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    बनारसी साड़ी की थीम खादी में उतारने की तैयारी, दिल्‍ली डिजाइनरों की टीम ने वाराणसी के बुनकरों से की मुलाकात

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Fri, 19 Mar 2021 09:01 PM (IST)

    वाराणसी में खादी और हस्तशिल्प के बारे में जानकारी लेने के साथ ही लोगों को जागरूक करने के बाद संकल्प फार खादी संस्था की संस्थापक परिधि शर्मा शुक्रवार को सायंकाल दिल्ली वापस लौट गईं।वाराणसी में करीब दो दर्जन बुनकरों से मिले ।

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    बनारसी साड़ी के थीम को खादी में उतारने की तैयारी हो रही है।

    वाराणसी, जेएनएन। वाराणसी में खादी और हस्तशिल्प के बारे में जानकारी लेने के साथ ही लोगों को जागरूक करने के बाद संकल्प फार खादी संस्था की संस्थापक परिधि शर्मा शुक्रवार को सायंकाल दिल्ली वापस लौट गईं। परिधि ने कहा कि खादी को विश्वस्तर पर ले जाने का उनका संकल्प है जिसको लेकर देश के विभिन्न शहरों में वे लोगों को जागरूक कर रही हैं। वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है और वाराणसी में बनारसी बुनकरों द्वारा निर्मित साड़ी, खादी के वस्त्र, हस्तकला आदि के बहुत अनुभवी कारीगर हैं। उनके कला और कौशल को प्रसारित और प्रचारित करने की आवश्यकता है। बता दें कि परिधि शर्मा दो दिवसीय दौरे पर गुरुवार को वाराणसी पहुंची थी, उनके साथ उनके डिजाइनर रितेश चंद्र श्रीवास्तव सहित 6 सदस्यीय टीम भी वाराणसी आयी थी। रितेश ने बताया कि वे वाराणसी में करीब दो दर्जन बुनकरों से मिले और उन्होंने कहा कि बनारसी साड़ी के थीम को खादी में उतारने की उनकी टीम तैयारी कर रही है।

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    बदलते समय के साथ देखा जाए तो खादी की लोकप्रियता में बढ़ोतरी हुई।अब खादी सिर्फ बुजुर्ग़ों की पसंद बनकर नहीं रह गई है। खादी आज के दौर में युवाओं में भी खूब प्रचलित है। हर वर्ग खादी पहनने की इच्छा रखता है, चाहे वह स्त्री हो, पुरुष हो, युवा हो या फिर बुजुर्ग़ हो। लोगों की पसंद बन चुके आधुनिक परिधानों के बीच खादी को लोकप्रिय बनाने के लिए डिजाइनर रेडी-टू-वीयर पर जोर दिया जा रहा है।

    खादी और ग्रामोद्योग आयोग लगातार नए कर रहा है। यह प्रयोग साल-दर-साल रंग भी ला रहा है और लोगों का रूझान तेजी से खादी और इससे तैयार परिधानों की तरफ तेजी से बढ़ा है। विशेष युवा वर्ग खादी के तैयार परिधानों की तरफ अधिक आकर्षित हो रहे हैं। खादी आश्रमों व खादी भंडारों पर इन दिनों डिजायनर कपड़ों की मांग बढ़ी है। बनारस मंडल के 12 जिलों में खादी की संस्थाएं काम करती हैं। इसके अलावा पूर्वांचल में खादी आश्रम व खादी भंडार हैं जहां सेवापुरी में बनने वाले डिजायनर कपड़ों को उपलब्ध कराया जाता।