स्मार्ट मीटरों में उलझी बिजली बिल की गुत्थी, आंकड़ों की भूलभुलैया में उपभोक्ता परेशान
उत्तराखंड में स्मार्ट मीटर लगने के बाद भी बिजली बिलों की समस्या बनी हुई है। देहरादून, हल्द्वानी जैसे शहरों में उपभोक्ताओं को कई गुना ज्यादा बिल मिल रहे हैं। ऊर्जा निगम का कहना है कि पुराने मीटरों की गड़बड़ी के कारण ऐसा हो रहा है। उपभोक्ता पहले जांच और फिर वसूली की मांग कर रहे हैं। विशेषज्ञों ने मीटर लगाने से पहले टेस्टिंग और जागरूकता की सलाह दी है।

देहरादून, हल्द्वानी और नैनीताल जैसे शहरों में उपभोक्ताओं ने बिजली बिल कई गुना बढ़ने की दर्ज कराई शिकायतें। प्रतीकात्मक
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। उत्तराखंड में बिजली उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटरों की गिनती तो बढ़ी, पर भरोसे की रोशनी कहीं धुंधली पड़ गई है। देहरादून, हल्द्वानी और नैनीताल जैसे शहरों में बड़ी संख्या में उपभोक्ताओं ने समान खपत के बावजूद बिजली बिल कई गुना बढ़ने की शिकायत दर्ज कराई है।
किसी का बिल दोगुना हुआ, तो किसी को हजारों से लाखों रुपये का बिल थमा दिया गया। देहरादून में तो पार्षदों ने इस मुद्दे पर बिजली दफ्तर का घेराव भी किया। ऊर्जा निगम का कहना है कि पुराने मीटरों की त्रुटियों और लंबित बकाया का डेटा नए सिस्टम में जुड़ने से यह भ्रम पैदा हुआ है। निगम का दावा है कि स्मार्ट मीटर दीर्घकाल में बिलिंग में लाभ देंगे।
उपभोक्ताओं की मांग- पहले जांच, फिर वसूली
स्मार्ट मीटर का विरोध कर रहे उपभोक्ताओं का आरोप है कि बिना पूर्व सूचना या सहमति के मीटर बदले जा रहे हैं। पहले जहां दो महीने का बिल करीब एक हजार रुपये आता था, वहीं अब एक महीने में ही दो हजार से अधिक बिल आ रहा है। कई उपभोक्ताओं ने कहा कि पुराने बिल की राशि नए मीटर में जोड़कर एकमुश्त वसूली की जा रही है। उनकी मांग है कि हर घर में चेक मीटर लगाकर खपत की जांच की जाए और रिपोर्ट आने तक नए बिलों की वसूली रोकी जाए।
...गलती मिली तो सुधार होगा
ऊर्जा निगम के अनुसार कई पुराने मीटरों में तकनीकी खराबियां थीं। नए मीटर लगाने पर वास्तविक खपत सामने आई है। निगम का कहना है कि शिकायतों की जांच कर दोषपूर्ण मीटर बदले या बिल संशोधित किए जा रहे हैं। उपभोक्ताओं के लिए टोल-फ्री नंबर 1912 जारी किया गया है। निगम के अनुसार जैसे-जैसे सिस्टम काम करेगा, मीटरिंग और बिलिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी।
विशेषज्ञों की सलाह, टेस्टिंग और जागरूकता जरूरी
विशेषज्ञों का कहना है कि मीटर इंस्टाल करने से पहले थर्ड-पार्टी टेस्टिंग अनिवार्य की जाए और उपभोक्ता को रीडिंग, सीरियल नंबर व प्रमाणपत्र की जानकारी दी जाए। साथ ही उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर की कार्यप्रणाली समझाने के लिए प्रशिक्षण या वर्कशाप आयोजित की जाए।
स्मार्ट मीटर की प्रणाली में किसी प्रकार का कोई दोष नहीं है, पुराने मीटर की खामियों के कारण कई उपभोक्ताओं को पुराने बिल जोड़कर दिए गए हैं, इससे बिल बढ़कर आ रहा है। - अनिल यादव, एमडी, यूपीसीएल

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