Updated: Mon, 11 Aug 2025 11:45 AM (IST)
BHU News बीएचयू के मीरजापुर में बरकछा स्थित राजीव गांधी दक्षिणी परिसर के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संकाय (एफवीएएस) में मिली है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के अंतर्गत पशु विज्ञानी उत्तम नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने के लिए एंब्रियो ट्रांसफर (एमओईटी) पद्धति का प्रयोग कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सा विज्ञानियों ने एक ही साहीवाल गाय से एक साथ 23 भ्रूण प्राप्त करने में सफलता हासिल की है। इसके तुरंत बाद विज्ञानियों ने दूसरी साहीवाल से आठ भ्रूण निकाले। इन भ्रूणों को कम दूध देने वाली सरोगेट गायों की कोख में स्थानांतरित कर उत्तम नस्ल की साहीवाल बछिया प्राप्त की जाएंगी।
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यह सफलता विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के बरकछा स्थित राजीव गांधी दक्षिणी परिसर के पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान संकाय (एफवीएएस) में मिली है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के अंतर्गत पशु विज्ञानी उत्तम नस्ल की गायों की संख्या बढ़ाने के लिए एंब्रियो ट्रांसफर (एमओईटी) पद्धति का प्रयोग कर रहे हैं।
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इसी क्रम में शुक्रवार की सुबह विज्ञानियों ने दो उत्कृष्ट देशी साहीवाल गायों से मल्टीपल ओव्यूलेशन एंड एम्ब्रियो ट्रांसफर (एमओईटी) पद्धति द्वारा कुल 31 भ्रूण प्राप्त किए। परियोजना का नेतृत्व कर रहे डा. मनीष कुमार, डा. कौस्तुभ के. सराफ व डा. अजीत सिंह कर रहे हैं। उन्होंन बताया कि इस तकनीक का उद्देश्य उच्च उत्पादकता वाली गायों से एक साथ कई भ्रूण प्राप्त कर उन्हें कम दूध देने वाली सरोगेट गायों में स्थानांतरित करके श्रेष्ठ नस्ल की दुधारू गायों की संख्या तेजी से बढ़ाना और बांझपन की समस्या का समाधान करना है।
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इस तकनीक को सेक्स-सार्टेड सीमेन के कृत्रिम गर्भाधान से जोड़कर कम समय में अधिक संख्या में उच्च गुणवत्ता वाली साहीवाल मादा बछियों का उत्पादन किया जा रहा है। बीएचयू बरकछा में अब तक तीन उच्च श्रेणी की साहीवाल मादा बछियां जन्म ले चुकी हैं, जो इस परियोजना की उपलब्धियों और संभावनाओं को दर्शाती हैं। प्रमुख अन्वेषक डा. मनीष कुमार ने कहा कि यह सफलता, पशुधन आनुवंशिकी के क्षेत्र में होने वाले और भी परिवर्तनकारी कार्यों की शुरुआत भर है। आगे और भी अच्छे परिणाम आएंगे।
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