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     फार्मासिस्ट के रिटायर होते ही अस्पताल पर लगा ताला, पौड़ी के 5000 लोग इलाज के लिए अब कहां जाएंगे?

    Updated: Tue, 14 Oct 2025 06:25 AM (IST)

    पौड़ी जिले के दुधारखाल में फार्मेसिस्ट के रिटायर होने से अस्पताल बंद हो गया है। 5000 की आबादी के लिए यह एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र था, जो अब वीरान है। स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, उन्हें इलाज के लिए 20-30 किलोमीटर दूर सतपुली जाना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से ग्रामीणों में निराशा है।

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    अजय खंतवाल, कोटद्वार। बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के दावों को आईना दिखाती यह दास्तां स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले की है। यहां एक अस्पताल में इसलिए ताला लग गया क्योंकि दो दशक से अधिक समय से तैनात फार्मेसिस्ट सेवानिवृत्त हो गईं।

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    न तो समय रहते और न ही उनके जाने के बाद नई तैनाती की दिशा में कदम उठाए गए, लिहाजा पांच हजार की आबादी के इलाज का एकमात्र स्वास्थ्य केंद्र वीरान हो गया। लोगों को ठगे जाने का अहसास है। पहली अक्टूबर से अब तक वे हर रोज इस अस्पताल के ताले खुलने की राह देख रहे हैं।

    मामला पौड़ी जिले के जयहरीखाल ब्लाक के अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुधारखाल से जुड़ा है। यहां करीब 20 वर्ष से अधिक समय से फार्मेसिस्ट के रूप में तैनात पुनीता नेगी 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो गईं। चूंकि पूरे अस्पताल में सिर्फ वह हीं एकमात्र स्टाफ थीं, ऐसे में पहली अक्तूबर को अस्पताल बंद हो गया।

    मरीज दवा की चाहत में हर रोज अस्पताल आते लेकिन ताले देख लौट जाते। इस अस्पताल से दुधारखाल, तोली, मलाणा, कांडई, टसीला, थल्दा, चौंडी, गवाणा, मल्ला घेरूवा, तल्ला घेरूवा, बसई सहित कई गांव के लोग जुड़े थे। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग खुद ही 'बीमार' होने जैसी स्थिति में रहा। मई से एक डाक्टर अनुपस्थित चल रहा है।

    बावजूद इसके उसके विकल्प के प्रयास नहीं हुए, न ही ग्रामीणों की समस्या को गंभीरता से लिया गया। मरीजों के सामने 20 से 30 किलोमीटर दूर राजकीय संयुक्त चिकित्सालय सतपुली जाने की मजबूरी हैं। वहां भी सरकारी व्यवस्था के हाल तो ऐसे ही हैं, हंस फाउंडेशन के तहत मिलने वाले चिकित्सकीय सुविधा का लाभ अधिक ले रहे हैं।

    ये हैं मानक

    इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड के मानकों के तहत अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुधारखाल टाइप-ए की श्रेणी में आता है। इसके तहत चार बेड पर एक चिकित्सा अधिकारी, दो फार्मेसिस्ट, दो स्टाफ नर्स, दो वार्ड ब्वाय, एक वार्ड आया, दो सफाई कर्मी के पद सृजित हैं, लेकिन मानकों को अनदेखा किया गया।

    राज्य बनने से पहले चकाचक व्यवस्था

    इस अस्पताल का निर्माण राज्य गठन से पहले ही हो गया था। तब व्यवस्थाएं बेहतर थीं। डाक्टर, फार्मेसिस्ट आदि पूरा स्टाफ होता था। राज्य गठन के बाद से अस्पताल की व्यवस्थाएं बिगड़ती रही।

    वर्जन....
    चिकित्सालय में तैनात चिकित्सक अनधिकृत रूप से मई से अनुपस्थित चल रहे हैं। उन्हें चेतावनी पत्र जारी किया गया है। यदि वह जल्द ड्यूटी ज्वाइन नहीं करती तो नए चिकित्सक की तैनाती की जाएगी।
    -डा. शिवमोहन शुक्ला, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, पौड़ी

    संदेश : 11 कोटपी 1
    प्रखंड जहरीखाल के अंतर्गत दुधारखाल स्वास्थ्य केंद्र का आवासीय भवन झाड़ियों में घिर गया है।
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