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    उत्तराखंड में जैविक व प्राकृतिक कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए खुलेंगी मंडियां, कृषि मंत्री गणेश जोशी ने बताया पूरा प्लान

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 09:11 AM (IST)

    उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद ने जैविक खेती के साथ प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। परिषद का नाम बदलने पर भी सहमति बनी है। प्रदेश में जैविक और प्राकृतिक उत्पादों की बिक्री के लिए मंडियां स्थापित की जाएंगी जो राष्ट्रीय ई-बाजार की तरह काम करेंगी। कृषि मंत्री गणेश जोशी ने किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित करने पर जोर दिया है।

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    देहरादून में किसान भवन में आयोजित जैविक उत्पाद परिषद की बैठक को संबोधित करते कृषि मंत्री गणेश जोशी।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद अब राज्य में जैविक खेती के साथ ही प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य करेगा। कृषि मंत्री गणेश जोशी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई परिषद की 26वीं बोर्ड बैठक में यह निर्णय लिया गया।

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    यह भी तय किया गया कि जैविक व प्राकृतिक कृषि उत्पादों की उचित दर पर बिक्री के दृष्टिगत प्रदेश के चुनिंदा स्थानों पर मंडियों की स्थापना की जाएंगी। ये राष्ट्रीय ई-बाजार की तर्ज पर संचालित की जाएंगी।

    रिंग रोड स्थित किसान भवन में हुई परिषद की बैठक में विभिन्न प्रस्तावों पर चर्चा के बाद स्वीकृति दी गई। इसी क्रम में उत्तराखंड जैविक उत्पाद परिषद का नाम बदलकर उत्तराखंड जैविक एवं प्राकृतिक उत्पाद परिषद करने पर सहमति दी गई।

    बैठक में एपीडा की गाइडलाइन के अनुसार प्रक्षेत्रीय गतिविधियों के संचालन के लिए प्रत्येक जिले में तैनात परिषद के तकनीकी अधिकारी, सहायक विपणन अधिकारी व आंतरिक निरीक्षक को कार्यालय उपलब्ध कराने का प्रस्ताव भी पारित किया गया।

    कृषि मंत्री जोशी ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि राज्य में प्राकृतिक खेती की परंपरा रही है। किसानों को इस दिशा में प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, ताकि राज्य को प्राकृतिक व जैविक कृषि उत्पादों के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके।

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    उन्होंने किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रेरित करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य करने के अधिकारियों को निर्देश दिए। बैठक का संचालन परिषद के प्रबंध निदेशक विनय कुमार ने किया। इस अवसर पर परिषद के उपाध्यक्ष भूपेश कुमार, मनोनीत सदस्य निरंजन डोभाल, गिरीश बलूनी सहित कृषि, उद्यान, रेशम, सगंध पौधा केंद्र, जड़ी बूटी केंद्र, पंतनगर विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।