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    उत्तराखंड में SIR को लेकर तैयारियां शुरू, प्रति दिन 30 वोटर तक पहुंचेंगे बीएलओ

    By VIKAS GUSAINEdited By: Sunil Negi
    Updated: Thu, 04 Dec 2025 06:25 PM (IST)

    उत्तराखंड में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) से पहले मतदाता पहचान प्रक्रिया शुरू हो गई है। बीएलओ को प्रतिदिन 30 मतदाताओं की मैपिंग करने का निर्देश दिया ...और पढ़ें

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    मुख्य निर्वाचन अधिकारी डा. बीवीआरसी पुरुषोत्तम।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून: प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान से पहले मतदाताओं की पहचान को लेकर गतिविधियां शुरू हो गई हैं। इस कड़ी में आयोग ने सभी बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) को प्रतिदिन मतदाता सूची का एक पन्ना, जिसमें तकरीबन 30 नाम होते हैं, पूरा करने को कहा है।

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    यानी बीएलओ को प्रतिदिन 30 मतदाताओं तक पहुंच कर उनकी बीएलओ एप में मैपिंग करनी है। इससे मतदाता सूची में शामिल वोटरों का अधिकतम एक माह के भीतर सत्यापन किया जा सके। राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा 40 वर्ष आयु तक, ऐसे मतदाता जिनके नाम वर्ष 2003 की सूची में भी दर्ज थे, उनकी बीएलओ मैपिंग की जाएगी।

    गुरुवार को सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत में मुख्य निर्वाचन अधिकारी डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने बताया कि प्रदेश में प्री-एसआइआर गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं। एसआइआर के दौरान मतदाताओं को किसी प्रकार की दिक्कत न हो, इसके लिए प्रत्येक मतदाता तक पहुंच, समन्वय और संवाद अभियान पर कार्य किया जा रहा है।

    इसके तहत मौजूदा मतदाता सूची से वर्ष 2003 की मतदाता सूची का मिलान किया जा रहा है। वर्ष 2003 को इसलिए लिया जा रहा है क्योंकि उस समय भी एसआइआर किया गया था। इसमें अभी 40 वर्ष तक ऐसे मतदाता जिनके नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में थे, उनकी सीधे बीएलओ एप से मैपिंग की जाएगी।

    एसआइआर के दौरान ऐसे मतदाताओं को कोई दस्तावेज नहीं देना पड़ेगा। 40 वर्ष से अधिक आयु के ऐसे मतदाता जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं हैं, उनकी मैंपिंग माता-पिता अथवा दादा-दादी के नाम के आधार पर की जाएगी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 की मतदाता सूची सीइओ उत्तराखंड एवं इलेक्शन कमीशन आफ इंडिया की वेबसाइट पर सर्च की जा सकती है।

    दूसरे राज्यों से आए मतदाता भी कर सकते हैं बीएलओ की मदद

    अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने कहा कि ऐसे मतदाता जिनके नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में नहीं हैं और वे दूसरे राज्यों से आए हैं तो वे संबंधित राज्य की मतदाता सूची में नाम देखकर यह जानकारी बीएलओ से साझा कर सकते हैं। इससे बीएलओ और मतदाता दोनों को ही आसानी होगी।

    दूसरे देशों के निवासियों का भारत का नागरिक होना जरूरी

    मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि यदि दूसरे देश के किसी व्यक्ति अथवा महिला की शादी भारतीय नागरिक से हुई हो और वह अब भारतीय नागरिकता ले चुका है, तो आवश्यक दस्तावेजों की जांच के बाद उसका नाम भी इसमें शामिल किया जा सकता है। जिनके पास नागरिकता नहीं है तो इस संबंध में भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देश पर आगे कार्य किया जाएगा। यद्यपि, ऐसे व्यक्तियों की संख्या बहुत कम होने की संभावना है।

    पहले 11 बार हो चुका है एसआइआर

    1952, 1957, 1961, 1965, 1966, 1983-84, 1987-89, 1992-94, 1995, 2002, 2003-2004

    मैपिंग में न आने वाले मतदाताओं को दिखाना होगा इनमें से कोई दस्तावेज

    • भारत सरकार द्वारा जारी पहचान पत्र
    • पेंशनर्स पेमेंट आर्डर
    • जन्म प्रमाण पत्र
    • शैक्षिक प्रमाण-पत्र
    • स्थायी निवास प्रमाण-पत्र
    • वनाधिकार प्रमाण-पत्र
    • जाति प्रमाण पत्र
    • नेशनल रजिस्टर आफ सिटीजन
    • परिवार रजिस्टर
    • भूमि या भवन प्रमाण-पत्र
    • आधार कार्ड

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