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    बीएचयू की छात्रा रहीं सुशीला कार्की बनेंगी नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री, रह चुकी हैं नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 07:02 PM (IST)

    काशी हिंदू विश्वविद्यालय की स्नातकोत्तर और नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री बनने के लिए सहमत हो गई हैं। उन्हें 2500 लोगों का समर्थन मिला है जिसमें 500 लोगों ने वर्चुअल बैठक में हिस्सा लिया। Gen Z ने सुशीला कार्की के नाम का प्रस्ताव रखा था।

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    बीएचयू की छात्रा रही सुशीला कार्की बनेंगी नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र की परास्नातक और नेपाल की पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्रीमती सुशीला कार्की ने नेपाल में अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में कार्य करने पर अपनी सहमति दे दी है। श्रीमती सुशीला कार्की जन्म 7 जून 1952, विराटनगर, नेपाल में हुआ है।

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    उन्‍होंने वर्ष 1975 में बीएचयू से पॉलिटिकल साइंस में मास्‍टर ड‍िग्री हास‍िल की थी। वहीं उनकी न‍ियुक्‍त‍ि की जानकारी होने के बाद पर‍िसर में उनकी चर्चा भी खूब होती रही। शाम को उनके बतौर नेपाली प्रधान मंत्री के तौर पर न‍ियुक्‍‍त क‍िए जाने संबंधी जानकारी के बाद पर‍िसर में खूब गहमागहमी शुरू हो गई। व‍िभ‍िन्‍न व‍ि‍भागों में जो उनको जानते थे वह भारत नेपाल संबंधों को लेकर चर्चा में मशगूल नजर आए। पर‍िसर में उनके कई पर‍िच‍ित हैं जो आज भी उनके संपर्क में बने हुए हैं। उनके छात्र जीवन और नेपाल में उनके कार्य को लेकर भी पर‍िसर में खूब चर्चा बनी रही। 

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    बीएचयू के पूर्व छात्र के तौर पर उनकी पहचान न‍िश्‍च‍ित ही भारत और नेपाल के संबंधों को काफी गत‍ि देगी। वह एक नेपाली न्यायविद हैं। वह नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं और इस पद पर आसीन होने वाली एकमात्र महिला हैं। कार्की 11 जुलाई 2016 को मुख्य न्यायाधीश बनीं थीं। नेपाल में गत दो दिनों की बेकाबू स्थिति के बाद एक वर्चुअल सहमति बैठक के बाद सुशीला कार्की को 2500 लोगों का समर्थन प्राप्त हुआ है। इसमें 500 लोगों ने हिस्सा लिया था। सुशीला कार्की के नाम का प्रताव Gen Z ने रखा है।

    जीवनसाथी भी मिला वाराणसी में शिक्षा के दौरान

    कार्की के शैक्षिक ही नहीं, पारिवारिक जीवन में भी काशी काफी गहराई से जुड़़ी है। काशी में ही अध्ययन के दौरान उनकी भेंट दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई थी, जिनसे उन्होंने बाद में विवाह किया। कार्की अपने माता-पिता की सात संतानों में सबसे बड़ी संतान हैं। वह विराटनगर के कार्की परिवार से ताल्लुक रखती हैं।

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    यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल 2017 को, माओवादी केंद्र और नेपाली कांग्रेस द्वारा कार्की के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया था। हालांकि , बाद में जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद महाभियोग प्रस्ताव वापस ले लिया गया। ज‍िसके बाद उनके पीएम बनने का रास्‍ता साफ हो चुका है। नेपाल में उनकी छव‍ि भ्रष्टाचार विरोधी कड़े रुख के तौर पर जानी जाती है। उनकी नियुक्ति से नेपाल में महिलाओं की संवैधानिक बराबरी की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।

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    नेपाल से स्नातक करने के बाद आई थीं वाराणसी

    सुशीला कार्की ने 1972 में महेंद्र मोरंग परिसर, विराटनगर से कला स्नातक (बीए) की डिग्री पूरी की थी। इसके पश्चात वह काशी आ गई थीं और यहां काशी हिंदू विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान से परास्नातक में प्रवेश लिया। 1975 में डिग्री पूरी करने के बाद वह वापस नेपाल लौट गईंं और फिर वहां नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि 1978 में प्राप्त की।

    खिन्न कम्युनिस्ट सरकार लाई थी महाभियोग

    यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि 30 अप्रैल 2017 को, माओवादी केंद्र और नेपाली कांग्रेस द्वारा कार्की के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया था। हालांकि, बाद में जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद महाभियोग प्रस्ताव वापस ले लिया गया। कार्की ने नेपाल में न्यायाधीश रहते हुए अनेक महत्वपूर्ण निर्णय देकर चर्चा में आई थीं। पृथ्वी बहादुर पांडे बनाम काठमांडू जिला न्यायालय (आस्ट्रेलिया में पालीमर बैंक नोटों की छपाई में भ्रष्टाचार), काठमांडू निजगढ़ फास्ट ट्रैक मामला व सरोगेसी मामले में इनके निर्णय ऐतिहासिक रहे। अपनी कार्यशैली की वजह से ये हमेशा कम्युनिष्ट शासन की निगाह में खटकती रहीं।

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