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    उत्‍तराखंड में सरकारी अस्पताल की हालत, मंत्री के रिश्‍तेदार तक को समय पर इलाज नहीं

    Updated: Sun, 24 Aug 2025 06:17 PM (IST)

    देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही का मामला सामने आया है। एक कैबिनेट मंत्री के 79 वर्षीय परिजन को कैंसर विभाग में सही राय नहीं दी गई और भर्ती करने में देरी की गई। अस्पताल प्रशासन ने नोटिस जारी किए पर स्थिति में सुधार नहीं हुआ। परिजनों को निजी अस्पताल में जांचें करानी पड़ीं। बाद में मरीज को भर्ती किया गया।

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    79 वर्षीय मरीज को न डॉक्टरों ने सही राय दी, न समय पर भर्ती किया. Concept

    जासं, देहरादून। राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज का कैंसर विभाग इन दिनों अव्यवस्था और आपसी टकराव का केंद्र बन गया है। एक ओर विभाग के दो वरिष्ठ डॉक्टरों में ऑनलाइन छुट्टी को लेकर तनातनी चल रही है, तो वहीं दूसरी ओर हाल ही में विभाग की लापरवाही के चलते एक कैबिनेट मंत्री के 79 वर्षीय परिजन को समय पर भर्ती तक नहीं किया गया। इन दोनों घटनाओं ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल दी है।

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    मंत्री के परिजन को समय पर भर्ती नहीं

    कैंसर विभाग में 79 वर्षीय मरीज को तीन दिन तक भर्ती करने में टालमटोल की गई। डॉक्टरों ने न तो सही राय दी और न ही उपचार की प्रक्रिया शुरू की। अंततः हालात बिगड़ने पर मंत्री की पत्नी को खुद अस्पताल आकर गुहार लगानी पड़ी।

    परिजनों को मजबूरी में कुछ जांचें और उपचार निजी अस्पताल में कराने पड़े। अंततः मरीज को 4 अगस्त को वरिष्ठ सर्जन डॉ. अभय कुमार के अधीन भर्ती किया गया। 13 अगस्त तक इलाज चला। परिजनों का कहना था कि अगर समय पर भर्ती हो जाता तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं बनती।

    एमएस और एचओडी की भूमिका सवालों में

    अस्पताल के एमएस डॉ. आरएस बिष्ट ने मामले में गंभीरता दिखाते हुए 24 और 26 जुलाई को विभागाध्यक्ष (एचओडी) डॉ. दौलत सिंह को नोटिस जारी किया। लेकिन इसके बावजूद हालात में सुधार नहीं हुआ। करीब 26 दिन बाद एचओडी ने केवल चेतावनी नोटिस जारी कर मामला निपटा दिया।

    ऑनलाइन छुट्टी पर डॉक्टरों में टकराव

    इसी बीच विभाग के दो वरिष्ठ डॉक्टरों के बीच ऑनलाइन छुट्टी को लेकर विवाद सामने आया है। एक डॉक्टर का आरोप है कि उनका साथी डॉक्टर बिना पूर्व सूचना दिए ऑनलाइन माध्यम से छुट्टी ले लेता है और लिखित आवेदन भी नहीं देता, जिससे विभागीय काम प्रभावित होता है। शिकायत एमएस तक पहुंच चुकी है। इससे पहले भी दोनों डॉक्टरों का विवाद ओपीडी में हाथापाई तक पहुंच चुका है।

    मरीजों की सेवाएं सबसे ज्यादा प्रभावित

    लगातार विवाद और लापरवाही के कारण कैंसर विभाग में मरीजों की सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में देरी मरीज और परिजनों के लिए बेहद तकलीफदेह साबित हो रही है। विभागीय अव्यवस्था की वजह से अस्पताल प्रबंधन की भी किरकिरी हो रही है।

    एमएस का बयान

    एमएस डॉ. आरएस बिष्ट ने स्वीकार किया कि विभाग में गंभीर लापरवाही और अव्यवस्था हुई है। उन्होंने कहा कि छुट्टियों और समन्वय की कमी को लेकर संबंधित डॉक्टरों और एचओडी को चेतावनी दी गई है। मामले की गंभीरता देखते हुए आगे कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।