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    जूनियर हाईस्कूल प्रधानाध्यापक पदोन्नति को 'सुप्रीम' झटका, 2011 से पहले नियुक्त हुए इन टीचरों की बड़ी परेशानी

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 02:08 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य में जूनियर हाईस्कूल प्रधानाध्यापक के पदों पर प्रमोशन की प्रक्रिया पर असर पड़ा है। 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी पास करना जरूरी है जिससे शिक्षा विभाग के सामने मुश्किल आ गई है। जब तक स्पष्ट निर्देश नहीं आते तब तक प्रमोशन की प्रक्रिया रुकी रहेगी जिससे शिक्षकों में नाराजगी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है।

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    बेसिक के प्रधानाध्यापक से लेकर जूनियर हाईस्कूल के प्रधानाध्यापक तक प्रभावित होगी पदोन्नति. Concept

    अशोक केडियाल, जागरण, देहरादून । सुप्रीम कोर्ट की ओर से बेसिक शिक्षकों के लिए टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) को अनिवार्य किए जाने के बाद राज्य में जूनियर हाईस्कूल प्रधानाध्यापक पदों पर पदोन्नति की प्रक्रिया को भी बड़ा झटका लगा है।

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    इसका सबसे बड़ा असर उन शिक्षकों पर पड़ा है जो 2011 से पूर्व नियुक्त हुए हैं और अब तक टीईटी-एक व टीईटी-दो पास नहीं हैं। ऐसे में शिक्षा विभाग के सामने यह बड़ा संकट बन गया है कि बिना टीईटी योग्यता के इन शिक्षकों को पदोन्नति देना न्यायिक जोखिम होगा।

    सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार अब 55 वर्ष तक के सभी बेसिक शिक्षकों को अनिवार्य रूप से टीईटी उत्तीर्ण करना होगा। कोर्ट ने इसके लिए दो वर्ष की समयसीमा निर्धारित की है। राज्य में बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जो टीईटी के बिना सेवा दे रहे हैं क्योंकि 2011 से पहले टीईटी अनिवार्य नहीं थी।

    अब इन शिक्षकों को दो वर्षों के भीतर टीईटी परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी, अन्यथा न तो उन्हें पदोन्नति मिल पाएगी और न ही अन्य प्रशासनिक जिम्मेदारियां सौंपी जा सकेंगी। शिक्षा विभाग भी अब पदोन्नति प्रक्रिया को लेकर पशोपेश में है और जब तक स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं आते, तब तक पदोन्नति प्रक्रिया पर विराम लगा रहेगा। इससे शिक्षकों में असमंजस और नाराजगी दोनों बढ़ रही है।

    हालांकि राज्य सरकार टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर चुकी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अगले फैसले से पहले इसपर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है।

    इन पदों पर पदोन्नति प्रभावित

    वर्तमान में बेसिक शिक्षक के रूप में नियुक्ति टीईटी पास अभ्यर्थी को ही दी जा रही है, लेकिन राज्य के 904 जूनियर हाईस्कूल प्रधानाध्यापक पदों में से वर्तमान में रिक्त 125, सहायक अध्यापकों के 7231 में से रिक्त 608 पद, प्राइमरी के रिक्त 496 प्रधानाध्यापक पदों पर पदोन्नति बिना टीईटी पास शिक्षकों की नहीं मिल सकती है।

    इसके अलावा विभागीय नियमों के अनुसार, जूनियर हाईस्कूल के कुछ प्रधानाध्यापकों को हाईस्कूल में एलटी पद पदोन्नति मिलती है, यह पदोन्नति अवरुद्ध रहेगी। प्रदेश में प्राथमिक से जूनियर हाईस्कूल तक बेसिक शिक्षकों की संख्या 34,294 है। इन सभी शिक्षकों को पदोन्नति में संकट से जूझना पड़ रहा है।

    बेसिक शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ अन्य राज्यों की भांति उत्तराखंड ने भी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। सुनवाई के बाद फैसला आने तक बेसिक के सहायक अध्यापक से जूनियर हाईस्कूल प्रधानाध्यापक पदोन्नति प्रभावित रहेगी। - अजय कुमार नौडियाल, निदेशक प्रारंभिक शिक्षा