PM Modi Dehradun: संवाद में शामिल हुए उत्तराखंड के ‘कीवी मैन’, पीएम मोदी ने पूछा ये सवाल
प्रधानमंत्री मोदी ने देहरादून में उत्तराखंड के 'कीवी मैन' के साथ संवाद किया। उन्होंने कीवी की खेती और उससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। इस संवाद का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड में कृषि विकास को बढ़ावा देना और किसानों को प्रोत्साहित करना था।

कीवी मैन’ भवान सिंह कोरंगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में भाग लेकर अपनी बात रखी। जागरण
जागरण संवाददाता, बागेश्वर। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर जिले के लिए गर्व का क्षण रहा, जब जिले के ‘कीवी मैन’ भवान सिंह कोरंगा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में भाग लेकर अपनी बात रखी। देहरादून राजधानी में आयोजित इस राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड में कृषि, उद्यान से सिर्फ कपकोट तहसील के शामा निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक भवान सिंह कोरंगा से संवाद किया।
प्रधानमंत्री ने उनसे उनके संघर्ष, नवाचार तथा कीवी की खेती को आत्मनिर्भरता के प्रतीक के रूप में प्रोत्साहन देने के अनुभव साझा किए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भवान सिंह कोरंगा का प्रयास न केवल जैविक खेती तथा उद्यानिकी के क्षेत्र में मिसाल है, बल्कि यह सरकार की ‘वोकल फॉर लोकल’ तथा ‘आत्मनिर्भर भारत’ की भावना को भी सशक्त बनाता है।
भवान सिंह कोरंगा ने बताया कि 40 वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में सेवा के बाद वह दो हेक्टेयर भूमि में कीवी की खेती कर रहे हैं। प्रधानमंत्री से उनकी लगभग साढ़े तीन मिनट बात हुई। प्रधानमंत्री ने उनसे कीवी उत्पादन, विपणन, किसानों को लाभ तथा जैविक खेती के बारे में पूछा।
कोरंगा ने बताया कि उनके पास 650 कीवी के पौधे हैं। नर्सरी भी स्थापित की है। प्रसंस्करण इकाई भी लगा दी है। उनसे 300 किसान प्रेरित हुए हैं। कीवी की खेती कर रहे हैं। हल्द्वानी, लखनऊ, बरेली, रामनगर, देहरादून आदि मंडी में कीवी जा रही है।
कीवी मैन कोरंगा सेवानिवृत्त शिक्षक
कीवी मैन कोरंगा ने कीवी उत्पादन में अपनी उपलब्धियों, पहाड़ी क्षेत्र में बागवानी की संभावनाओं तथा सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़ा अपना अनुभव साझा किया। कोरंगा सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, उन्होंने अपने जुनून तथा प्रयासों से कीवी की खेती को एक नई पहचान दी है। उनकी पहल से न केवल क्षेत्र के किसानों को प्रेरणा मिली है बल्कि बागेश्वर जिला प्रशासन और उद्यान विभाग की नवाचार योजनाओं को भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। प्रधानमंत्री ने उनके कार्य की सराहना करते हुए आत्मनिर्भर भारत तथा पर्वतीय कृषि को मजबूत करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने पर बल दिया।

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