उत्तराखंड रजत जयंती: काशीपुर में हरित शहर का भविष्य, होगी ये खासियतें
काशीपुर में राज्य रजत जयंती पैकेज के अंतर्गत अगले 25 सालों के हरित शहर की परिकल्पना की जा रही है। राज्य सरकार ग्रीन टैक्स और स्मार्ट मोबिलिटी से हरित शहरों की नींव रख रही है। शहरी विकास विभाग ने एक रोडमैप तैयार किया है, जिसमें कचरा प्रबंधन, इलेक्ट्रिक बस सेवा और एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग शामिल हैं। वर्ष 2050 तक शहरी आबादी के लिए हरे क्षेत्र में वृद्धि का लक्ष्य है।

काशीपुर के आईने में दिखेंगे अगले 25 सालों के हरित शहर। प्रतीकात्मक
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून। राज्य स्थापना के 25 सालों में सिर्फ पुरानी उपलब्धियों को ही याद नहीं किया जाएगा, बल्कि आगामी 25 सालों के उत्तराखंड की बुनियाद भी तैयार जाएगी। चार नवंबर को काशीपुर में भविष्य के हरित शहरों की परिकल्पना को अमलीजामा पहनाया जाएगा, ऐसे शहर जो न केवल प्रदूषण मुक्त बल्कि ट्रैफिक जाम रहित, स्वच्छ व ऊर्जा आत्मनिर्भर होंगे। इसके लिए शहरी विकास विभाग ने रोड मैप तैयार किया है। इसे सम्मेलन में प्रस्तुत किया जाएगा।
शहरी विकास विभाग के अनुसार आने वाले समय में उत्तराखंड के शहरों को उनके मूर्त रूप में रखना सबसे बड़ी चुनौती होगा। इसके लिए स्रोत स्तर पर कचरा छंटाई, इलेक्ट्रिक बस सेवा, पैदल और साइकिल के प्रयोग को बढ़ावा देने के साथ ही एयर क्वालिटी मानीटरिंग नेटवर्क का प्रयोग करने को भी आगामी 25 सालों के मास्टर प्लान में शामिल किया गया है।
यह कार्यक्रम बेशक शहरी विकास विभाग की ओर से किया जा रहा है, लेकिन शहरों के प्राकृतिक स्वरूप को संरक्षित करने के लिए प्रत्येक विभाग ने तैयारी की है।
आवास विभाग जल्द शहरों के लिए ग्रीन बिल्डिंग कोड लागू करने की तैयारी कर रहा है, वहीं जंगल, नदी किनारे ग्रीन कारीडोर व पार्क तैयार किए जाएंगे। वर्ष 2050 तक शहरी आबादी के प्रति व्यक्ति हरे क्षेत्र में करीब 50 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य है। ऊर्जा विभाग सार्वजनिक भवनों को ऊर्जा दक्ष बनाने की तैयारी में है। इससे करीब 35 प्रतिशत बिजली स्थानीय सौर या बायो ऊर्जा स्रोतों से आएगी।
ग्रीन टैक्स से फंड
राज्य में प्रवेश करने वाले बाहरी वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने की नीति लागू हो चुकी है। इससे होने वाली आय को ग्रीन सिटी फंड में रखा जाएगा। यही फंड शहरों में ई-बस, वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट और हरित क्षेत्र विस्तार जैसी योजनाओं में खर्च किया जाएगा।
सबसे पहले प्रयोग देहरादून और ऋषिकेश में
शहरों को संरक्षित करने के सबसे पहले प्रयोग देहरादून और ऋषिकेश व हरिद्वार में किए जाएंगे। यहां इलेक्ट्रिक बस रूट, वेस्ट-सेग्रीगेशन 70 प्रतिशत तक बढ़ाने और रियलटाइम ट्रैफिक मानीटरिंग लागू करने का लक्ष्य है। देहरादून में अलगे पांच सालों में सार्वजनिक फ्लीट का 50 प्रतिशत हिस्सा ई-वाहनों से बदले जाने की योजना है।
ग्रीन सिटी की आगामी कार्ययोजना
-शहरों में ईको सेंसिटिव जोन व पहाड़ी ढलानों पर निर्माण पर प्रतिबंध।
-मल्टी-हब माडल, छोटे, नियंत्रित शहरी केंद्र विकसित करना।
-वेस्ट-टू-एनर्जी और वेस्ट-टू-कंपोस्ट परियोजनाएं।
-डिजिटल ट्रैफिक मानीटरिंग और एआइ आधारित रूट मैनेजमेंट।
-सौ प्रतिशत सीवेज कलेक्शन और ट्रीटमेंट।
-ट्रीटेड वाटर का लैंडस्केप और इंडस्ट्री में पुन: उपयोग।
आने वाले 25 सालों में कैसा शहरी विकास हो, इसकी कार्ययोजना काशीपुर में होने वाले सम्मेलन में प्रस्तुत की जाएगी। इसके लिए शासन के निर्देश पर तैयारियां चल रही हैं। प्रकृति के साथ तालमेल व हरित शहरों का विकास ही आने वाले समय के लिए प्राथमिकता है।
- विनोद गिरि गोस्वामी, निदेशक, शहरी विकास

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