सारनाथ के जापानी बौद्ध मंदिर में वार्षिकोत्सव का आयोजन, दीप जलाकर शांति स्तूप की परिक्रमा
वाराणसी के सारनाथ में धर्मचक्र इंडो जापान बुद्धिस्ट कल्चरल सोसाइटी ने जापानी बौद्ध मंदिर का 744वां ओ एशिकी पर्व मनाया। भिक्षुणी म्यो जित्सु नागा कुबो के नेतृत्व में विश्व शांति के लिए जापानी मंत्रोच्चारण किया गया। प्रो. वांगचुक दोरजे नेगी ने बौद्ध धर्म में शांति के महत्व पर प्रकाश डाला।

मंदिर को विभिन्न देशों के झंडों से सजाया गया था।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। धर्मचक्र इंडो जापान बुद्धिस्ट कल्चरल सोसाइटी के तत्वावधान में शुक्रवार को 744वां ओ एशिकी पर्व सारनाथ स्थित जापानी बौद्ध मंदिर का 33 वा एवं विश्व शांति स्तूप का 15 वां वार्षिकोत्सव जापानी मंत्रोच्चारण के साथ शांति स्तूप की परिक्रमा कर मनाया गया।
बुद्धिस्ट कल्चरल सोसाइटी की अध्यक्षा भिक्षुणी म्यो जित्सु नागा कुबो के नेतृत्व में दर्जनों बौद्ध भिक्षु सुबह 10.30 बजे मन्दिर परिसर में बने शांति स्तूप के समक्ष बैठ कर जापानी मंत्रोच्चारण के बीच विश्व शांति की पूजा की। यह पूजा लगभग दो घण्टे तक चली। तत्पश्चात सभी बौद्ध भिक्षुओं ने दीप जलाकर शांति स्तूप की परिक्रमा की।
इस दौरान केंद्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान के कुलपति प्रो. वांगचुक दोरजे नेगी ने कहा कि बौद्ध धर्म में शांति है। बौद्ध धर्म वहीं की संस्कृति में फैला है। मानव जीवन में अच्छा काम करना चाहिए। इसके पूर्व सुबह मन्दिर में सदधर्म पूर्णिका सूत्र पाठ किया गया।
इस मौके पर मन्दिर परिसर को विभिन्न देशों के झंडे व जापान के कागज के फूलों से सजाया गया था। इस मौके पर भिक्षु ज्ञान रक्षित, चाइनीज बौद्ध मंदिर के प्रभारी भिक्षु संघदूत, कालजंग नोरबू, संजय मौर्य, भिक्षु सोनम लामा, भिक्षु टांग सहित अन्य बौद्ध मठ के बौद्ध भिक्षु शामिल थे।

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