जल्द आएगी उत्तराखंड की AI नीति, सेतु आयोग तैयार कर रहा फॉर्मेट
उत्तराखंड सरकार जल्द ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) नीति लाने जा रही है। सेतु आयोग को इसका प्रारूप तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है। यह नीति आपदा प्रबंधन, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में एआई के उपयोग को बढ़ावा देगी। आयोग अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन कर रहा है और अगले महीने के अंत तक प्रारूप सरकार को सौंपने की तैयारी है।

देश के विभिन्न राज्यों की नीति का भी किया जा रहा अध्ययन. Concept Photo
राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून। विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड के सम्मुख सीमित आधारभूत ढांचा समेत कई चुनौतियां विद्यमान हैं। इनसे पार पाने के दृष्टिगत जब नवीनतम आधुनिक तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) की बात आती है तो यह एक बड़े परिवर्तन का माध्यम बन सकती है। इसे देखते हुए राज्य सरकार भी एआइ को लेकर सक्रिय हुई है और इसके लिए बाकायदा नीति बनाने की कसरत प्रारंभ कर दी गई है।
सेतु (स्टेट इंस्टीट्यूट फार इंपावरिंग एंड ट्रांसफार्मिंग उत्तराखंड) आयोग को एआइ नीति का प्रारूप तैयार करने का जिम्मा सौंपा गया है। इस कड़ी में आयोग के उपाध्यक्ष राज शेखर जोशी की अगुआई में तीन विशेषज्ञों की टीम विभिन्न राज्यों की एआइ नीति के अध्ययन में जुटी है। आयोग का प्रयास है कि अगले माह के आखिर तक एआइ नीति का प्रारूप सरकार को सौंप दिया जाए।
प्रदेश में प्रशासन, निगरानी व ई-गवर्नेंस, शिक्षा, वन एवं वन्यजीव प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में एआइ का प्रयोग हो रहा है, लेकिन यह सीमित दायरे में है। इसे देखते हुए अब राज्य के लिए समग्र एआइ नीति बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राज शेखर जोशी के अनुसार राज्य में विशेषकर पर्वतीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सेवाओं की आमजन तक पहुंच सुगम बनाने में एआइ की अहम भूमिका हो सकती है। इसी को ध्यान में रखते हुए नीति का प्रारूप तैयार किया जा रहा है।
इन क्षेत्रों में रहेगी मुख्य भूमिका
आपदा की दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन में एआइ का उपयोग क्रांतिकारी साबित हो सकता है। भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के निरंतर अध्ययन व निगरानी एआइ के माध्यम से की जा सकती है। सुदूरवर्ती क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित कराने के लिए टेलीमेडिसन, मोबाइल आइसीयू में एआइ का उपयोग हो सकता है। यही नहीं, कृषि के क्षेत्र में एआइ के प्रयोग से यह देखा जा सकता है कि किस क्षेत्र में बेहतर फसल हो रही है और कहां कम। शिक्षा के क्षेत्र में भी एआइ का उपयोग अहम होगा। सेतु आयोग इनके साथ ही अन्य क्षेत्रों को भी देख रहा है, जिनमें एआइ का प्रयोग अहम रहेगा।
इन राज्यों की नीति का अध्ययन
सेतु आयोग के उपाध्यक्ष जोशी के अनुसार उत्तराखंड की एआइ नीति का प्रारूप तैयार करने के दृष्टिगत कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडू समेत अन्य राज्यों की नीति का भी अध्ययन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एआइ नीति का उद्देश्य यही है कि महत्वपूर्ण क्षेत्र की सेवाओं से आमजन को लाभान्वित किया जाए। इसके साथ ही एआइ को लेकर जनजागरूकता बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा। आयोग का प्रयास है कि अगले माह के आखिर तक नीति का प्रारूप सरकार को सौंप दिया जाए।

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