बीएचयू वैज्ञानिक ने ड्रैगन फ्रूट के छिलकों से दही को बनाया अधिक पौष्टिक
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के वैज्ञानिक प्रो. दिनेश चंद्र राय ने ड्रैगन फ्रूट के छिलकों से दही को और भी पौष्टिक बना दिया है। उन्होंने बताया कि ड्रैगन फ्रूट के छिलकों में एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो दही की पौष्टिकता को बढ़ाते हैं। यह दही पाचन क्रिया को सुधारने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।

छोड़े गए ड्रैगन फ्रूट के छिलके, जो एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होते हैं
जागरण संवाददाता, वाराणसी। बी.आर.ए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति और बीएचयू के सीनियर प्रोफेसर प्रो. दिनेश चंद्र राय ने खाद्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। उनका शोध-पत्र उच्च गुणवत्ता वाले Q1 जर्नल फूड केमिस्ट्री: एडवांसेज़ में प्रकाशित हुआ है, जिसका इम्पैक्ट फैक्टर लगभग 4.8 है। इस शोध में ड्रैगन फ्रूट के छिलकों का उपयोग करके दही को और पौष्टिक बनाने की वैज्ञानिक विधियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
शोध में यह स्पष्ट किया गया है कि कैसे छोड़े गए ड्रैगन फ्रूट के छिलके, जो एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होते हैं, को दही जैसे खाद्य उत्पादों के लिए एक प्रीमियम और पौष्टिक घटक में परिवर्तित किया जा सकता है। प्रो. राय ने बताया कि यह अध्ययन 'न्यूट्रिएंट सर्कुलैरिटी' के सिद्धांत पर आधारित है। उन्होंने कहा, "हमारा मूल संदेश है कि हमें 'अपशिष्ट' को 'संसाधन' मानना शुरू करना होगा। ड्रैगन फ्रूट के छिलके जैसे कृषि उत्पाद कचरा नहीं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक तत्वों का भंडार हैं।"
प्रो. राय ने आगे कहा कि यह नया रिसर्च खाद्य उद्योग को तीन प्रकार के लाभ प्रदान करेगा। यह जैविक कचरे को बड़े पैमाने पर कम करेगा, प्राकृतिक और 'क्लीन-लेबल' घटक प्रदान करेगा, और अंतिम उत्पाद के पोषण मूल्य को बढ़ाएगा। इससे फूड इंडस्ट्री महंगे, कृत्रिम पदार्थों के बजाय प्राकृतिक चीजों का उपयोग करके अगली पीढ़ी के कार्यात्मक खाद्य विकसित कर सकेगी। यह मॉडल मजबूत, दोहराने योग्य और भारत में व्यावसायिक उत्पादन के लिए तैयार है।
यह शोध पत्र न्याटो रीबा, मनीष कुमार सिंह, और शंकर लाल के साथ मिलकर लिखा गया है। प्रो. राय ने इस रिसर्च सफलता का श्रेय अपनी टीम को देते हुए कहा, "इस उच्च-प्रभाव वाले कार्य का श्रेय मेरी समर्पित और प्रतिभाशाली शोध टीम को जाता है।
उनका अथक परिश्रम और बौद्धिक क्षमता ही इन शोध सफलताओं को संभव बनाती है।" वर्तमान शोध में तीन उच्च स्तरीय संस्थाओं-मिज़ोरम विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोधकर्ता और वैज्ञानिक शामिल थे, जिनमें न्याटो रीबा और मनीष कुमार सिंह प्रमुख हैं।
प्रो. राय की शोध उपलब्धियों पर बीएचयू और बी.आर. अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के शैक्षणिक समुदाय और पूर्व छात्र संघों ने हार्दिक बधाई दी है। इस शोध ने न केवल खाद्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक नई दिशा दिखाई है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रो. राय की यह उपलब्धि निश्चित रूप से भारतीय खाद्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगी।


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