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    वाराणसी में किसानों को गेहूं का बीज मिलना शुरू, 15 नवंबर तक बुआई का लक्ष्य

    By Abhishek sharmaEdited By: Abhishek sharma
    Updated: Tue, 28 Oct 2025 03:26 PM (IST)

    वाराणसी के किसानों के लिए अच्छी खबर है। राजकीय कृषि बीज गोदाम में गेहूं का बीज मिलना शुरू हो गया है। सरकार ने 15 नवंबर तक गेहूं की बोआई का लक्ष्य रखा है। समय पर बीज मिलने से किसान समय पर बुआई कर सकेंगे और अच्छी फसल प्राप्त कर सकेंगे। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी।

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    जनपद के सभी आठ राजकीय कृषि बीज गोदामों से बीज उपलब्ध होंगे।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। रबी अभियान को सफल बनाने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को समय पर सरसों, चना, मटर और गेहूं का बीज अनुदान पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इस वर्ष भी जनपद के सभी आठ राजकीय कृषि बीज गोदामों से बीज उपलब्ध होंगे।

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    इसके साथ ही, उच्च गुणवत्ता का बीज और अनुदान का लाभ अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए इस बार 8 राजकीय कृषि बीज गोदामों के अतिरिक्त अन्य संस्थाओं के तीन केंद्रों से भी बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। ये केंद्र हैं उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम-चांदपुर चौराहा (कलेक्ट्रीफार्म), राष्ट्रीय बीज निगम, रामनगर (इंडस्ट्रीयल एरिया) और राष्ट्रीय बीज निगम, कैलगढ़ मार्केट जगतगंज (निकट-साहू ब्रदर्स, जगतगंज)।

    जिला कृषि अधिकारी संगम सिंह ने जानकारी देते हुए सभी किसानों से अपील की है कि वर्तमान समय सरसों, चना और मटर की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त है। उन्होंने कहा कि अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार का विलंब न करें और अपने विकास खंड के राजकीय बीज गोदाम या अन्य केंद्रों से अनुदान पर बीज प्राप्त कर समय पर बुवाई सुनिश्चित करें।

    विलंब से बुवाई करने पर सरसों की फसल में रोग, कीट और पाले का प्रकोप होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे उत्पादन कम हो सकता है। इसी प्रकार, चना और मटर के उत्पादन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

    संगम सिंह ने बताया कि गेहूं का बीज भी जनपद के सभी केंद्रों पर अनुदान पर उपलब्ध है। जिन किसानों को गेहूं की बुवाई करनी है, उन्हें भी विलंब नहीं करना चाहिए और अपने राजकीय कृषि बीज गोदाम से बीज प्राप्त कर 15 नवंबर तक गेहूं की बुवाई कर लेनी चाहिए। गेहूं की बुवाई में विलंब करने से तापमान बढ़ने पर दाने पतले हो जाते हैं, जिससे उत्पादन में भारी गिरावट आती है।

    सरसों की खेती करने वाले किसानों को सलाह दी गई है कि वे उर्वरक के रूप में एनपीएस का प्रयोग करें, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस और सल्फर पाया जाता है। इससे सरसों की फसल का उत्पादन और तेल की मात्रा बढ़ती है। एनपीएस उर्वरक जनपद की सभी सहकारी समितियों और निजी केंद्रों पर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

    किसान भाई अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी केंद्र से पास मशीन में अंगूठा लगाकर उर्वरक प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, जनपद में यूरिया और डीएपी की भी पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है, जिससे किसी भी क्षेत्र में उर्वरक की कमी नहीं है।