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    एफडीए का आदेश हवा, उत्‍तराखंड के मेडिकल स्‍टोर्स में खुलेआम बिक रही बच्चों की 'मौत'

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 04:14 PM (IST)

    उत्तराखंड में एफडीए के निर्देशों के बावजूद देहरादून के मेडिकल स्टोरों में बच्चों के कफ सीरप बिना पर्ची के खुलेआम बिक रहे हैं। दैनिक जागरण की पड़ताल में यह सामने आया कि कांवली रोड बल्लीवाला चौक और चकराता रोड जैसे इलाकों में आसानी से सीरप उपलब्ध है। एफडीए ने दवा विक्रेताओं को डॉक्टरों के पर्चे पर ही दवा बेचने के निर्देश दिए हैं।

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    अधिकांश मेडिकल स्टोर में आसानी से मिल जा रहा छोटे बच्चों की खांसी का सीरप। प्रतीकात्‍मक

    सुमित थपलियाल, जागरण देहरादून। राजस्थान और मध्य प्रदेश में कफ सीरप के सेवन से बच्चों के बीमार होने व मृत्यु की घटना के बाद उत्तराखंड के खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने दवा विक्रेताओं से पंजीकृत चिकित्सकों के पर्चे पर ही बच्चों का कफ सीरप देने के निर्देश तो दिए, लेकिन एफडीए का यह आदेश हवा हवाई साबित हो रहा है।

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    शहर में मेडिकल स्टोर पर खुलेआम बच्चों के कफ सीरप और दवा बिना चिकित्सीय परामर्श के बेचे जा रहे हैं। वहीं कई जगहों पर चिकित्सकों की ओर से लिखे गए सीरप के बदले दूसरी कंपनी के सीरप पकड़ाए जा रहे हैं। अधिकांश लोग बच्चों के जुकाम से कफ जमने की शिकायत कर दवाएं ले रहे थे।

    कई मेडिकल संचालक अपने मनमुताबिक कंपनी की दवाएं दे रहे थे। दैनिक जागरण ने शहर के विभिन्न क्षेत्रों में मेडिकल स्टोर की पड़ताल की तो यहां आसानी से बच्चों के लिए मांगने पर कफ सीरप और दवा मिलती दिखीं।

    सुबह पौने बाहर बजे कांवली रोड स्थित मेडिकल स्टोर पर पहुंचे और वहां बैठे एक नौजवान से पूछा कि पांच वर्ष के बच्चे के लिए कफ सीरप चाहिए, खांसी है, मिल जाएगी। तो तुरंत कहने लगे कि हां मिल जाएगी। यहीं पर एक अन्य व्यक्ति ने भी खासी का सीरप लिया तो उन्हें भी जाते ही आसानी से मिल गई। इसी तरह आगे बढ़ने पर बल्लीवाला चौक के पास कैमिस्ट में बच्चों के लिए सीरप पूछने पर एकदम से सीरप उठाकर ले आए और बोले की 70 रुपये की है।

    यहीं से आगे चलते हुए चकराता रोड पहुंचने पर एक मेडिकल स्टोर में गए तो वहां चार वर्ष के बच्चों के लिए सीरप मांगा तो दुकानदार ने एक सीरप की बोतल उठाकर काउंटर पर रखी और बोला कि ले जाइए अच्छा वाला है। कंपनी का लोगों को भी हम यही देते हैं। तिलक रोड स्थित मेडिकोज में पहुंचे तो यहां सीरप लेने वालों की भीड़ लगी थी।

    जब विक्रेता से पूछा गया कि कफ सीरप बच्चे के लिए चाहिए तो उन्होंने बिना पर्चा मांगें निकालकर दे दी। देहराखास के पास मेडिकल स्टोर में खांसी का सीरप मांगने पर स्टोर संचालक ने पूछा किसके लिए चाहिए तो बताया गया कि बच्चे के लिए। यहां भी बिना पर्चा लिए दवा मिल गई।

