सोनभद्र में खनन हादसे को लेकर कांग्रेस नेता अजय राय ने सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि नामजद एफआईआर के बावजूद कोई गिरफ्तारी नहीं हुई, जिससे सरकार की निष्क्रियता उजागर होती है। राय ने सरकार पर खनन माफियाओं को बचाने का आरोप लगाया है। 

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    चंदौली में कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष अजय राय ने सोनभद्र हादसे में कार्रवाई को लेकर सवाल खड़ा क‍िया है।

    जागरण संवाददाता, सोनभद्र/चंदौली। सोनभद्र में खनन हादसे के एक सप्ताह बाद भी ज‍िला पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न होना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। पुलिस की कार्यशैली को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है। अब कांग्रेस ने हीलाहवाली पर पर पुल‍िस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। 

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    शुक्रवार को चंदौली में एक कार्यक्रम में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में जंगल राज का माहौल है। उन्होंने कहा कि हाल ही में सोनभद्र में खनन माफियाओं के कारण कई लोगों की जान चली गई, लेकिन नामजद एफआईआर के बावजूद अब तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस मामले में बीते सोमवार को भाजपा नेता रवींद्र जायसवाल ने भी आरो‍प‍ित के क‍िसी भी दल का करीबी होने पर भी कार्रवाई की बात कही थी। लेक‍िन पुल‍िस की सुस्‍त कार्यप्रणाली ने अब व‍िपक्ष को मौका दे द‍िया है। 

    बिल्ली-मारकुंडी पत्थर खदान में चला रेस्क्यू अभियान में शन‍िवार को हादसे के बाद बीते द‍िनों एनडीआरएफ की दो टीमों ने, जिसमें 35-35 सदस्य थे, आठ-आठ घंटे की शिफ्ट में काम करते हुए फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने का प्रयास किया। हालांकि, इस दौरान कोई भी व्यक्ति जीवित नहीं मिला। इस लंबे अभियान में जवानों की थकान, मौसम की चुनौतियों और भारी मलबे के बीच केवल एक ही लक्ष्य था - किसी भी रूप में जिंदगी की तलाश करना।

    68 घंटे तक चले इस प्रयास के दौरान टीमों ने बारी-बारी से शिफ्ट बदलते हुए काम किया, ताकि खोज का प्रयास धीमा न पड़े। रात के समय भी लाइटिंग सिस्टम, जनरेटर और विशेष उपकरणों के सहारे अभियान जारी रहा। प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहकर पूरे ऑपरेशन की निगरानी करते रहे और हर घंटे प्रगति की समीक्षा की।

    अभियान की शुरुआत 15 नवंबर की शाम छह बजे हुई। ड्रिलिंग के दौरान खदान का एक बड़ा चट्टान अचानक खिसक गया, जिससे कुछ लोग फंस गए। इस घटना ने प्रशासन को अलर्ट कर दिया। एनडीआरएफ की विशेष टीमें मौके पर पहुंचीं और तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। अभियान को सुरक्षित और तेज बनाने के लिए प्रशिक्षित डॉग स्क्वाड भी लगाया गया, जिन्होंने लाइफ डिटेक्शन की कोशिश की।

    रेस्क्यू टीमों के सामने सबसे बड़ी चुनौती भारी और खिसकते पत्थरों का ढेर था। पत्थर का पहाड़ इतना बड़ा था कि दो बार पूरा मलबा हटाना पड़ा। हर बार यह प्रक्रिया जोखिम भरी थी, लेकिन जवानों ने सुरक्षा उपकरणों और मशीनों की मदद से सतर्कता से कार्य जारी रखा। कई मौकों पर टीम के सदस्यों ने एक-दूसरे की जान बचाते हुए खतरनाक हिस्सों को सुरक्षित किया।