उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बर्फबारी, संतोपथ गए 40 से ज्यादा सैलानी और गाइड फंसे
ख़राब मौसम के कारण बदरीनाथ के माणा से संतोपथ जा रहे 40 से अधिक पर्यटक बर्फबारी में फँस गए। प्रशासन और नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की टीमें उन्हें बचाने के लिए रवाना हो गई हैं। पर्यटक माणा से 25 किमी दूर संतोपथ ट्रेकिंग रूट पर गए थे। बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हो गए हैं। पर्यटकों के पास भोजन और गाइड उपलब्ध हैं।

संवाद सहयोगी, जागरण गोपेश्वर। मौसम की दुश्वारियां पर्यटन कारोबार पर भी भारी पड़ी है। बदरीनाथ माणा से संतोपथ गए 40 से अधिक पर्यटक बर्फबारी में जगह जगह फंसे हैं। हालांकि प्रशासन व नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क के अधिकारियों ने उन्हें वापस बुलाने के लिए टीम भेजी है।
बताया गया कि लगभग 40 से अधिक पर्यटक, पोर्टर, गाइड नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के अनुमति से बदरीनाथ माणा से संपोपथ ट्रेकिंग रुट पर गए हैं। बताया गया कि यह ट्रेक माणा से 25 किमी दूरी का है। इस पूरे क्षेत्र में कोई भी नहीं रहता है। लिहाजा पर्यटकों को टूर आपॅरेटरों के माध्यम से भाजन आदि के माध्यम से जाना पड़ता है। इस ट्रेक पर माणा से 10 किमी आगे लक्ष्मी वन से संपोपथ तक बर्फ की सफेद चादर जमी हुई है।
प्रशासन के निर्देशों के बाद नंदा देवी राष्ट्र्रीय पार्क ने पर्यटकों को रोकने के लिए कर्मी भेजे गए है। बताया कि सभी पर्यटक लक्ष्मी वन व संतोपथ में सुरक्षित है जिन्हें वापस माणा लाया जा रहा है। हालांकि दो दिनों से किसी को भी वर्षा के अलर्ट के चलते संतोपथ रुट पर जाने की अनुमति नहीं दी गई है। वन विभाग मौसम व संतोपथ रुट का अध्ययन करने के बाद अनुमति जारी करेगा।
संतोपथ ट्रेकिंग पर गए कंम्यूटर साइंस के इंजीनियर अभय सिंह ने बताया कि इस रुट पर बर्फबारी से दिक्कतें हुई है। पर्यटक अपने कैंपों व गुफाओं में फिलहाल सुरक्षित है। पर्यटकों के पास पर्याप्त भोजन के साथ गाइड भी उपलब्ध हैं।
माणा से संतोपथ के लिए गए थे पांडव
मान्यता है कि पांडव राजपाट छोड़ने के बाद पांचों भाई पांडव द्रोपदी सहित इसी रास्ते से स्वर्ग गए थे। भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव व द्रोपदी तो स्वर्गारोहिणी पहुंचने से पहले ही मृत्यु को प्राप्त हो गए। लेकिन, धर्मराज युधिष्ठिर ने एक स्वान के साथ पुष्पक विमान से सशरीर स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया
तीन पड़ावों से गुजरते हैं यात्री
स्वर्गारोहिणी की यात्रा बेहद विकट है। बदरीनाथ धाम से 10 किमी की दूरी पर लक्ष्मी वन (भोजपत्र का विशाल जंगल), फिर 10 किमी आगे चक्रतीर्थ और उसके बाद छह किमी आगे सतोपंथ पड़ता है। यहां से चार किमी खड़ी चढ़ाई चढ़कर होते हैं स्वर्गारोहिणी के दर्शन। प्राचीन काल में यात्री इन्हीं पड़ावों पर स्थित गुफाओं में रात्रि विश्राम करते थे। परंतु, अब यात्री साथ में टेंट ले जाते हैं।
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