पहाड़ों में भालू के बढ़ते हमलों को देखते वन विभाग अलर्ट, बचने के लिए बनाया यह मास्टर प्लान
पहाड़ी क्षेत्रों में भालुओं के बढ़ते हमलों से चिंतित वन विभाग अलर्ट पर है। विभाग ने लोगों से समूह में चलने और घरों के आसपास सफाई रखने की अपील की है। भालू की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन सर्वे किया जाएगा। घायल व्यक्तियों को तत्काल सहायता पहुंचाने और भालुओं को प्राकृतिक आवास में भोजन उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। पहाड़ी क्षेत्रों में हाल के दिनों में भालुओं की बढ़ते हमले और मानव-भालू संघर्ष की घटनाओं को देखते हुए वन विभाग अलर्ट मोड़ पर आ गया है। प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक आरके मिश्र ने सभी वन संरक्षकों, निदेशकों, प्रभागीय वनाधिकारियों एवं उप निदेशकों को दिशानिर्देश जारी किए हैं।
बताया कि शीत ऋतु भालुओं की शीत निंद्रा अवधि होती है, लेकिन बदलते मौसम, भोजन की कमी, कूड़े के दुरुपयोग और आवासीय दबाव जैसे कारणों से कई क्षेत्रों में भालू असामान्य रूप से सक्रिय देखे जा रहे हैं। इस वजह से मानव-भालू संघर्ष की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है।
स्थानीय स्तर पर करने होंगे सुरक्षा के इंतजाम
वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे सुबह और शाम के समय अकेले जंगल न जाएं और समूह में ही जाने का प्रयास करें। जनजागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को भालू से बचाव के तरीके बताए जाएंगे। साथ ही घरों और रास्तों पर कूड़ा न फेंकने, आबादी क्षेत्रों में पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था करने, सोलर लाइट और मजबूत बाड़ लगाने के लिए प्रेरित करने को कहा गया है। गौशालाओं, शौचालयों और घरों के आसपास झाड़ियों की नियमित सफाई विशेष रूप से शीतकाल में अनिवार्य बताई गई है।
वन क्षेत्र और आसपास ड्रोन सर्वे करें
भालू की गतिविधियों वाले क्षेत्रों की पहचान के लिए कैमरा ट्रैप, पगमार्क अध्ययन और आवश्यक होने पर ड्रोन सर्वे के निर्देश दिए गए हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में क्विक रिस्पांस टीम और फील्ड स्टाफ की ओर से पैदल गश्त की जाएगी। वायरलेस, मोबाइल अलर्ट और वाट्सएप समूहों को सक्रिय रखने पर भी जोर दिया गया है। अधिकारियों को यह भी चेताया गया है कि यदि भालू अपने शावकों के साथ दिखे तो अतिरिक्त सतर्कता बरती जाए।
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घटना के समय भालू के व्यवहार का अध्ययन जरूरी
किसी भी घटना की सूचना मिलते ही विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसमें जीपीएस लोकेशन, समय और भालू के व्यवहार का उल्लेख होगा। वन कर्मियों की टीम को तुरंत घटनास्थल पर भेजा जाएगा और उनके पास ट्रेंक्यूलाइजिंग किट, प्रोटेक्टिव गियर, रेस्क्यू नेट, फर्स्ट एड किट और संचार उपकरण जरूरी होंगे। भीड़ को दूर रखना, भालू की स्थिति का आकलन करना और आवश्यकता अनुसार सुरक्षित रेस्क्यू ऑपरेशन करना अनिवार्य किया गया है। घायल व्यक्तियों को तत्काल अस्पताल पहुंचाने और अनुग्रह राशि की प्रक्रिया शीघ्र शुरू करने के भी निर्देश हैं।
भालुओं को प्राकृतिक आवास में भोजन उपलब्ध करना होगा
भालुओं को प्राकृतिक आवास में भोजन उपलब्ध कराने के लिए ओक, काफल और जंगली बेरी जैसे खाद्य पौधों का रोपण व संरक्षण करने पर जोर दिया गया है। अधिक भालू घनत्व वाले क्षेत्रों में उनके आवास स्थलों के संरक्षण को भी प्राथमिकता देने की बात कही गई है।

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