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    पावर ऑफ अर्टानी के 'खेल' में करोड़ों डकार गया देहरादून का गर्ग परिवार, 11 साल पहले रची थी फर्जीवाड़े की कहानी

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 01:32 PM (IST)

    देहरादून के गर्ग परिवार पर पावर ऑफ अर्टानी के नाम पर करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप है। यह घोटाला 11 साल पहले शुरू हुआ था, जिसमें परिवार ने फर्जीवाड़ा करके भारी रकम हड़प ली। इस मामले की जांच चल रही है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है।

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    गाजियाबाद निवासी ताऊ अतुल गर्ग की एरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी भी शामिल। प्रतीकात्‍मक

    अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून। दून शहर बिल्डरों के लिए नई 'एशगाह' बनता जा रहा है, जहां आवासीय परियोजना के नाम पर कुछ भी लांच करो और निवेशकों से करोड़ों रुपये हड़पकर फरार हो जाओ। पिछले पांच साल में दूसरा बड़ा घोटाला सामने आने से निवेशकों में खलबली तो मची हुई है। सवाल जिम्मेदार एजेंसियों की भूमिका पर भी खड़े होना लाजिमी हैं।

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    दरअसल, यह तो अंदाजा 17 अक्टूबर से ही लगाया जा रहा था कि गर्ग परिवार अचानक लापता तो नहीं हुआ, दाल में कुछ काला जरूर है। हालांकि, पहले मामला दून में रायपुर-थानो रोड की प्लाटिंग परियोजना इंपीरियल वैली से जुड़ा माना जा रहा था, लेकिन अब शुक्रवार को नया 'धमाका' तब हुआ, जब कहानी बिलकुल उलट निकलकर सामने आई। मसूरी रोड की बेश्कीमती आरकेडिया हिलाक्स आवासीय परियोजना में फ्लैटों के नाम पर करोड़ों रुपये हड़पकर फरार बिल्डर गर्ग परिवार के भी विदेश भागने की आशंका जताई जा रही।

    दरअसल, गर्ग परिवार ने पूरे घोटाले की 'पटकथा' मार्च-2014 में रच ली थी। राजपुर थाने में दर्ज मुकदमे के आधार पर जानकारी मिली कि बिल्डर शाश्वत गर्ग के राजनगर, गाजियाबाद निवासी ताऊ अतुल गर्ग ने गोल्डन एरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के साथ संयुक्त रूप से कुठालगेट मसूरी रोड स्थित 7296 वर्गगज की जमीन का करार राजेंद्र कुमार के साथ किया। इसके बाद गोल्डन एरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर हरेंद्र सिंह, सन्नी अग्रवाल, दिनेश कुमार गोयल व अंजली गर्ग ने 18 मार्च-2015 को शाश्वत गर्ग के नाम पावर ऑफअर्टानी कर दी।

    अंजली गर्ग, कोई और नहीं बल्कि शाश्वत की मां हैं। इसी दिन अतुल गर्ग ने भी अपनी हिस्सेदारी की पावर ऑफ अर्टानी शाश्वत के नाम की और उसे न्यायालय में पंजीकृत करा लिया। इसके बाद अतुल गर्ग ने 28 अगस्त- 2017 को अपने भाई व शाश्वत के पिता प्रवीण गर्ग के नाम एक और पावर ऑफ अर्टानी की, जिसमें उसे बकरालगांव स्थित रिहायशी फ्लैट के दो टावर का अधिकार दे दिया गया। यह परियोजना बकरालगांव मसूरी रोड पर है, जिसमें वर्तमान में सात मंजिला आवासीय फ्लैट के कई टावर खड़े हैं। इस संपत्ति पर रेरा ने अक्टूबर 2017 में आरकेडिया हिलाक्स के नाम से गोल्डन एरा इंफ्राटेक को पंजीकृत किया। इसके बाद पूरा 'खेल' शुरू हुआ।

    जिस गोल्डन एरा इंफ्राटेक के नाम का उपयोग कर यह पूरा घोटाला किया गया, उसके असली मालिक और डायरेक्टर भी अतुल गर्ग ही हैं, जबकि पावर ऑफ अर्टानी में अतुल ने ऐसा कोई जिक्र नहीं किया। इसके बाद जब उन्होंने भाई प्रवीण और भतीजे शाश्वत को अधिकृत किया तो आरकेडिया हिलाक्स में निवेशकों के करोड़ों रुपये निवेश कराए गए। फ्लैट बुक किए गए, लेकिन रजिस्ट्री नहीं कराई। पूर्व में जिन फ्लैट की रजिस्ट्री कराई जा चुकी थी, उनके भी फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर बैंक और निजी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी से करोड़ों रुपये का लोन लिया गया। जिस जमीन पर आरकेडिया हिलाक्स का निर्माण हुआ है, उस पर गोल्डन एरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के डेवलपर्स व डायरेक्टर ने विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी बैंकों व वित्तीय संस्थाओं से ऋण लिया हुआ है। बताया गया कि यह ऋण निवेशकों के नाम से फर्जी दस्तावेज बनाकर लिया गया है। आरोप है कि इस प्रोजेक्ट में जिन लोगों के फ्लैट के नाम पर फर्जी तरीके से लोन लिया गया है, उन सभी मालिकों से भुगतान पूरा लिया जा चुका है। अब गर्ग परिवार करीब एक माह से गायब है।

