Dehradun Cloudburst: घर में घुसने लगा पानी, फिर... 11 परिवारों ने आधी रात कैसे जान बचाई? पढ़िए आपबीती
देहरादून के अनारावाला गुच्चुपानी में रात को नदी का पानी घरों में घुसने से 11 परिवारों में अफरा-तफरी मच गई। लोगों ने एक-दूसरे की मदद से अपनी जान बचाई। इस घटना में कई घर क्षतिग्रस्त हो गए और घरों में मलबा भर गया। प्रभावितों को मंदिर समिति ने भोजन उपलब्ध कराया लेकिन उन्हें अभी भी प्रशासन से मदद का इंतजार है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। रात तकरीबन एक बजे अनारावाला गुच्चुपानी में स्विमिंग पूल के पास रहने वाले 11 परिवार के सदस्यों में उस वक्त चीख-पुकार मच गई, जब नदी का पानी एकाएक बढ़कर घरों की दीवार को तोड़कर अंदर भर गया।
लोग खुद ही एक-दूसरे का हाथ पकड़कर बाहर निकलने लगे। दरवाजा खोला तो सामने नदी का इस तरह रौद्र रूप था कि कदम आगे नहीं बढ़ सके। इसलिए घरों के पिछले रास्ते से लगी कंटीली तारों को दरांती व खुखरी से काटकर वहां से रिजार्ट की तरफ भागकर जान बचाई।
मंगलवार को दैनिक जागरण की टीम जब यहां क्षेत्र में पहुंची तो प्रभावितों ने इसी तरह अपनी आपबीती सुनाई। यहां पर 11 घरों में नदी का पानी और मलबा घुस गया। जबकि घरों के आगे की रैलिंग व दो दोपहिया वाहन नदी में बह गए। कुछ घरों में काम के लिए रखी गई ईंटे और रेत भी नदी में समा गए।
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इन घरों में रहने वाले 110 लोगों ने रात को किसी तरह जान बचाई और सुबह राहत की सांस ली। हालांकि, नदी का पानी जब कम हुआ तो सभी अपने घर लौटे। लेकिन वहां की स्थिति देख हैरान रह गए।
दो घरों के तीन कमरे टूटकर नदी में बह गए। घरों में बच्चों की किताबों, बस्ता, राशन, कपड़े, सोफा, बिस्तर सभी मलबे से खराब हो गए। कमरों में मलबा भरा रहा। दिनभर लोग फावड़ा और बेलचा से मलबा को बाहर निकालते रहे तो कुछ कपड़ों को लेकर नदी तट पर धोने पहुंचे।
लोगों का कहना है कि प्रशासन की टीम यहां नहीं पहुंची और ना ही उनकी समस्या को जाना। मंदिर समिति की ओर से खाना उपलब्ध कराया गया। रात को घर में रहने से भय लगता है, इसलिए एक-दो दिन तक-दूसरों के घरों में शरण लेनी पड़ेगी। वहीं क्षेत्रीय पार्षद सागर लांबा ने बताया कि प्रभावितों का पूरा ध्यान रखा गया है। रहने से लेकर उनके खाने के लिए सहयोग किया गया है।
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गहरी नींद में परिवार के साथ सोए थे। पानी के तेज शोर से नींद खुल गई। पड़ोस में लोग चिल्लाने लगे तो उठकर देखा कि पूरा पानी-पानी हो चुका है। पहले बच्चों व महिलाओं को बाहर निकला और फिर खुद ही यहां से रिसार्ट की तरफ निकले।
- जगत गिरी
हम यहां 12 वर्ष से रह रहे हैं, लेकिन वर्षाकाल में इस तरह नदी का पानी घर तक नहीं आया। रात के समय जब पानी आया तो सभी घबरा गए थे। खासतौर पर बच्चे व महिलाएं चिल्लाने लगे तो उन्हें किसी तरह समझाया और सुरक्षित पहुंचाया।
-प्रकाश लामा
दिहाड़ी मजदूरी करने के बाद किसी तरह घर बनाया था। लेकिन एकाएक सभी कुछ बर्बाद हो गया। कुछ लोगों के मकान भी नदी में बह गए। नदी बड़े-बड़े बोल्डर के साथ शोर कर रही थी तो भय बढ़ता जा रहा था। प्रशासन से कोई टीम स्थिति जानने नहीं पहुंची।
- धनकुमारी थापा
संकट की घड़ी में सभी लोगों ने एकजुटता दिखाई और जो भी घरों में बुजुर्ग, बीमार और बच्चे थे उनका ख्याल रखा। घर के आगे से बह रही नदी को पार करना आसान नहीं था, इसलिए पीछे से लगी तारबाड़ को काटकर वहां से बाहर जाने का रास्ता बनाया।
- पूनम गिरी
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