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    Dehradun Rains: दिन-रात नदियों का सीना छलनी कर रहे खनन माफिया, धड़ल्ले से अवैध धंधा

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 02:50 PM (IST)

    देहरादून में खनन माफिया का आतंक जारी है। परवल में आसन नदी में ट्रैक्टर बहने की घटना से पता चलता है कि माफिया निडर होकर नदियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। पुलिस और माफिया के गठजोड़ के बाद भी अवैध खनन जारी है। सौंग यमुना समेत कई नदियों में अवैध खनन हो रहा है। माफिया को संरक्षण प्राप्त है जिससे कार्रवाई बेअसर है। ओवरलोडिंग के बावजूद अवैध खनन जारी है।

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    हर जगह खनन माफिया रहते हैं पुलिस से दो हाथ आगे. Jagran

    अंकुर अग्रवाल, जागरण देहरादून। मंगलवार को दून के परवल क्षेत्र में आसन नदी में ट्रैक्टर-ट्राली बहने की घटना के बाद यह साफ हो गया है कि खनन माफिया बेखौफ होकर नदियों का सीना चीर रहे हैं। सुबह-शाम माफिया के वाहन नदियों में घुसते हैं और सैकड़ों की संख्या में उपखनिज से लदे ट्रक, डंपर और ट्रैक्टर-ट्रालियां वहां से बेखौफ निकलते हैं।

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    खनन माफिया किसकी सरपरस्ती में नदियों का सीना छलनी कर रहे, शायद ही कोई भी सीधे तौर पर इसका जवाब दे पाए, लेकिन जिले का शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण, हर जगह खनन माफिया पुलिस से दो हाथ आगे नजर आते हैं। पूर्व में खनन माफिया और पुलिस के गठजोड़ भी उजागर हो चुके हैं और आरोपित पुलिसकर्मियों के विरुद्ध बड़े स्तर पर कार्रवाई भी हुई, लेकिन अवैध खनन का धंधा बदस्तूर जारी है।

    जिलेभर का परिदृश्य देखे तो ऐसी ही तस्वीर सामने आती है। जनपद की शायद ही कोई नदी ऐसी होगी, जहां धड़ल्ले से अवैध खनन न चल रहा हो। बावजूद इसके अवैध खनन पर अंकुश लगाने की दिशा में कभी-कभार के अभियानों को छोड़कर शायद ही कभी गंभीरता से कदम उठाए गए हों। दून शहर से लगे इलाकों की बात करें तो सौंग, जाखन, टोंस, रिस्पना व बिंदाल से रोजाना ही बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है।

    पछवादून में यमुना, आसन, सोरना, शीतला सहित अन्य नदियों में यह धंधा फूल-फल रहा है। यही नहीं, डोईवाला क्षेत्र को लें तो वहां भी सौंग समेत अन्य नदियों की तस्वीर इससे जुदा नहीं है। शाम ढलते ही अवैध खननकारियों के वाहन नदियों में घुसते हैं और फिर बेखौफ हो वहां से उपखनिज को ठिकानों तक पहुंचाया जा रहा है।

    खनन माफिया ने अपनी जड़ें इतनी गहरी कर ली हैं कि उस पर तंत्र का जरा भी खौफ नजर नहीं आता। तभी तो कभी-कभार होने वाली कार्रवाई में प्रति वाहन 25 हजार रुपये और प्रति घन मीटर खनिज सामग्री पर 450 रुपये के जुर्माने की उसे खास परवाह नहीं रहती।

    बेखौफ खनन माफिया को किसका संरक्षण

    खनन माफिया बेखौफ है व कहीं न कहीं उसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बड़े स्तर पर संरक्षण भी हासिल है। अवैध खनन को लेकर विकासनगर, वसंत विहार, कैंट, सहसपुर, डोईवाला, ऋषिकेश, राजपुर व रायपुर थाना क्षेत्र समेत प्रेमनगर हमेशा विवादों में रहते हैं।

    गुजरे कुछ वर्षों से इन सभी क्षेत्र में नदियों में अवैध खनन जोरों पर चल रहा है। पहले रात में चोरी-छिपे यह धंधा चल रहा था, लेकिन आजकल सुबह से रात तक नदियों का सीना चीरा जा रहा। खनन माफिया के सरपरस्तों में सफेदपोशों का भी बड़ा हाथ माना जाता है। जब पुलिस-प्रशासन इनके विरुद्ध डंडा उठाते हैं, हर बार सफेदपोश आड़े आ जाते हैं।

    ओवरलोडिंग पर भी नहीं लगाम

    खनन माफिया की आड़ में वैध तरीके से रेत-बजरी लाने वाले ट्रकों की ओवरलोडिंग रोकने में भी जिला प्रशासन नाकाम साबित हो रहा। दूसरे राज्यों से क्रशर से खनन सामग्री लाने का दावा करने वाले ट्रकों में अधिकृत सीमा से दोगुना माल लादकर लाया जा रहा। हर मार्ग पर पुलिस बैरियर होने के बावजूद ट्रक बेधड़क निकल जाते हैं।

    दून-पांवटा, दून-हरिद्वार हाईवे समेत खनन से जुड़े तमाम मार्गों पर ओवरलोड ट्रकों को रोकने के लिए प्रशासन ने कुछ वर्ष पूर्व सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए थे, लेकिन यह आदेश हवा हो गए। सीसीटीवी कैमरों के साथ ही फ्लाइंग स्क्वायड नियुक्त करने के दावे किए थे, लेकिन यह भी फाइलों में सिमटकर रह गया।

    खनन माफिया की दबंगई का अड्डा बना पछवादून

    पछवादून में खनन माफिया की ओर से पुलिस, प्रशासन व वन विभाग की टीम पर दबंगई दिखाकर कई मर्तबा हमले किए जा चुके हैं, लेकिन प्रभावी कार्रवाई न होने से माफिया बेखौफ हैं। न तो यह अधिकारियों को धमकी देने से बाज आते, न ही हमले करने से।

    विकासनगर क्षेत्र में यमुना का एक किनारा उत्तराखंड व दूसरा किनारा हिमाचल प्रदेश में लगता है। दोनों प्रदेशों के बीच यमुना का सीमांकन नहीं है। जिस वजह से पुलिस व प्रशासन की छापेमारी बेअसर साबित होती है। जब माफिया के विरुद्ध उत्तराखंड के अधिकारी छापे की कार्रवाई करते हैं तो माफिया हिमाचल की सीमा में भाग जाते हैं।

    जनपद में अवैध खनन

    • जिले में करीब 50 क्षेत्रों में धड़ल्ले से हो रहा अवैध खनन
    • हर स्थल से रोजाना निकलते हैं 400 से 500 वाहन
    • अवैध खनन से नदियों का प्राकृतिक स्वरूप हो रहा तहस-नहस
    • खनन सामग्री जगह-जगह बने ठिकानों में की जाती है इकट्ठा