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    रेल पटरी से ब‍िजली के सफल उत्‍पादन के बाद भव‍िष्‍य की योजना तैयार, रेलवे करने जा रहा यह काम, देखें वीड‍ियो...

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 11:23 AM (IST)

    वाराणसी ज‍िले में स्‍थ‍ित बनारस रेल कारखाने ने पटरियों के बीच सोलर पैनल लगाकर बिजली उत्पादन की योजना को सफल बनाया है। रेलवे अब 3.21 लाख यूनिट प्रति वर्ष प्रति किलोमीटर उत्पादन पर काम करेगा। इसमें सोलर पैनल के चोरी होने और मलबा गिरने जैसी चुनौतियों का समाधान किया गया है।

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    रेलवे ट्रैक की लंबाई 1.2 लाख किलोमीटर है, जिसका उपयोग सोलर पैनल लगाने में किया जाएगा।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। बनारस रेल कारखाना की ओर से यार्ड में रेल की पटर‍ियों के ठीक बीच में सोलर पैनल लगाकर ब‍िजली का उत्‍पादन करने के ल‍िए बनी योजना सफल होने के बाद अब आगे की योजना भी बनने लगी है। रेलवे अब 3.21 लाख यून‍िट प्रति‍वर्ष प्रति‍क‍िलोमीटर उत्‍पादन करने पर काम करेगा। 

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    देखें वीड‍ियो :

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    उठे सवाल तो न‍िकला नि‍राकरण

    रेलवे के इस पहल के बाद लोगों के कई सवाल भी उठने शुरू हुए हैं। इसमें सबसे अध‍िक पैनल चोरी होने की संभावना, मलबा ग‍िरने, क्षत‍िग्रस्‍त होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। मगर, रेलवे का यह प्रयास फ‍िलहाल रेलवे की ही संपत्‍त‍ि वाले क्षेत्रों में सोलर पैनल लगाने का है ता‍क‍ि पैनल सुरक्ष‍ित भी रहें।भारतीय रेलवे तेजी से सौर ऊर्जा को रेलवे के ह‍ित में शामिल कर रहा है। अधिक टिकाऊ और हरित ऊर्जा के ल‍िए रेलवे अब योजनाओं को धरातल पर उतारने जा रही है। परिवहन व्यवस्था पर ध्‍यान केंद्रित किया जा रहा है। इसके तहत अब देश भर में बरेका के प्रयोगों को शाम‍िल करने की योजना पर काम शुरू क‍िया जाना है। 

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    रेल यातायात में बाधा पर रोक

    बीएलडब्‍ल्‍यू ने भारत का पहला रिमूवेबल सोलर पैनल चालू किया है। सक्रिय रेलवे ट्रैक के बीच स्थापित किया गया सिस्टम बीएलडब्ल्यू वर्कशाप लाइन नंबर 19 में शुरू किया गया पायलट प्रोजेक्ट एक का उपयोग करता है। सोलर पैनल बिछाने के लिए स्वदेशी रूप से डिजाइन की गई स्थापना प्रक्रिया के तहत रेल यातायात को बाधित किए बिना रेल पटरियों के बीच। ये पैनल न केवल टिकाऊ और कुशल हैं बल्कि हटाने योग्य भी हैं। इसका रखरखाव आसान और मौसम के अनुकूल भी है। 

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    चुनौत‍ियों का न‍िस्‍तारण

    यह योजना बनाने से पहले कई चुनौतियों पर भी विचार किया गया। रेलवे ने ट्रेन के गुजरने से कंपन पैदा होने से सोलर पैनलों को नुकसान पहुंचाने से संभावित रूप से उनकी कार्यक्षमता कम होने पर रेलवे ट्रैक को कंपन से बचने के लिए रबर माउंटिंग पैड का उपयोग किया गया। इसके अलावा सौर पैनल के लिए एपाक्सी चिपकने वाला उपयोग करके स्थापित किया गया है। धूल और मलबा की वजह से पैनल को बार-बार सफाई की आवश्यकता होनी है। रखरखाव के लिए आसान तरीके से पैनल न‍िकालने की सुव‍िधा भी दी गई है। 

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    रेलवे की भविष्य की संभावनाएं

    भारतीय रेलवे के ट्रैक की लंबाई 1.2 लाख किलोमीटर है। यार्ड लाइनों के बीच सौलर पैनलों की स्थापना के लिए उपयोग करने की योजना है। इस योजना में स्थान के रूप में भूमि अधिग्रहण की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। पटरियों के बीच सौलर पैनलों के लिए उपयोग किया जाना है। इस योजना में 3.21 लाख यून‍िट प्रत‍िवर्ष प्रति क‍िलोमीटर उत्पन्न करने की क्षमता है। 

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