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    विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड कांग्रेस को मिल सकता है नया अध्यक्ष, पर्यवेक्षकों की तैनाती से बढ़ा राजनीतिक पारा

    उत्तराखंड कांग्रेस में विधानसभा चुनाव से पहले नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा है। करन माहरा का कार्यकाल पूरा होने और हाईकमान की सक्रियता से अटकलें तेज हैं। जिला इकाइयों को मजबूत करने पर जोर है। लगातार चुनावी हार से पार्टी में चिंता है। नए चेहरे को मौका मिल सकता है। 2027 के चुनावों के लिए पार्टी में बदलाव की संभावना है।

    By Ravindra kumar barthwal Edited By: Ashish Mishra Updated: Wed, 27 Aug 2025 11:40 AM (IST)
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    उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नए चेहरे पर लगा सकती है दांव। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, देहरादून। अगले विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड कांग्रेस को नया कप्तान मिलेगा या वर्तमान कप्तान करन माहरा पर भरोसा बरकरार रखा जाएगा, इसे लेकर पार्टी के भीतर कयास लग रहे हैं। दो वर्ष पहले ही नियुक्त जिला कांग्रेस अध्यक्षों को बदलने के लिए जिस प्रकार एआईसीसी पर्यवेक्षकों की तैनाती की गई।

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    इस तैनाती से संगठन में आमूलचूल बदलाव को लेकर कांग्रेस हाईकमान ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी। संगठन को नए सिरे से खड़ा करने और मजबूती देने की इस कवायद के दायरे में अब प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेने की चर्चा है।

    कांग्रेस उत्तराखंड में सत्ताधारी दल के साथ आमने-सामने की टक्कर में है। हर पांच वर्ष बाद सत्ता बदलने का मिथक टूटने से पार्टी के मनोबल पर सबसे अधिक असर दिखाई दे रहा है। लगातार दूसरा विधानसभा चुनाव हारने के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने खुद को संभाला हो, ऐसी गवाही चुनाव परिणामों ने अब तक नहीं दी है।

    विधानसभा चुनाव के बाद पार्टी लगातार तीसरे लोकसभा चुनाव में राज्य की पांच में से एक भी सीट नहीं जीत पाई। हालत यह है कि नगर निकाय और पंचायत चुनाव के परिणाम भी आस बंधाने वाले नहीं कहे जा सकते।

    हाईकमान ने थामी जिला इकाइयों को मजबूत करने की कमान

    हालत यही रही तो कांग्रेस की मुश्किलें कम होने के बजाय और बढ़ना तय है। आने वाले समय में कोई भी दल उसकी जगह लेने की होड़ में आगे आ जाए, इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। पार्टी के भीतर इन परिस्थितियों में अपना जनाधार दोबारा मजबूत करने की ललक बढ़ रही है।

    प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ कि हाईकमान ने जिला स्तर पर संगठन को मजबूत करने का जिम्मा अपने हाथों में लिया। इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष की ओर से भेजी जाने वाली जिलाध्यक्षों की सूची को अनुमोदित किया जाता रहा है। हाईकमान के इस रवैये ने प्रदेश अध्यक्ष पद पर भी बदलाव की चर्चाओं को हवा दी है।

    तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं करन माहरा

    वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा विगत मई माह में अपना तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। हालांकि, इस पूरी अवधि में उन्हें नई कार्यकारिणी के स्थान पर पुरानी कार्यकारिणी से काम चलाना पड़ा। हाईकमान ने उन्हें कार्यकारिणी थमाने के बजाय वरिष्ठ नेताओं और विधायकों की समन्वय समिति गठित करना उचित समझा।

    विधानसभा चुनाव होने तक माहरा अपने पद पर रहेंगे अथवा इससे पहले ही उनके स्थान पर नये अध्यक्ष को लाया जाएगा, इस पर पार्टी ने पत्ते नहीं खोले हैं। यह अलग बात है कि नये अध्यक्ष को लेकर चर्चाओं ने पार्टी क्षत्रपों में नई उम्मीदें जगा दी हैं।

    नये चेहरे को लाकर चौंका सकती है पार्टी

    वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की सांगठनिक गतिविधियों को तेज करने से लेकर टिकट वितरण में महत्वपूर्ण भूमिका देखते हुए इस पद के स्वाभाविक दावेदारों की सूची लंबी है। इनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे प्रीतम सिंह व गणेश गोदियाल, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व कैबिनेट मंत्री डा हरक सिंह रावत के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी सम्मिलित हैं।

    हालांकि, कांग्रेस के शीर्ष नेता व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जिस प्रकार ओबीसी की पैरोकारी कर रहे हैं, उसे देखते हुए हरिद्वार या ऊधम सिंह नगर जिलों से किसी नये चेहरे पर भी दांव खेलकर पार्टी चौंका सकती है।

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