महिला पत्रकारों के संबंध में आदेश भारतीय संविधान का अपमान : रामगोविंद
रामगोविंद चौधरी ने महिला पत्रकारों के संबंध में जारी आदेश को भारतीय संविधान का अपमान बताया है। उन्होंने कहा कि यह लैंगिक समानता के खिलाफ है और महिला पत्रकारों के अधिकारों का उल्लंघन करता है। चौधरी ने जोर देकर कहा कि संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है, और महिला पत्रकारों को बिना किसी भेदभाव के काम करने का हक है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा भी बताया।

राम गोविंद चौधरी ने महिला पत्रकारों के संबंध में आदेश को भारतीय संविधान का अपमान बताया है।
जागरण संवाददाता, बलिया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व मंत्री राम गोविंद चौधरी ने महिला पत्रकारों के संबंध में आदेश को भारतीय संविधान का अपमान बताया है। कहा कि इस भूल के लिए भारत सरकार को सार्वजनिक रूप से खेद प्रकट करना चाहिए।
रविवार को लखनऊ स्थित आवास पर डा. राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में महिला हो या पुरुष, उसे बराबरी का अधिकार हासिल है। संविधान लिंग के आधार पर भेद भाव की इजाजत नहीं देता।
भारत में अफगानिस्तानी विदेश मंत्री की प्रेस वार्ता में महिला पत्रकारों को शामिल ना करना संविधान का अपमान है। ऐसा करने वालों को दंडित नहीं किया गया तो महिला विरोधी मानसिकता रखने वाली ताकतों का उत्साह बढ़ेगा।
कहा कि डा. मनोहर लोहिया इस मामले में केवल समता नहीं, उससे आगे की भी बात सोचते थे। वह महिलाओं को विशेष अधिकार के पक्षधर थे। इस दौरान मो. फहद, वरूण यादव, वीरेंद्र यादव, शोहेल अबरार, सुशील कुमार पांडेय कान्हजी आदि मौजूद रहे।
पुण्यतिथि पर याद किए गए समाजवादी पुरोधा डा. लोहिया
लोहिया संस्थान एवं लोकतंत्र सेनानी संगठन की ओर से समाजवादी पुरोधा डा. राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर टाउन हाल में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस दौरान समाजवादी विचारक पांडेय गोविंद एडवोकेट ने कहा कि डा. लोहिया कहते थे जहां जुल्म होता है वहां समाजवाद निजात दिलाता है। लेकिन आज ठीक उलटा देखने को मिल रहा है।
सपा प्रबुद्ध समाज के प्रदेश सचिव शिव शरण तिवारी ने कहा कि डा. लोहिया के विचारों को आज के युवा वर्ग को अपनाने की जरुरत है। अक्ष्यक्षता करते हुए समाजवादी चिंतक द्विजेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि डा. लोहिया के साथ रहने का सौभाग्य मिला, जिसने विचार धारा को ही बदल दिया। इस दौरान अजय बहादुर सिंह, निर्भय नारायण सिंह, शिव शरण तिवारी, शुभ्रांशु शेखर पांडेय, ओम प्रकाश पांडेय आदि ने विचार व्यक्त किए। स़ंचालन लोकतंत्र रक्षक सेनानी संतोष शुक्ला ने किया।
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