उत्तराखंड में उठी मांग, जापान के चेरी ब्लासम की तर्ज पर पदम महोत्सव को मिले पहचान
उत्तराखंड में वन अनुसंधान रेंज में पदम महोत्सव मनाया गया, जिसका उद्देश्य पदम वृक्ष के संरक्षण और धार्मिक महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। विशेषज्ञों ने पदम फेस्टिवल को जापान के चेरी ब्लासम की तरह पर्यावरणीय पर्यटन से जोड़ने का सुझाव दिया, ताकि राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिल सके और मधुमक्खियों के संरक्षण में मदद मिले।

कालिका वन अनुसंधान के राय एस्टेट में गोष्ठी, विद्यार्थियों व शिक्षकों ने उत्साह से लिया हिस्सा। जागरण
जागरण संवाददाता, रानीखेत। मध्य हिमालय के देववृक्ष पदम (पयां) के संरक्षण व उसकी धार्मिक महत्ता से युवा पीढ़ी को रू ब रू कराने के उद्देश्य से वन अनुसंधान रेंज में पदम महोत्सव मनाया गया। विशेषज्ञों ने जापान के राष्ट्रीय फूल चेरी ब्लासम की तर्ज पर उत्तराखंड में पदम फेस्टिवल को पर्यावरणीय पर्यटन से जोड़ बड़ा स्वरूप देने की वकालत की।
पर्यावरण विशेषज्ञ डा. रमेश सिंह बिष्ट ने कहा कि मधुमक्खियों का परागण के जरिये बेहतर अनाज उत्पादन में बड़ा योगदान है। जब शरदकाल की शुरूआत में फूल समाप्त होने लगते हैं तब प्रकृति पदम के पेड़ को फूलों से भर देती है जो मधुमक्खियों का पालन करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों पर्यावरण प्रेम की सीख देते हुए इस बहुपयोगी वनस्पति के संरक्षण के लिए अन्य लोगों को भी प्रेरित करने को कहा।
उत्तराखंड में गुरुवार को पहली बार गुरुवार को धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व वाली वनस्पति को इको टूरिज्म से जोड़ने के उद्देश्य से पदम महोत्सव मनाया गया। यहां वन अनुसंधान केंद्र कालिका के रायएस्टेट स्थित बीज शोध इकाई परिसर में विद्यार्थियों व शिक्षिकाओं ने उत्सुकता व उत्साह के साथ हिस्सा लिया। मुख्य वक्ता पर्यावरण विशेषज्ञ डा. रमेश सिंह बिष्ट ने बच्चों को पेड़ पौधों का जीवन में महत्व को बखूबी समझाया। उन्होंने पदम के वानस्पतिक नाम, कुल, प्रजाति आदि के बारे में बताते हुए कहा कि जापान में चेरी ब्लासम फेस्टिवल शुरूआत में महोत्सव के रूप में मनाया गया था।
आज वह जापान के पर्यावरणीय पर्यटन का अनूठा उदाहरण बन चुका है। उन्होंने वनाधिकारियों से पदम महोत्सव को भी बड़ा स्वरूप देकर ट्रेल वाक विकसित करने का सुझाव दिया। ताकि सर्दी की शुरूआत में खिलने वाले खूबसूरत फूलों के प्रति पर्यटकों, शोधार्थियों व आम लोगों को आकर्षित कर पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सके।
वन क्षेत्राधिकारी अनुसंधान प्रदीप जोशी ने भी विचार रखे। आदर्श जीजीआइसी व मिशन इंटर कालेज के बच्चों ने जिज्ञासा शांत की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि शिक्षिका गरिमा पंत, पूनम पडलिया व विनय सिंह, ग्राम प्रधान मंजुला बिष्ट, क्षेत्राधिकारी (सांख्यिकी) मोहन सिंह भंडारी, वन दरोगा हर सिंह कुवार्बी, शुभम बमेठा, नंदाबल्लभ तिवारी, चंचल सिंह भंडारी व गोपाल गिरि, वन आरक्षी हेमलता, अनुसंधान सहायक अंजू भंडारी आदि मौजूद रहीं।

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