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    महापौर अशोक कुमार तिवारी बोले - "काशी केवल धर्म और संस्कृति का ही नहीं, बल्कि शिक्षा का भी महत्वपूर्ण केंद्र"

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Thu, 06 Nov 2025 06:02 PM (IST)

    महापौर के अनुसार, काशी धर्म और संस्कृति का शिक्षा केंद्र है। यह शहर, जिसे वाराणसी भी कहा जाता है, अपनी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। काशी न केवल एक तीर्थ स्थल है, बल्कि यह प्राचीन भारतीय ज्ञान और परंपराओं का भी केंद्र है, जो विश्व भर के लोगों को आकर्षित करता है।

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    काशी धर्म और संस्कृति का शिक्षा केंद्र: महापौर

    जागरण संवाददाता वाराणसी। महापौर अशोक कुमार तिवारी ने कहा कि काशी केवल धर्म और संस्कृति का ही नहीं, बल्कि शिक्षा का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। उन्होंने यह बात सारनाथ स्थित महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के तत्वावधान में महाबोधि विद्या परिषद द्वारा संचालित तीनों विद्यालयों के 92वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर महाबोधि इंटर कालेज परिसर में आयोजित सभा में मुख्य अतिथि के रूप में कही। महापौर ने कहा कि शिक्षा और दिशा से ही राष्ट्र का निर्माण होता है।

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    उन्होंने आगे कहा कि विद्यालय वही होते हैं जो छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और अनुशासन भी प्रदान करते हैं। काशी एक पवित्र नगरी है, जहां सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया। यही नहीं, काशी में जैन धर्म के चार तीर्थंकरों का जन्म भी हुआ है। काशी को मोक्ष नगरी के रूप में भी जाना जाता है।

    इस अवसर पर जम्बूद्वीप बौद्ध मठ के प्रभारी भिक्षु के सिरी सुमेध थेरो ने बौद्ध जीवन को अनुकरणीय बताया और कहा कि बुद्ध के उपदेश आज भी विश्व के लिए प्रासंगिक हैं। अध्यक्षीय संबोधन में शिक्षा सेवा चयन आयोग के सदस्य हरेंद्र कुमार राय ने कहा कि विषयों के ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक और सांसारिक ज्ञान भी आवश्यक है। उन्होंने शिक्षकों को कुम्हार की उपमा देते हुए कहा कि वे बच्चों के भविष्य को धीरे-धीरे तैयार करते हैं।

    महाबोधि विद्या परिषद के अध्यक्ष प्रो राम मोहन पाठक ने स्वागत भाषण दिया। इस दौरान विद्यालय में खेल, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने वाले छात्रों को पुरस्कृत किया गया। विद्यालय की जानकारी प्रचार्य डॉ चंद्रशेखर सिंह ने दी।

    संचालन प्रवीण श्रीवास्तव ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन भिक्षु आर सुमित्ता नन्द थेरो ने किया। इस अवसर पर सोसाइटी ऑफ इंडिया के महासचिव भिक्षु पी शिबली थेरो, उत्तर प्रदेश प्रचार्य परिषद के सदस्य देव कृष्ण शर्मा, अनिल सोनकर, रवि शंकर मोर्य, पार्षद अभय पांडेय, विनोद पांडेय सहित अन्य लोगों ने अपने विचार साझा किए।