    एमडीडीए ने लगाई हुई थी रजिस्ट्री पर रोक

    शिकायतकर्ता विवेक एस राज ने बताया कि गोल्डन एरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के डेवलपर्स व डायरेक्टर ने मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) को प्रोजेक्ट संबंधी दस्तावेज नहीं दिए। जिस कारण एमडीडीए ने रेरा को पत्र लिखकर प्रोजेक्ट में फ्लैट की रजिस्ट्री करने से रोक लगा दी। पुलिस की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि गोल्डन एरा इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर अतुल गर्ग ने व अन्य बिल्डर ने यह इसलिए किया क्योंकि उनके दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर जाली हस्ताक्षर के साथ फर्जी एग्रीमेंट, अलाटमेंट, सेल एग्रीमेंट आदि लगाए थे। फ्लैट के नाम पर बिल्डरों ने एक संगठित गिरोह बनाकर सेना अधिकारियों को धोखा देकर अनुचित लाभ कमाया।

    इन पर दर्ज हुआ मुकदमा

    शाश्वत गर्ग, उनकी पत्नी साक्षी गर्ग, पिता प्रवीण गर्ग, मां अंजली गर्ग, रिश्तेदार अतुल गर्ग (राजनगर गाजियाबाद उत्तर प्रदेश), शाश्वत का साले सुलभ गोयल व कुशाल गोयल (हापुड़), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया राजपुर देहरादून के अधिकारी एवं कर्मचारी, पिरामल दिवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन के अधिकारी व कर्मचारी राजपुर रोड।

    17 अक्टूबर से परिवार सहित लापता है बिल्डर शास्वत

    बिल्डर शाश्वत गर्ग, पत्नी साक्षी, पिता, मां और बेटे के साथ 17 अक्टूबर से लापता हैं। वह परिवार के साथ 16 अक्टूबर को अपने ससुराल हापुड़ थे और 17 अक्टूबर की दोपहर वहां से देहरादून के लिए निकले थे। वह दो कारों में थे। उनके साले सुलभ गोयल ने हापुड़ कोतवाली में जीजा व उनके परिवार के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई हुई है। इसके बाद रेरा ने गर्ग के दून में एक अन्य प्रोजेक्ट इंपीरियल वैली में प्लाट की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश कर दिए। हालांकि, अब मामला खुला तो पता चला कि मसूरी रोड की आवासीय परियोजना के नाम पर गर्ग परिवार करोड़ों हड़पकर फरार हुआ है।

    इंपीरियल वैली में प्लाट की खरीद-फरोख्त पर है रोक

    संदिग्ध परिस्थिति में परिवार समेत लापता बिल्डर शाश्वत गर्ग की रायपुर-थानो रोड स्थित आवासीय प्लाटिंग परियोजना इंपीरियल वैली में रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) ने जमीनों की खरीद-फरोख्त पर पिछले दिनों रोक लगा दी थी। बिल्डर के लापता होने के बाद से निवेशकों में खलबली मची हुई है और निवेशक कमल गर्ग ने रेरा में शिकायत कर इंपीरियल वैली में जमीनों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाने की मांग की थी। संदेह था कि बिल्डर के लापता होने के बाद पावर ऑफ अर्टानी के माध्यम से प्लाट बेचे जा सकते हैं। कमल गर्ग ने रेरा को बताया था कि उन्होंने 36 बीघा में बन रही इंपीरियल वैली में करीब 40 लाख रुपये का निवेश किया है।

    हरिद्वार पार्किंग में कार मिलने की थी चर्चा

    बिल्डर शाश्वत व उनका परिवार दो कारों में सफर कर रहा था। एक हुंडई क्रेटा कार (यूके07-एफके-0018) व दूसरी हुंडई टिसोन (यूके07-एफएल-9369) कार। सूत्रों की मानें तो इनमें एक कार शाश्वत के दोस्त की है, जिसे हापुड़ पुलिस ने हरिद्वार की एक पार्किंग से बरामद कर लिया था। इस दौरान सीसी कैमरे में शाश्वत ई-रिक्शा में बैठकर पार्किंग से जाते हुए भी दिख रहा। हालांकि, पुलिस अभी इस बारे में कुछ भी बताने से बच रही है।

    गर्ग परिवार के विदेश भागने की चर्चा

    विभिन्न जांच एजेंसियों को चकमा देकर दुबई फरार सहस्रधारा रोड पर आर्किड पार्क आवासीय परियोजना शुरू करने वाले पुष्पांजलि इंफ्राटेक के निदेशक दीपक मित्तल और उनकी पत्नी राखी मित्तल के बाद अब गर्ग परिवार के भी विदेश भागने की चर्चा है। चर्चा है कि परिवार केन्या गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि दीपक व राखी के बाद अब शाश्वत व साक्षी गर्ग भी जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं। बता दें कि दीपक व राखी वर्ष 2020 से फरार है।

    मित्तल दंपती पर 90 फ्लैट खरीदारों से 45 करोड़ रुपये से अधिक रकम हड़पने का आरोप है। पुलिस की ओर से मित्तल दंपती व उनके सहयोगी राजपाल वालिया समेत अन्य पर 10 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। मामले में एसआइटी व ईडी भी जांच कर रहे हैं। वहीं, अब गर्ग परिवार की तलाश को लेकर भी पुलिस की चुनौती बढ़ गई है। एसएसपी देहरादून अजय सिंह के अनुसार, स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) को जांच में लगाया गया है।

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