जिस साल सायरा बानो हुईं पैदा, दिलीप कुमार को मिली थी पहली फिल्म; Mussoorie से खास कनेक्शन
बॉलीवुड अभिनेत्री सायरा बानो का जन्म मसूरी में हुआ था और उनका बचपन वहीं बीता। उनका परिवार फिल्मी था और मसूरी में उनका एक बंगला था जिसे नसीम मैनोर के नाम से जाना जाता था। सायरा बानो का मसूरी से गहरा लगाव था और वे अक्सर अपने पति दिलीप कुमार के साथ वहां जाती थीं। उन्होंने देहरादून में आदमी और इंसान फिल्म की शूटिंग भी की थी।

संवाद सहयोगी, मसूरी। मसूरी की वादियां, ठंडी हवाएं, देवदार की खुशबू और पहाड़ों की गोद… इन्हीं खूबसूरत नज़ारों के बीच 23 अगस्त 1944 को बालीवुड की सदाबहार अदाकारा सायरा बानो का जन्म हुआ था। बता दें कि जिस वर्ष सायरा ने मसूरी में जन्म लिया, उसी वर्ष दिलीप कुमार को पहली फिल्म ज्वारा भाटा मिली थी।
बालीवुड में अपनी शालीनता और मासूम अदाओं से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली सायरा बानो की जड़ें मसूरी की इसी हसीन धरती से जुड़ी हैं। मसूरी में उनका बचपन बीता और यहां की यादें उनके दिल में हमेशा के लिए बस गईं। अपने पति ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार के साथ भी यहां आती रहीं।
सायरा बानो का जन्म एक फिल्मी परिवार में हुआ। उनकी मां नसीम बानो उस दौर की मशहूर अभिनेत्री थीं और पिता मियां एहसान-उल-हक एक जाने-माने फिल्म निर्माता। मसूरी के उसी बंगले में सायरा ने अपने बचपन के सबसे सुनहरे साल बिताए। कहा जाता है कि यह बंगला अपनी भव्यता और सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध था।
स्थानीय लोग इसे प्यार से नसीम मैनोर भी कहते थे, हालांकि इस नाम का कोई आधिकारिक रिकार्ड नहीं मिलता। मसूरी के शांत वातावरण और बौद्धिक माहौल ने सायरा बानो के व्यक्तित्व को निखारा। यहां के अंग्रेज़ी माध्यम स्कूलों में पढ़ाई के दौरान उन्होंने हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं पर मजबूत पकड़ बनाई।
शायद यही वजह है कि परदे पर उनके संवादों में एक खास शालीनता और सुसंस्कृत अंदाज़ दिखता था। बाद में उनकी मां नसीम बानो ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिए लंदन के प्रतिष्ठित क्वींस हाउस स्कूल भेजा। लंदन की शिक्षा और मसूरी के सांस्कृतिक परिवेश का संगम ही सायरा बानो को वह विशिष्ट व्यक्तित्व प्रदान कर सका, जिसकी छाप हिंदी सिनेमा के सुनहरे दौर में स्पष्ट रूप से दिखी।
सायरा का मसूरी से अटूट लगाव
सायरा बानो ने भले ही मुंबई की फिल्मी दुनिया में अपार सफलता पाई, लेकिन मसूरी से उनका रिश्ता कभी टूटा नहीं। कई बार वे अपने पति ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार के साथ मसूरी की वादियों में लौटतीं।
पहाड़ों की शांति, देवदार की ठंडी छांव और पुरानी यादों की खुशबू उन्हें बार-बार यहां खींच लाती थी। उस समय मसूरी की गलियों में सायरा बानो और दिलीप कुमार की मौजूदगी खुद एक आकर्षण बन जाती थी। अब भले ही मसूरी में नसीम मैनोर न हो, लेकिन मसूरीवासी आज भी सायरा को अपना ही मानते हैं।
फिल्म आदमी और इंसान की शूटिंग के लिए आई थी दून
देहरादून: अभिनेत्री सायरा बानो आज भले ही 80 साल की हो गई हों लेकिन आज भी उनकी खूबसूरती बेमिसाल है। सायरा बानो और अभिनेता दिलीप कुमार की लव स्टोरी भी कम दिलचस्प नहीं थी। फिल्मों के जानकार मनाेज पंजानी बताते हैं कि जिस वर्ष सायरा ने मसूरी में जन्म लिया उसी वर्ष दिलीप कुमार को पहली फिल्म ज्वारा भाटा मिली थी।
दिलीप तब 19 वर्ष के थे। सायरा वर्ष 1978 में धमेेंद्र के साथ देहरादून में फिल्म आदमी और इंसान की शूटिंग के लिए आई थी। यश चोपड़ा के निर्देशन में इस फिल्म की शूटिंग एक हफ्ते से अधिक तक चली थी। यह फिल्म डाकपत्थर में फिल्माई गई। इस फिल्म में जिंदगी के रंग.. और नीले पर्वतों की धारा गीत भी इस फिल्म का खूब चलता रहा।
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