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    UP News: भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं को नशा, फोन व रील से रखना होगा दूर

    Updated: Sun, 20 Jul 2025 01:38 PM (IST)

    वाराणसी में विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा विषय पर शिखर सम्मेलन हुआ। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने युवाओं को नशे से दूर रहने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया। गजेंद्र सिंह शेखावत ने नशे को सामूहिक चेतना का विनाश बताया। वीरेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार अकेले इस मिशन को पूरा नहीं कर सकती। नित्यानंद राय ने नशे के कारोबार को साजिश करार दिया।

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    विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा विषयक संगोष्ठी में बोलते केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया। जागरण

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। बाबा विश्वनाथ की नगरी में विकसित भारत के लिए पहली बार नशा मुक्त युवा विषय पर आयोजित युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन में केंद्रीय युवा मामले एवं खेल तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डा. मनसुख मांडविया कहा कि युवाओं को सिर्फ लाभार्थी के रूप में नहीं बल्कि विकसित राष्ट्र का निर्माणकर्ता व भविष्य को आकार देने वाले परिवर्तनकर्ता के रूप में देखा जाना चाहिए। इस सकारात्मकता के साथ एक नकारात्मक पहलु भी है, वह है नशा। युवाओं के सामने मादक पदार्थ सबसे बड़े खतरों में से एक है।

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    नशा उन्हें जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर अपनी चपेट में ले रहा है और यह राष्ट्रीय प्रगति के लिए गंभीर चुनौती है। इसे मिलकर दूर करना होगा। वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हमें युवाओं को नशीले पदार्थों, मोबाइल फोन और रील से दूर रखना होगा।

    युवा मामले और खेल मंत्रालय की ओर से रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर, सिगरा में आयोजित दो दिवसीय आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन के उद्धाटन सत्र में डा. मांडविया ने कहा कि काशी में इस सम्मेलन का खास उद्देश्य है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र से हमें एक जन आंदोलन की आवश्यकता है। प्रत्येक नागरिक कम से कम पांच अन्य लोगों को नशा विरोधी अभियान में शामिल होने के लिए प्रेरित करने का संकल्प लें।

    कहा कि इस शिखर सम्मेलन में देश भर के 113 आध्यात्मिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के 600 से अधिक युवा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया है। यह सम्मेलन मूल्यवान चर्चाओं और सार्थक परिणामों की ओर ले जाएगा। शिखर सम्मेलन 20 जुलाई को 'काशी घोषणा' के विमोचन के साथ समाप्त होगा, जो युवाओं और आध्यात्मिक नेताओं के सामूहिक दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता को दर्शाने वाला एक दस्तावेज है।

    यह दस्तावेज नशा मुक्त भारत के निर्माण के लिए एक विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत करेगा और नीति निर्माताओं, नागरिक समाज संगठनों, नशा मुक्ति और पुनर्वास के क्षेत्र में काम करने वाले युवा नेटवर्क के लिए एक मार्गदर्शक चार्टर के रूप में कार्य करेगा। चार सत्रों में आयोजित इस सम्मेलन के तकनीकी सत्र में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विकसित भारत की राह में नशा को बड़ी बाधा के रूप में रेखांकित करते हुए कहा कि नशा व्यक्तिगत चीज नहीं है बल्कि सामूहिक चेतना के विनाश का कारक है।

    इस महामारी के निवारण में युवा शक्ति को महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की जरूरत है। इस मार्ग पर अनेक चुनौतियां है और इसमें पथभ्रमित हो रहे युवा बड़ी चुनौती है। युवाओं को नशे से मुक्त कर मुख्यधारा में लाकर और उनकी सार्थक ऊर्जा को समावेश करने की आवश्यकता है।

    केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डा. वीरेंद्र कुमार ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में नशा की गिरफ्त में सर्वाधिक युवा आए हैं। यह एक प्राक्सीवार भी है। इसलिए इस अभियान से कई मंत्रालयों को जोड़ा गया है ताकि समग्र रूप से इस पर कार्य किया जा सके।

    इसी क्रम में धार्मिक संगठनों को भी जोड़ा गया है क्योंकि इस मिशन को सरकार अकेले नहीं कर सकती है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने भारत में नशे के कारोबार को एक साजिश करार दिया। कहा कि नशे की लत में युवाओं को लाया जा रहा है।

    विदेशी साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता है। नशा करने वाले युवाओं को घृणा की दृष्टि से नहीं सहानुभूति की दृष्टि से देखना चाहिए। नशा की चपेट आने के पीछे कई कारण हाेते हैं। इस संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए कि हमें सुधारना है। विभिन्न सत्रों में विभिन्न संगठनों से आए युवाओं ने कई सवाल भी किए।

    खासकर एक तरफ नशा मुक्त युवा की बात दूसरी तरफ धड़ाधड़ खुल रही शराब की दुकानें, इंटरनेट सेवा पर खुलेआम नशा पदार्थों की बिक्री, बड़े पर्दे पर एल्कोहल का प्रचार प्रसार को लेकर। हालांकि इन सभी सवालों का मंच न बताते हुए सार्थक सोच की तरफ बढ़ने की सलाह दी गई।

    सम्मेलन में केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्य मंत्री रक्षा निखिल खड़से, उत्तर प्रदेश के खेल मंत्री गिरीश यादव, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) असीम अरुण, श्रम एवं सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर समेत समेत कई विशिष्टजनों ने विचार किया।