    एफडीए ने दिए हैं निर्देश

    एफडीए ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी सलाह के अनुरूप बच्चों की खांसी और जुकाम की दवा का सही और सुरक्षित उपयोग के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए। जिसमें सभी दवा विक्रेताओं से कहा गया है कि पंजीकृत चिकित्सक के पर्चे पर ही बच्चों को कफ सीरप दिया जाए। वहीं, डेक्सट्रोमेथारफन युक्त खासीं का सिरप क्लोर्फेनिरामाइन मेलीएट फेनाइलएफ्रिन हाइड्रोक्लोराइड संयोजन वाली दवा चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए प्रतिबंधित है।

    डेक्सट्रोमेथारफन के सभी फार्मूला अगले आदेश तक रोके

    देहरादून, ऋषिकेश, विकासनगर में तकरीबन 6500 दुकानों ने ड्रग विभाग से लाइसेंस लिया है। इसमें होलसेल व रिटेलर दोनों शामिल हैं। होलसेल कैमिस्ट एसोसिएशन देहरादून के अध्यक्ष संजीव तनेजा ने बताया कि एफडीए के आदेश का पूरा पालन किया जा रहा है। डेक्सट्रोमेथारफन के सभी फार्मूला अगले आदेश तक रोक दिए हैं। चिकित्सक बड़ों के लिए यह खासी की दवा लिखें और घर में उसका उपयोग बच्चे न करें इसलिए 100 एमएल की खांसी की दवा व टैबलेट भी रोकने के लिए रिटेलर को बोला गया है।

    पहले तीन दिनों में विभिन्न जिलों से 63 औषधियों के सैंपल जांच को भेजे गए हैं। जिनकी रिपोर्ट जल्द आएगी। देहरादून में तीन इंस्पेक्टर दवाओं की जांच को लेकर विभिन्न स्टोर पर जाकर सैंपल ले रहे हैं। हो सकता है कहीं पर बच्चों का सीरप मिल रहा हो इसके लिए टीम को और सक्रिय रहने को कहा गया है। दवा विक्रेताओं से पूर्व में भी कहा गया है कि बिना किसी पंजीकृत चिकित्सक के पर्चे पर बच्चों की खांसी की दवा न बेची जाए और न ही वितरित की जाए। आदेश का पालन करने वालों के विरुद्ध ड्रग्स अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। - ताजबर सिंह जग्गी, अपर आयुक्त खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन।

    चिकित्सक को दिखाएं और परामर्श पर ही लें दवा

    राजकीय दून मेडिकल कालेज अस्पताल के बाल रोग विभाग के एचओडी प्रोफसर डा. अशोक कुमार का कहना है वर्षा के चलते इस मौसम में बदलाव हो रहा है। जो बच्चों के लिहाज से संवेदनशील है। क्योंकि इस मौसम में वायरल पनपने के मामले ज्यादा आते हैं।

    • बच्चों में वायरल पहले पांच से सात दिन में ठीक हो जाता था लेकिन अब इसी को 10-12 दिन लग रहे हैं। सर्दी, खांसी और जुकाम इसमें शामिल है।
    • जिन बच्चों को टीका लगा हो उनमे वायरल डिजीज की संभावना कम रहती है।
    • ऐसे में इस मौसम में बच्चों को खूब पानी पिलाएं, उनका हाइड्रेशन ठीक रखें, बाहर जा रहे हैं तो कपड़े अच्छे से पहना लें, अभिभावक व स्कूल भी बच्चों के प्रति जागरूक हों।
    • यदि बच्चे में वायरल की शिकायत है तो उसे पांच दिनों तक स्कूल न भेजें क्योंकि स्कूल भेजेंगे तो अन्य बच्चों में खतरा बढ़ सकता है।
    • सबसे बड़ी बात कि यदि वायरल है तो कहीं भी मेडिकल से ऐसे ही दवा न लें। चिकित्सक को दिखाएं और परामर्श पर ही दवा लें।