Bageshwar News: पिंडरघाटी में लगे पांच बीएसएनएल टावर ठप, 10 हजार से अधिक उपभोक्ता परेशान
बागेश्वर जिले की पिंडर घाटी में बीएसएनएल के पांच टावर बिजली की समस्या के कारण ठप हैं जिससे 10 हजार से अधिक उपभोक्ता परेशान हैं। जनरेटर की सुविधा न होने के कारण बीएसएनएल ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। जिला पंचायत द्वारा नियुक्त कर्मचारी भी संचार सेवा को सुचारू नहीं कर पाए हैं। विधायक कपकोट ने टावरों को बीएसएनएल को हस्तांतरित करने का सुझाव दिया है।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर। पिंडर घाटी के कर्मी, सरण, बदियाकोट, धूर समेत पांच स्थानों पर लगे बीएसएनएल टावर ठप हैं। जिसके कारण 10 हजार से अधिक उपभोक्ता परेशान हैं। यह टावर बिजली जाते ही शोपीस बन जाते हैं।
जनरेटर आदि की सुविधा नहीं होने से बीएसएनएल ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। वहीं, जिला पंचायत ने भी दो टावरों की देखरेख के लिए एक व्यक्ति को नियुक्त किया है। बावजूद संचार सेवा पटरी पर नहीं आ सकी है।
कपकोट के उच्च हिमालयी गांवों में संचार सेवा चुस्त-दुरुस्त करने के लिए 35 बीएसएनएल टावर लगे हैं। जिसमें 10 पुराने तथा 25 नए शामिल हैं। सभी टावर फोर जी सेवा देते हैं। कर्मी तथा सोराग में जिला पंचायत पर टावरों की देखरेख का जिम्मा है।
यहां प्रतिमाह 12500 रुपये एक व्यक्ति को जिला पंचायत पिछले तीन माह से मानदेय भी दे रही है। हालांकि यह मानदेय बीएसएनएल के अधिकारियों की संस्तुति के बाद ही दिया जाता है। आपदा के कारण ऊर्जा निगम को सबसे अधिक नुकसान हुआ है।
हिमालयी क्षेत्रों में बिजली की लाइन आदि भी क्षतिग्रस्त हैं। जिसके कारण बिजली की आपूर्ति नहीं होने पर यह टावर शोपीस बन रहे हैं।
बीएसएनएल के पास स्टाप की कमी
बीएसएनएल के पास स्टाप की कमी है। एक जूनियर इंजीनियर पिछले चार वर्ष से काम पर नहीं लौटे हैं। उनके ऊपर रवांईखाल के समीप काम कराते समय बिजली का पोल गिर गया था। उनका अभी भी उपचार चल रहा है। दूसरे जेई भी मेडिकल अवकाश पर हैं। जबकि जेटीओ की भी तबीयत खराब है।
कर्मी, खाती, बोरबलड़ा, सोराग में पहले यह टावर सटेलाइट से चलते थे। जिला पंचायत ने कपकोट से कर्मी तथा सोराग तक केबिल डालने का काम किया। अब वहां फोर जी सेवा है। बिजली के कारण ही टावर काम करना बंद करते हैं। वहां अभी जनरेटर की सुविधा नहीं है। जिसके लिए उच्चाधिकारियों से पत्राचार किया गया है।
-आशीष निगम, एसटीओ, बीएसएनएल।
टावरों को जिला पंचायत संचालित कर रही है। जिसके कारण इनके रखरखाव आदि की समस्या बनी रहती है। उपभोक्ता टावर बंद होने से परेशान रहते हैं। पंचायतों में विकास के लिए आने वाले धन का भी टावरों की मरम्मत आदि में दुरुपयोग हो रहा हे। टावरों को बीएसएनएल को हस्तांतरित करने के लिए पत्र लिखना चाहिए।
-सुरेश गढ़िया, विधायक, कपकोट।
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