नेपाल में फैली व्यापक हिंसा, बनारस में फंसे नेपाल के लोगों को सता रही अपनों की चिंता
नेपाल में युवाओं के आंदोलन और हिंसा के कारण सत्ता परिवर्तन हुआ है। सेना ने मोर्चा संभाल लिया है जिससे वाराणसी-काठमांडू विमान सेवा रद्द हो गई है। वाराणसी में फंसे नेपाली नागरिक अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं क्योंकि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के कारण संपर्क मुश्किल हो गया है।

जागरण संवाददाता, वाराणसी। भारत के पड़ोसी देश नेपाल में इन दिनों युवाओं का संगठन Gen - Z का आंदोलन और हिंसा ने आखिरकार वहां पर सत्ता को उखाड़ फेंका है। नेपाल में फैल चुकी हिंसा को लेकर वहां की सेना ने भी मोर्चा संभाल लिया है। अब भारत आए नेपाली लोगों के वापसी ही नहीं वहां पर अपनों की सुरक्षा को लेकर भी चिंंता का माहौल है।
नेपाल में चल रहे हंगामे के बीच वाराणसी से काठमांडू जाने वाली विमान सेवा जहां रद है तो वहीं नेपाल हिंसा की वजह से वाराणसी में फंसे लोगों को अपने परिवार की चिंता सता रही हैं। नेपाल में इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध लगे होने की वजह से भारत में फंसे लोग नेपाल में अपने परिजनों से ठीक से संपर्क नहीं कर पा रहे है। वहीं युवाओं के इस आंदोलन का नेपाल के लोग समर्थन कर ओली सरकार को तानाशाह बता रहे हैं।
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भारत में फंसे अपने लोगों से इंटरनेट मीडिया से संपर्क करने के लिए नेपाल के लोग वीपीएन एप का प्रयोग कर इंटरनेट मीडिया से जुड़ रहे है। वाराणसी में फंसे नेपाल के लोग मान रहे हैं कि इस चुनौतीपूर्ण समय में वीपीएन के माध्यम से परिजनों से संपर्क कर पा रहे हैं। नेपाल के हालात कैसे हैं वह न्यूज चैनल की खबरों के माध्यम से पता चल रहा है। वहां रह रहे अपने घर और रिश्तेदारों से ठीक से संपर्क कर पाना पूरी तरह संभव नहीं हो पा रहा है। नेपाल के लोग वहां पर इंटरनेट मीडिया को नेपाल में बैन किए जाने को पूरी तानाशाही वाला निर्णय बताते हैं।
वाराणसी में श्रद्धा तर्पण के साथ बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचे नेपाल से आए श्रद्धालु हिंसा की वजह से ठहरे हुए हैं। नेपाल के रहने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि नेपाल में हिंसा की वजह से भारत और नेपाल की सीमा को भी सील कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर नेपाल में फंसे अपने परिवार के लोगो से भी तमाम नेपाली परिवारों का संपर्क नहीं हो पा रहा है। अब सभी हालात सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि अपने घर वह लौट सकें। इसके अलावा नेपाली कामगारों के सामने भी अपने देश जाने का संकट आ गया है।
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