Updated: Thu, 15 May 2025 08:43 PM (IST)
Pushkar Kumbh Begins माणा गांव के पास केशव प्रयाग में 12 वर्ष बाद पुष्कर कुंभ की शुरुआत हुई जिसमें 1000 से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई। बृहस्पति के मिथुन राशि में प्रवेश करने पर यह कुंभ होता है जिसमें वैष्णव मतावलंबी भाग लेते हैं। मान्यता है कि यहां महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। देश के प्रथम गांव माणा के पास अलकनंदा व सरस्वती नदी के संगम केशव प्रयाग में 12 वर्ष बाद मां सरस्वती के आह्वान के साथ पुष्कर कुंभ की विधिवत शुरुआत हो गई। गुरुवार को एक हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में आस्था की डुबकी लगाई।
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वहीं, पुष्कर कुंभ शुरू होने के साथ माणा गांव में तीर्थ यात्रियों की आवाजाही भी बढ़ गई है। परंपरा के अनुसार 12 वर्ष बाद बृहस्पति ग्रह जब मिथुन राशि में प्रवेश करता है, तब माणा गांव में अलकनंदा व सरस्वती नदी के संगम पर पुष्कर कुंभ का आयोजन होता है।
इसमें मुख्य रूप से दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलंबी प्रतिभाग करते हैं। मान्यता है कि माणा गांव के पास स्थित केशव प्रयाग में महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना की थी। यह भी कहा जाता है कि दक्षिण भारत के महान आचार्य रामानुजाचार्य और माधवाचार्य ने इसी स्थान पर मां सरस्वती से ज्ञान प्राप्त किया।
इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए दक्षिण भारत के वैष्णव मतावलंबी पुष्कर कुंभ के योग पर यहां एकत्र होते हैं। जिलाधिकारी डा. संदीप तिवारी ने बताया कि पुष्कर कुंभ को लेकर माणा में पैदल मार्ग का सुधारीकरण किया गया है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मार्ग पर विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए हैं।
साथ ही कुंभ के सुचारु संचालन के लिए पैदल मार्ग पर पुलिस की तैनाती की गई है। संगम तट पर भी एसडीआरएफ के जवान तैनात हैं। बताया कि जोशीमठ तहसील प्रशासन को व्यवस्थाएं सुचारु रखने के लिए नियमित मानीटरिंग के निर्देश दिए गए हैं।
थानाध्यक्ष व चौकी प्रभारी संभाले हैं मोर्चा
केशवप्रयाग तक पहुंचने वाला मार्ग कुछ स्थानों पर संकरा है, जिससे श्रद्धालुओं को आवागमन में असुविधा हो रही है। विशेषकर बुजुर्ग, महिला व बच्चों के लिए रास्ता चुनौतीपूर्ण हो गया है। इसी को ध्यान में रख पुलिस बराबर श्रद्धालुओं का सहयोग कर रही है। बदरीनाथ के थानाध्यक्ष नवनीत भंडारी व माणा चौकी के प्रभारी विजय प्रकाश स्वयं पुलिस बल के साथ इस संकरे मार्ग पर तैनात हैं। वे व्यवस्था संभालने के साथ श्रद्धालुओं की हरसंभव सहायता भी कर रहे हैं।
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