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    काशी में विश्व शांति के लिए अनूठी पहल, 501 महिलाओं ने क‍िया शिवमहिम्न स्तोत्र पाठ, देखें वीड‍ियो...

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 11:51 AM (IST)

    वाराणसी में विश्वशांति के लिए एक अनूठी पहल होने जा रही है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में 24 अगस्त को 501 से अधिक महिलाएं सामूहिक शिवमहिम्न स्तोत्र का पाठ करेंगी। विश्वमांगल्य सभा द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम राष्ट्र कल्याण के लिए मातृशक्तियों द्वारा किया जाएगा। आयोजन के दौरान भक्‍तों की भी जुटान होगी।

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    संस्था द्वारा धर्मशाला का निर्माण और श्रीनाथ रसोई की स्थापना भी की जा रही है।

    मुकेश चंद्र श्रीवास्तव, वाराणसी। देश-दुनिया में इनदिनों उथप-पुथल की स्थित है। इसे शांत करने के लिए काशी में एक अनोखी पहल की गई है। श्री काशी विश्वनाथ धाम में रव‍िवार को 501 से अधिक महिलाएं सामूहिक शिवमहिम्न स्तोत्र पाठ क‍िया। 

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    देखें वीड‍ियो

    यह आयोजन विश्वमांगल्य सभा की ओर से काशी प्रांत की मातृशक्तियों द्वारा राष्ट्र कल्याण के लिए किया गया। सभी मातृशक्ति लाल रंग की साड़ी में रहीं। यह आयोजन शाम 3.30 बजे से लगभग आधे घंटे के लिए क‍ि‍या गया। इसके लिए प्रशिक्षण छोटे-छोटे समूहों में विश्वमांगल्य सभा की कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया है। प्रशिक्षण धर्म शिक्षा विभाग की प्रांत संयोजिका सुनीति के नेतृत्व में किया गया है।

    काशी प्रांत की अध्यक्ष आनंद प्रभा सिंह ने बताया कि शिवमहिम्न स्तोत्र का पाठ करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और साधक को शिव लोक की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही संस्था की ओर से 80 कमरे की धर्मशाला बनाई जा रही है। इसकी कर्मचारी भी महिलाएं ही रहेंगी। साथ ही प्रतिदिन चार हजार लोगों के भोजन करने की क्षमता वाली श्रीनाथ रसोई भी बनाई गई है।

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    पंढपरपुर में जो भगवान बिट्ठल मंदिर का मंदिर है, हुबहू उसकी प्रकृति भी काशी में बनाई जा रही है। इसके अलावा फड़नवीस बाड़ा, बिंदुमाधव मंदिर का जीर्णोद्धार भी किया जा रहा है। प्रथम फेज में नई धर्मशाला व विट्ठल मंदिर की प्रतिकृति, दूसरे फेज में अन्न क्षेत्र का कांप्लेक्स व बिंदु माधव मंदिर का जीर्णोद्धार होगा।

    बताया कि विश्वमांगल्य सभा नारी सशक्तीकरण व मातृत्व पर कार्य करती है। साथ ही धर्म, संस्कार, संस्कृति, राष्ट्र, विचार, रहन-सहन, साहस, क्षमता, आर्थिक, सामाजिक क्षमता को विकसित किया जाता है। इसकी स्थापना 2010 में हुई थी, जिसकी पहली कार्यशाला नागपुर में हुई थी। देश के 42 प्रांतों में से 27 प्रांतों में यह सभा कार्य कर रही है।

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