उत्तराखंड के तरकश में बैंणी सेना और गुलमोहर जैसे तीर, लेकिन स्वच्छता सर्वेक्षण में में कोई निकाय टॉप 50 में नहीं
उत्तराखंड के नगर निकाय स्वच्छता सर्वेक्षण में शीर्ष 50 में जगह बनाने में विफल रहे। बैंणी सेना गुलमोहर और नथुवावाला जैसे समूहों के बावजूद सामूहिक प्रयासों की कमी से रैंकिंग प्रभावित हुई। इन समूहों ने कचरा प्रबंधन और स्वच्छता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है लेकिन शहरी विकास विभाग अब प्रशिक्षण योजना के माध्यम से अन्य निकायों को भी इनसे सीखने का अवसर प्रदान करेगा।

अश्वनी त्रिपाठी, जागरण, देहरादून। स्वच्छता की जंग में उत्तराखंड के तरकश में बैंणी सेना, गुलमोहर से लेकर नथुवावाला वार्ड जैसे तीर मौजूद हैं। ये सभी ऐसे स्वयं सेवा समूह हैं, जिन्होंने अपनी विशेषज्ञता से अपने निकायों को नई पहचान दी है। इसके बाद भी इनका सामूहिक उपयोग नहीं होने से राज्य के नगर निकायों की ओवरआल रैंकिंग नहीं बढ़ पा रही है। स्वच्छता सर्वेक्षण में उत्तराखंड का कोई भी नगर निकाय टाप 50 में जगह नहीं बना पाया।
हल्द्वानी नगर निगम ने वर्ष 2022 में बैंणी सेना (बहनों की टीम) का शुभारंभ किया। बैंणी सेना स्वयं सहायता समूह की 570 महिलाएं 57 वार्डों में स्वच्छता निगरानी, कूडा कलेक्शन निगरानी, प्लास्टिक- सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंध समेत मासिक यूजर चार्ज की वसूली का जिम्मा संभालती हैं।
असर यह है कि पहले जहां कचरे के ढेर नजर आते थे, वहां अब कूड़े की गाड़ियां पहुंचने लगीं हैं। कूड़ा नियमित उठा तो यूजर चार्ज कलेक्शन भी छह लाख से बढ़कर 35 लाख हो गया। आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने गठन के एक साल के भीतर इसे निकायों के नवाचार के मामले में देश में दूसरा स्थान देकर सम्मानित किया।
गुलमोहर के प्रयासों से चमक उठा लालकुआं
लालकुआं से संचालित प्रथम पुरुष स्वयं सहायता समूह गुलमोहर ने भी ठोस कचरा प्रबंधन में किए कार्यों से नगर पंचायत को नई ऊंचाइयां दीं। गुलमोहर के खास प्रयासों से लालकुआं को प्रामिसिंग स्वच्छ शहरों की श्रेणी में राज्य में प्रथम व देश के 34 शहरों में चयनित होने पर शहरी कार्य मंत्री मनोहर खट्टर ने पुरस्कृत किया।
लालकुआं ने अपनी रैंक में 1697 रैंक का सुधार कर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। गुलमोहर ठोस कचरा प्रबंधन पर जून, 2024 से काम कर रहा है। यह शून्य लागत पर नगर निकाय के लिए कचरा छंटाई करता है। कचरे के विक्रय से आय के साथ स्व-रोजगार के अवसर मिलते हैं। समूह को शहरी विकास विभाग की ओर से सम्मानित किया गया।
नथुवावाला से सीखिए ठोस कचरा निस्तारण
दून के पास वार्ड वेस्ट वारियर्स संस्था की ओर से संचालित नथुवावाला वार्ड 97 का ऐसा माडल मौजूद है, जो कचरा निस्तारण के लिए किसी पर निर्भर नहीं। यहां शून्य लागत पर 100 प्रतिशत कचरा छंटाई कर प्रति माह 70 मीट्रिक टन कचरा लैंडफिल में जाने से रोका जा रहा है।
कचरे से खाद बनाने के अलावा, ठोस अवशेष को रीसाइकिलिंग के लिए पेपर मिल, प्लास्टिक कंपनियों में भेजा जा रहा है। समूह ने 35 व्यक्तियों को स्वरोजगार से भी जोड़ा है। पांच टन की क्षमता का एक स्वच्छता पार्क भी समूह ने स्थापित किया है। नथुवावाला वार्ड की कामयाबी को 75 स्वच्छ शहरों की कहानियों में प्रकाशित किया जा चुका है।
नगर निकायों की वर्तमान रैंकिंग
- निकाय
- ओवरआल नेशनल रैंक - मसूरी, 169
- डोईवाला, 299
- पिथौरागढ़, 177
- हरिद्वार, 363
- हल्द्वानी, 291
- रामनगर, 295
- लालकुआं, 54
- रुद्रपुर, 68
- भीमताल, 350
- कोटद्वार, 232
- ऋषिकेश, 249
- विकासनगर, 510
- बड़कोट, 527
- देहरादून, 62
- गुलरभोज, 631
- मुनि-की-रेती, 561
- नरेंद्रनगर, 662
- लोहाघाट, 670
उत्तराखंड में कई ऐसे विशेषज्ञ समूह कार्य कर रहे हैं, जिनसे सीखने की जरूरत है। शहरी विकास विभाग प्रशिक्षण की योजना पर काम कर रहा है, इसमें राज्य के विशेषज्ञ समूहों का लाभ अन्य निकायों को भी दिलाया जाएगा। जल्द प्रशिक्षण का कार्य शुरू कराया जाएगा।
- गौरव कुमार, निदेशक, शहरी विकास
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