Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Diwali 2025 Date: उत्तराखंड में किस दिन मनाएं दिवाली, 20 या 21 अक्टूबर? देखें क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य

    Updated: Sun, 19 Oct 2025 08:05 AM (IST)

    इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ ज्योतिषाचार्य 20 अक्टूबर को दीपावली मनाने के पक्ष में हैं, क्योंकि उस दिन अमावस्या तिथि और प्रदोषकाल का शुभ संयोग है। वहीं, उत्तराखंड विद्वत सभा ने पंचांगों का अध्ययन कर 21 अक्टूबर को दीपावली मनाने का निर्णय लिया है, क्योंकि इस दिन स्वाती नक्षत्र में लक्ष्मी पूजा का विधान है।

    Hero Image

    प्रस्तुतीकरण के लिए सांकेतिक तस्वीर का प्रयोग किया गया है।

    जागरण संवाददाता, देहरादून। रोशनी का त्योहार दीपावली इस बार सोमवार और मंगलवार दोनों दिन मनाई जाएगी। कुछ ज्योतिषाचार्यों ने 20 को दीपावली के लिए उपयुक्त तिथि बताई है जबकि कुछ 21 को शास्त्रसम्मत बता रहे हैं।
    बीते कुछ समय से दीपावली की तिथि को लेकर लोग भी असमंजस में रहे। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के धर्माचार्यों, विद्वानों व ज्योतिषाचार्यों ने 20 अक्टूबर को दीपावली दीपावली मनाने का धर्मसम्मत निर्णय लिया है। बद्री-केदार धाम के धर्माधिकारी पंडित राधाकृष्ण थपलियाल का कहना है कि इसी रात को अमावस्या तिथि, प्रदोषकाल और शुभ मुहूर्त का संयोग बन रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     

    कुछ पंडितों ने 20 तो कुछ ने 21 को पूजा के लिए बताया शास्त्रसम्मत

     

    वहीं ज्योतिषाचार्य आचार्य डा. सुशांत राज का कहना है कि कार्तिक अमावस 20 को दोपहर तीन बजकर 44 मिनट से 21 को शाम पांच बजकर 54 मिनट तक रहेगा। चूंकि लक्ष्मी पूजन निशिता काल में की जाती है जो 20 को पड़ रही है। इधर, उत्तराखंड विद्वत सभा के अध्यक्ष हर्षपति गोदियाल, प्रवक्ता विपिन चंद्र डोभाल, पूर्व अध्यक्ष आचार्य विजेंद्र प्रसाद ममगाईं ने बताया कि वर्षों से पंचांग तिथि, व्रत, पर्व, त्योहार अनिश्चितता बनी रहती है।


    21 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी

     

    इस बार दीपावली को लेकर सभा ने पंचांगों का अध्ययन कर ज्योतिषाचार्यों के सहमति के बाद यह निर्णय लिया गया कि 21 अक्टूबर को दीपावली मनाई जाएगी। आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं के अनुसार, वाणी भूषण पंचांग और सरस्वती पंचांग के अनुसार 21 को दीपावली का शास्त्र सम्मत निर्णय है। बताया कि अमावस कुल 26 घंटा 10 मिनट और प्रतिपदा तिथि 26 घंटा 22 मिनट है। ऐसे में सायंकालिक संधिकाल पर लक्ष्मी आगमन का समय शास्त्रसम्मत है।

    किशननगर चौक स्थित राधा कृष्ण मंदिर के पंडित प्रमोद चमोली का कहना है कि अधिकतर पंचांग में लिखा है कि 20 को रात आठ बजकर 17 मिनट पर चित्रा नक्षत्र शुरू हो रहा है तो 10 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। स्वाती नक्षत्र 21 को ही लग रहा है और इसी नक्षत्र में लक्ष्मी पूजा का विधान है।