वाराणसी में गंगा नदी में 11 December से Hydrogen Vessel की हो रही शुरुआत, मिलेंगी यह खास सुविधाएं
वाराणसी में देश का पहला हाइड्रोजन से चलने वाला वेसेल गंगा नदी में जल्द ही शुरू होगा। यह ग्रीन फ्यूल का उपयोग करेगा, जिससे प्रदूषण कम होगा। इसके शुरू ह ...और पढ़ें

यह पहल न केवल वाराणसी, बल्कि पूरे देश के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। देश में स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री संर्बानंद सोनोवाल 11 दिसंबर, 2025 को नमो घाट पर भारत के पहले स्वदेशी हाइड्रोजन ईंधन सेल पोत को वाणिज्यिक संचालन के लिए हरी झंडी दिखाएंगे। इस ऐतिहासिक घटना के साथ वाराणसी देश का पहला शहर बन जाएगा, जहां हाइड्रोजन पोत के माध्यम से हरित ऊर्जा का उपयोग कर पर्यावरण को टिकाऊ बनाने की पहल की जाएगी।
हाइड्रोजन ईंधन सेल पोत के संचालन से कई लाभ होंगे। सबसे पहले, यह शोर रहित यात्रा का अनुभव प्रदान करेगा, जिससे यात्रियों को एक सुखद और शांतिपूर्ण यात्रा का अनुभव होगा। इसके अलावा, जलमार्गों के माध्यम से आवागमन की गति में वृद्धि होगी, जिससे समय की बचत होगी और सड़कों पर भीड़भाड़ कम होगी। यह पहल शून्य धुआं और शून्य प्रदूषण का वादा करती है, जो पर्यावरण के लिए अत्यंत लाभकारी है।
गंगा में इसकी शुरुआत से घाटों का आपसी संपर्क होगा तो भीड़ से भी राहत मिलेगी। गंगा में पर्यटन के साथ ही नदी में आवागमन की शुरुआत से पर्यटकों को नया अनुभव भी मिलेगा। संचालन करने वाली कंपनी की ओर से पर्यटकों और सवारियों के लिए विशेष सुविधाओं की तैयारी की जा रही है। इस वेसेल को एयर कंडीशंड बनाने के साथ ही सीटों और बालकनी सरीखी सुविधाएं भी शामिल हैं। बनारसी जायका जहां पर्यटकों को मिलेगा वहीं घाटों की सभ्यता और संस्कृति को करीब से देखने और समझने का भी मौका मिलेगा।

इस परियोजना के माध्यम से वाराणसी में गंगा में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। हाइड्रोजन पोत के संचालन से वाराणसी में नए पर्यटन स्थलों का विकास होगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही, स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे, जिससे क्षेत्र के निवासियों को लाभ होगा। यह पहल न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह स्थानीय समुदाय के लिए भी विकास का एक नया मार्ग प्रशस्त करेगी।
हाइड्रोजन ईंधन सेल तकनीक एक नवीनतम और स्वच्छ ऊर्जा स्रोत है, जो पारंपरिक ईंधन के मुकाबले अधिक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल है। यह तकनीक जल को ईंधन के रूप में उपयोग करती है, जिससे केवल पानी का उत्सर्जन होता है। यह न केवल ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करती है, बल्कि प्रदूषण को भी कम करती है।
इस परियोजना का उद्देश्य भारत को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक अग्रणी देश बनाना है। सरकार का मानना है कि इस प्रकार की पहलों से न केवल ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि होगी, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ भी एक महत्वपूर्ण कदम होगा। हाइड्रोजन ईंधन सेल पोत का संचालन भारत के लिए एक नई दिशा में कदम बढ़ाने का प्रतीक है, जो वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देगा।
इस अवसर पर मंत्री संर्बानंद सोनोवाल की मौजूदगी काशी में पर्यटन के लिए होने वाले प्रयासों में काशी में एक और मील का पत्थर साबित होगी है। स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में यह कदम न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की आर्थिक विकास में भी सहायक होगा। वाराणसी में हाइड्रोजन ईंधन सेल पोत का संचालन न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह एक नई सोच और दृष्टिकोण का प्रतीक भी है, जो भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देगा।
Sailing Forward with #CleanEnergy ! Shri @sarbanandsonwal , Minister of Ports, Shipping & Waterways will flag-off India’s First Indigenous Hydrogen Fuel Cell Vessel for commercial operations at Namo Ghat in #Varanasi on Dec 11, 2025. #hydrogenvessel #GreenEnergy #sustainable pic.twitter.com/WBAJ6CTdUp
— IWAI (@IWAI_ShipMin) December 9, 2025

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