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    अब दुबई के शेख चखेंगे गढ़वाली सेब का स्‍वाद, देहरादून से 1.2 मीट्रिक टन खेप रवाना

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 10:27 AM (IST)

    देहरादून से दुबई के लिए 1.2 मीट्रिक टन गढ़वाली सेब की पहली खेप भेजी गई। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इसे हरी झंडी दिखाई। यह कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के सहयोग से संभव हुआ। सरकार जैविक खेती और निर्यात को बढ़ावा दे रही है जिससे किसानों की आय बढ़े।

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    देहरादून से दुबई के लिए गढ़वाली सेब की खेप रवाना। जागरण

    जागरण संवाददाता, देहरादून । भारत सरकार के वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने गुरुवार को शहर के होटल से दुबई के लिए 1.2 मीट्रिक टन गढ़वाली सेब(किंग रोट प्रजाति) की पहली परीक्षण खेप को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। वहीं, सेब की खेप के परिणाम बेहतर रहे तो यह किसानों के उत्पादनों के निर्यात के लिए अहम कदम साबित होगा।

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    सचिव बर्थवाल ने कहा कि यह खेप कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के सहयोग से पहुंच पाई है। केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए जैविक खेती व जैविक निर्यात को बढ़ावा देने, कृषि उत्पादों में मूल्य संवर्द्धन और उच्च मूल्य वाले बाजारों में कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस प्रयास कर रही है।

    एपीडा के व्यापक रोडमैप का हिस्सा

    उत्तराखंड के बासमती चावल, मोटे अनाज, राजमा, मसाले, सुगंधित पौधे, शहद, सेब, कीवी, आम, लीची, आड़ू, सेम, मटर, करेला और आलू आदि अन्य सब्जियों के निर्यात की भारी संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। उन्हाेंने कहा कि यह खेप राज्य की कृषि-निर्यात प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए एपीडा के व्यापक रोडमैप का हिस्सा है।

    आगामी दिनों में एपीडा का ध्यान राज्य के बाजरे, मोटे अनाज, जैविक उत्पादों, दलहनों, खट्टे फलों, कीवी, जड़ी-बूटियों व औषधीय पौधों के निर्यात को बढ़ावा देने पर रहेगा। वहीं, किसानों और निर्यातकों को निकटतम सहयोग प्रदान करने के लिए एपीडा शीघ्र दून के आईटी पार्क में उपसक भवन स्थापित करेगा। इस दौरान एपीडा के अध्यक्ष अभिषेक देव, अपर सचिव झरना कमठान, निदेशक डॉ. नृपेंद्र चौहान और एपीडा व राज्य सरकार के अधिकारी मौजूद रहे।

    देवभूमि उपजाऊ मिट्टी से संपन्न

    सचिव बर्थवाल ने कहा कि देवभूमि की मिट्टी पूरी तरह से उपजाऊ है। जो उच्च गुणवत्ता वाली बागवानी फसलों की खेती के लिए बेहतर है। पौड़ी गढ़वाल की पहाड़ियों में उगने वाले सेब विशेष रूप से किंग रोट प्रजाति अपने कुरकुरेपन, स्वाद और प्राकृतिक मिठास के लिए प्रसिद्ध हैं।

    विदेशों में इसकी मांग बढ़ने और निर्यात होने से राज्य के किसानों को लाभ होगा। कहा, एपीडा उत्तराखंड विशिष्ट उत्पादों की वैश्विक पहचान, प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए जैविक प्रमाणन व जीआई टैगिंग की सुविधा भी प्रदान कर रहा है।

    उधर, क्षेत्रीय उत्पादों को वैश्विक खुदरा बाजारों में निर्यात परीक्षण के लिए लुलु समूह से समझौता ज्ञापन साइन किया गया है। बता दें कि वित्तीय वर्ष 2024–25 में भारत से एपीडा-निर्धारित उत्पादों के निर्यात में उत्तराखंड का योगदान 201 करोड़ रहा है। राज्य से मुख्य रूप से अब तक गुड़, कन्फेक्शनरी और ग्वारगम का निर्यात किया गया है।