Ganga Flood: शुक्लागंज में गंगा खतरे से 22 सेमी. ऊपर, 30 मुहल्लों में बाढ़, 25 हजार की आबादी प्रभावित
UP Flood उन्नाव के शुक्लागंज में गंगा नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है जिससे 30 से अधिक मोहल्ले जलमग्न हो गए हैं और लगभग 25 हजार लोग प्रभावित हैं। घरों में पानी भरने से लोग कैद हो गए हैं। प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों के लिए नावें और राहत शिविर लगाए हैं।

संवाद सहयोगी, जागरण, शुक्लागंज। गंगा नदी के विकराल रूप ने शुक्लागंज के 30 से अधिक मुहल्लों में कहर बरपा दिया है। जलस्तर खतरे के निशान से 22 सेंटीमीटर ऊपर पहुंच चुका है। जिससे करीब 25 हजार की आबादी बुरी तरह से प्रभावित है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के घरों के बेसमेंट और पहली मंजिल तक पानी भर गया है। जिससे अपने ही घरों में यहां रहने वाले लोग कैद होकर रह गए हैं।
गंगा में आई बाढ़ से गंगा बैराज की ओर हरिहरपुर व फत्तेखेड़ा और नेतुआ चंपापुरवा संपर्क मार्ग पर सड़क डूबने से कई गांव का आवागमन ठप हो गया है। गंगा कटरी व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों बीघा सब्जी व धान की फसल डूब गई हैं।
केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, बीते मंगलवार शाम छह बजे गंगा का जलस्तर 113.210 मीटर था। जो अगले 21 घंटों में काफी धीमी गति से एक सेंटीमीटर बढ़कर बुधवार अपरान्ह तीन बजे तक 113.220 मीटर हो गया है। शुक्लागंज में खतरे का निशान 113.000 मीटर है। जिससे साफ है कि गंगा अपने विकराल रूप के साथ खतरे से 22 सेंटीमीटर ऊपर बह रही हैं।
वहीं, दूसरी ओर बाढ़ के प्रकोप से निपटने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के आवागमन के लिए प्रशासन ने 85 नावें लगाई हैं। इन नावों के सहारे ही लोग रोजमर्रा के जरूरी काम के लिए बाहर निकल पा रहे हैं। लेखपाल अशोक सैनी ने बताया कि हालात की गंभीरता को देखते हुए शुक्लागंज में बाढ़ से प्रभावित लगभग सभी क्षेत्रों में पर्याप्त संख्या में नावें उपलब्ध कराई गई हैं। ताकि किसी को भी कोई असुविधा न हो सके।
अप्रिय घटनाओं से बचाव के लिए गोताखोरों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में चारों ओर सतर्क कर दिया गया है। बाढ़ के कारण कई बस्तियों में भी अब पानी जाने लगा है। जलस्तर में लगातार बढ़ोत्तरी से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोगों को खाने-पीने और रोजमर्रा की चीजों के लिए भी भारी मशक्कत करनी पड़ रही है।
कई स्थानों पर तो सीढ़ी लगाकर लोग घरों में आ-जा रहे हैं। क्योंकि नीचे बाढ़ का पानी भरा हुआ है। प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं के साथ स्वास्थ्य विभाग स्थानीय लोगों की मदद के लिए राहत कार्य करने में जुटे हैं। लेकिन गंगा के बढ़ते जलस्तर ने सभी की चिंता बढ़ा दी है। यहां के रहने वाले लोगों का कहना है कि जलस्तर कम होने के बाद ही उन्हें राहत की सांस मिल सकेगी।
शुक्लागंज के यह नगरीय व ग्रामीण क्षेत्र हैं बाढ़ प्रभावित
श्रीनगर, गंगानगर, मालवीयनगर, सीताराम कालोनी, मनोहरनगर, बालूघाट, शक्तीनगर, इंदिरानगर, बहादुर बगिया, रविदासनगर, आलमनगर, चंपापुरवा, गोताखोर, गायत्रीनगर भातूफार्म, करबला, हुसैननगर, शाहीनगर, नेतुआ, पोनीरोड, राजीवनगर खंती के पीछे, अंबिकापुरम, रामकली स्टेडियम के पास, आजादनगर, शारदानगर झोपड़पट्टी हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में पोनी गांव, गड़रियन पीपरखेड़ा, गगनीखेड़ा, गजियाखेड़ा, निहालखेड़ा, बदुआखेड़ा, गुर्रीपुरवा, झब्बूपुरवा, बिजलामऊ, पीपरखेड़ा, फत्तेखेड़ा, गगनीखेड़ा, नेतुआ समेत जाजमऊ के रतिरामपुरवा, इकलाखनगर, 16 बीघा आदि क्षेत्र शामिल हैं।
शुक्लागंज में बने तीन बाढ़ राहत शिविर
नगर में बाढ़ पीड़ितों को राहत देने के लिए तीन बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं। लेखपाल अशोक सैनी ने बताया कि नगर में फिलहाल अभी ऊपर दिए गए यह तीन बाढ़ राहत शिविर बनाए गए हैं। इन केंद्रों में बाढ़ पीड़ित अपने परिवार के साथ शरण ले सकते हैं।
- राजधानी मार्ग स्थित ओपीजेडी इंटर कालेज बाढ़ राहत शिविर
- गोताखोर मुहल्ले स्थित बरातशाला
- मिश्रा कालोनी स्थित नवीन बाढ़ चौकी
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