दशाश्वमेध घाट पर पहली बार गंगा के जलस्तर में इजाफा होने से नवंबर माह में बदला गंगा आरती स्थल
वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का स्थान कार्तिक पूर्णिमा के बाद जलस्तर बढ़ने से बदल दिया गया है। यह पहली बार है कि कार्तिक पूर्णिमा के बाद गंगा का जल आरती स्थल तक पहुंचा है, जिससे पर्यटकों के आवागमन में बाधा आ रही है। गंगा आरती का यह नया अनुभव सभी के लिए यादगार रहेगा। नवंबर में जलस्तर बढ़ने से आरती स्थल बदलने की नौबत आई है।

गंगा आरती का स्थल गंगा का जलस्तर बढ़ने से बदलना पड़ गया है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। दशाश्वमेध घाट पर हर शाम होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती का स्थान बाढ़ के बाद अब कार्तिक पूर्णिमा बीतने के बाद एक बार फिर शुक्रवार को नवंबर बदला गया है। यह पहला अवसर है जब आरती स्थल पर गंगा का इतना जल कार्तिक पूर्णिमा के बाद पहुंचा है।
कार्तिक पूर्णिमा के बाद पहली बार गंगा का जलस्तर बढ़ा है, जिससे मां गंगा का आरती स्थल पर पानी पहुंच गया है। यह घटना न केवल स्थानीय निवासियों के लिए, बल्कि पर्यटकों के लिए भी विशेष महत्व रखती है। गंगा आरती, जो कि आध्यात्मिकता और संस्कृति का प्रतीक है, अब एक नए अनुभव के साथ दर्शकों के समक्ष सर्दियों में नजर आ रही है।
गंगा आरती का आयोजन वैसे तो हर शाम होता है, जिसमें श्रद्धालु और पर्यटक बड़ी संख्या में शामिल होते हैं। इस आरती में दीप जलाने, मंत्रों का उच्चारण और भक्ति गीतों का गायन किया जाता है, जो एक अद्भुत वातावरण का निर्माण करता है। पानी बढ़ने की वजह से पर्यटकों के सामने एक से दूसरे घाट पर संपर्क टूटने के बाद आवागमन का संकट है।
जलस्तर में इस साल नवंबर माह में व्यापक वृद्धि होने के कारण आरती स्थल पर जल का पहुंचना एक महत्वपूर्ण घटना है। यह बदलाव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का यह नया अनुभव सभी के लिए एक यादगार पल बनेगा। हालांकि लगातार जलस्तर बढ़ने से नवंबर माह में पहली बार गंगा आरती का स्थल बदलने की नौबत आई है।

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