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    गजब! बैंक में नकली सोना गिरवी रखकर ले लिया 36.16 लाख रुपये का ऋण; मामला देख पुलिस भी हैरान

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 11:47 PM (IST)

    देहरादून में एक चौंकाने वाली घटना में, अपराधियों ने बैंक में नकली सोना गिरवी रखकर 36.16 लाख रुपये का ऋण प्राप्त किया। किश्तें जमा न होने पर बैंक को धोखाधड़ी का पता चला। शाखा प्रबंधक की शिकायत पर पांच आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और बैंक अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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    सांकेतिक तस्वीर।

    जागरण संवाददाता, देहरादून: शातिर अपराधियों ने बैंक में नकली सोना गिरवी रखकर उस पर 36.16 लाख रुपये का ऋण ले लिया। किश्तें जमा न करने पर जब बैंक ने आरोपितों से संपर्क किया तो उन्होंने बात करने से मना कर दिया। शक होने पर बैंक की ओर से जब सोने की जांच कराई गई तो वह नकली निकला।

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    बैंक की शाखा प्रबंधक की तहरीर पर राजपुर थाने में पांच आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है। इस मामले में बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

    इंडियन ओवरसीज बैंक की मालसी शाखा की शाखा प्रबंधक ऋतु गुप्ता ने पुलिस को तहरीर दी। बताया कि 16 अक्टूबर 2024 को राजन निवासी नेवदा हाउसिंग कांपलेक्स, सेवक पार्क एक्सटेंशन उत्तम नगर, दिल्ली शाखा में आया। राजन ने जमीन खरीदने में वित्तीय परेशानी बताकर गहने गिरवी रखकर गोल्ड लोन लिया। इसमें सोने का एक ब्रेस्लेट व एक चेन थी।

    बैक ने मूल्याकंनकर्ता सुधीर को बुलाकर गुणवत्ता एवं मूल्यांकन की रिपोर्ट मांगी, जिसके आधार पर 3.50 लाख रुपये का ऋण राजन के बचत खाते में हस्तांतरित कर दिया। आरोपित ने उसी दिन पूरी धनराशि आइसीआइसीआइ बैंक की दिल्ली स्थित शाखा में स्थानांतरित कर दी।

    दूसरी बार वह 16 दिसंबर 2024 को बैंक शाखा में आया और वित्तीय परेशानी बताकर गहनों को बैंक में गिरवी रखकर 4,48,569 रुपये का ऋण लिया और उसी दिन रकम दूसरे खाते में स्थानांतरित कर दी।

    इसी तरह तीन अन्य किश्तों में नकली सोना जमा कर कुल 36.16 लाख रुपये का गोल्ड लोन लिया। ऋण की मियाद छह माह की थी, लेकिन मियाद पूरी होने के बाद भी जब ऋण का भुगतान नहीं किया गया तो ऋण खाता एनपीओ की ओर अग्रसर हो गया।

    इसी बीच बैंक अधिकारियों ने राजन से संपर्क किया तो हर बार उसने बैंक में आकर जल्द धनराशि जमा कराने का आश्वासन दिया। इसके बाद भी उसने धनराशि जमा नहीं की। बैक अधिकारियों ने धनराशि जमा करने का दबाव बनाया तो राजन ने स्पष्ट कहा कि बैंक उसे बार-बार फोन न करें और बैंक के पास गिरवी रखे आभूषणों को बैंक अपने ऋण की वसूली कर ले।

    शिकायतकर्ता ने बताया कि यह सुनकर गड़बड़ी की संभावना प्रतीत हुई और तत्काल अपने क्षेत्रीय कार्यालय से अपनी शाखा में रखे सभी गिरवी रखे गहनों की जांच करवाई गई। नौ जुलाई 2025 को बैंक के सूचीबद्ध अन्य आभूषण विशेषज्ञों ने गहनों की जांच की तो पता चला कि राजन ने जो गहने गिरवी रखे हैं, वह नकली व मिलावटी हैं।

    आरोपित ने अपने सहयोगी योगेश त्यागी निवासी सीलमपुर दिल्ली, सौरभ सिंह निवासी आइटी पार्क खुदानेवाला, जय शर्मा निवासी शामली, उत्तर प्रदेश व सुनीता थापा निवासी मसूरी रोड, राजपुर को गवाह बनाकर व उनके दस्तावेजों का इस्तेमाल कर बैंक के साथ धोखाधड़ी की। इस मामले में राजपुर थाना पुलिस ने मास्टरमाइंड राजन सोरन उसके साथी सौरभ, योगेश त्यागी, जय शर्मा व सुनीता थापा के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है।

    बैंक अधिकारियों की भूमिका पर भी उठे सवाल

    आमजन को लोन देने से पहले कई आपत्ति लगाने वाले बैंक अधिकारियों ने नकली गहने गिरवी रखकर 36.16 लाख रुपये का गोल्ड लोन पास कर दिया। इससे बैंक अधिकारियों की भूमिका भी पर सवाल उठने लगे हैं।

    सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक ही मूल्याकंनकर्ता से बार-बार गहनों की गुणवत्ता क्यों चेक कराई गई। राजपुर थाना के एसआइ व केस के विवेचक अशोक कुमार ने बताया कि सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है।

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