2008 के बाद से काम कर रहे संविदा कर्मियों में जगी नियमितीकरण की आस, सरकार ने बनाया ये प्लान
उत्तराखंड में 2008 के बाद से संविदा और दैनिक वेतन पर काम कर रहे कर्मचारियों के नियमितीकरण की उम्मीद जगी है। सरकार ने कट-ऑफ तिथि तय करने के लिए एक मंत्रिमंडल उपसमिति बनाने का फैसला किया है। पहले 2013 और 2016 में भी ऐसी नीतियां बनीं, लेकिन वे विवादों में रहीं। अब 2018 तक 10 साल की सेवा वालों को नियमित करने का निर्णय लिया गया है।

भविष्य में विनियमितीकरण के लिए मंत्रिमंडल की उपसमिति होगी गठित। आर्काइव
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। प्रदेश में वर्ष 2008 के बाद संविदा, दैनिक वेतन, कार्यप्रभारित, नियत वेतन, अंशकालिक व तदर्थ के रूप में कार्यरत कार्मिकों के नियमितीकरण की आस भी जगी है। कैबिनेट ने ऐसे कार्मिकों के लिए कट आफ डेट तय करने के लिए मंत्रिमंडल की समिति गठित करने का निर्णय लिया है। यह समिति विस्तृत अध्ययन के बाद अपनी रिपोर्ट कैबिनेट के समक्ष रखेगी।
प्रदेश में संविदा व दैनिक वेतन कार्मिकों को नियमित करने के लिए सरकार ने वर्ष 2013 में एक नीति बनाई थी। इसके तहत वर्ष 2013 तक पांच वर्ष की सेवा पूरी करने वालों को नियमित करने का निर्णय लिया गया। इस दौरान कई विभागों के कार्मिक नियमित किए गए। यद्यपि, कई विभागों द्वारा इसमें समय से कार्रवाई न किए जाने के कारण कई कार्मिक विनियमित होने से रह गए। इसके बाद सरकार ने ऐसी कार्मिकों को नियमित करने के लिए वर्ष 2016 में विनियमितीकरण नियमावली प्रख्यापित की गई।
इसमें वर्ष 2016 तक पांच वर्ष की सेवा करने वालों को नियमित करने का निर्णय लिया गया। यद्यपि विवादों में आने के कारण इसे अपास्त कर दिया गया। इसके बाद वर्ष 2018 से ही इस तरह की नियमावली बनाने की कवायद चल रही है। इस मामले में हाईकोर्ट में भी अपील की गई।
अब हाईकोर्ट के निर्णयों के क्रम में कैबिनेट ने वर्ष 2018 तक दस वर्ष की नियमित सेवा करने वालों को विनियमित करने का निर्णय लिया है। साथ ही भविष्य के लिए कट आफ डेट डेट के संबंध में मंत्रिमंडल की उप समिति गठित करने का निर्णय लिया है। मंत्रिमंडल की उपसमिति का नाम जल्द तय किया जाएगा।

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