Rajat Jayanti Uttarakhand: निनाद में विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति का दिखा संगम
उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के पांचवें दिन विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति का संगम हुआ। मालिनी अवस्थी ने अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। लद्दाख के जोब्रा नृत्य और तिब्बती छात्रों के गुडलक डांस ने सबका मन मोह लिया। एक नाटक के माध्यम से भ्रष्टाचार और पर्यावरण के मुद्दों पर प्रकाश डाला गया।

हिमालयन संस्कृतिक केंद्र गढ़ीकैंट कैंट में आयोजित निनाद कार्यक्रम में प्रस्तुति देते कलाकार. जागरण
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस समारोह के पांचवें दिन उत्तराखंड समेत विभिन्न राज्यों की लोक संस्कृति का संगम दिखा। सुबह से दोपहर तक उत्तराखंड, लद्दाख, तिब्बत, हिमाचल प्रदेश व मणिपुर के लोक कलाकारों ने रंगारंग प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध किया वहीं, रात को प्रसिद्ध गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने दादरा, ठुमरी, कजरी की प्रस्तुति से श्रोताओं को बांधे रखा। इस दौरान सभी ने कलाकारों की प्रस्तुति को सराहा।
संस्कृति विभाग के नींबूवाला स्थित हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, उत्तराखंड संस्कृति एवं साहित्य कला परिषद की उपाध्यक्ष मधु भट्ट, अपर सचिव संस्कृति प्रदीप जोशी, संस्कृति निदेशालय के उपनिदेशक आशीष कुमार ने शिरकत की।
कार्यक्रम की शुरुआत जागरी सांस्कृतिक कला मंच घाट चमोली के कलाकारों ने ढोल दमाऊ, मशकबीन और भंकोरे के साथ मंच पर पहुंचे। सधे हुए ढोल वादन के साथ जागर गायन और पांडवों के रूप में कलाकारों के अभिनय ने दर्शकों को रोमांचित किया।
इसके बाद दल ने पारंपरिक मुखौटा नृत्य प्रस्तुत किया। जिसकी लय ताल और गति ने कार्यक्रम में जान फूंक दी। दल के नायक हरीश लाल ने साथियों के साथ ढोल वादन में अपने हुनर का परिचय दिया।
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लद्दाख का जोब्रा नृत्य, तिब्बती छात्रों का गुड लक डांस रहा खास
देहादून: देश के सीमांत और उच्च हिमालयी क्षेत्र लद्दाख के पारंपरिक जोब्रा नृत्य समारोह का खास आकर्षण रहा। इसमें लद्दाखी जन जीवन के आधार याक को भी नृत्य करते दर्शाया गया, जिसने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
इसमें धीमी और तालबद्ध गतियों के साथ स्थानीय वाद्ययंत्र ढोल और सुरनाई की बजती धुन खास रही। तिब्बती होम फाउंडेशन राजपुर देहरादून के छात्रों ने गुड लक डांस की प्रस्तुति दी। जिसमें 14वें दलाई लामा की धार्मिक यात्रा का वर्णन किया। यह तिब्बत का पारंपरिक लोकनृत्य है, जिसे शुभकामना नृत्य या सौभाग्य नृत्य भी कहा जाता है।
तिब्बत होम फाउंडेशन के छात्र सौरभ ने इस नृत्य का परिचय देते हुए बताया कि इसमें नर्तक रंगीन पारंपरिक परिधान पहनकर ढोल, झांझ और तुरही जैसे वाद्ययंत्रों की ताल पर गोल घेरा बनाकर नाचते हैं।
इसके बाद मणिपुर की वरिष्ठ कलाकार धनारानी देवी के नेतृत्व में पहुंचे कलाकारों ने कृष्ण राधा का होली नृत्य प्रस्तुत किया। जिसे बसंत रासलीला कहा जाता है। इस नृत्य में श्रीकृष्ण और राधा के साथ गोपियों का पारंपरिक नृत्य को दिखाया गया।

नाटक से भ्रष्टाचार और पर्यावरण पर खतरों पर प्रहार
देहरादून: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के डा. एहसान बख्श के निर्देशन में नाटक का मंचन किया। यह नाटक पांच दिवसीय कार्यशाला में डा. बख्श के प्रशिक्षित कलाकारों ने अभिनय किया। नाटक की कहानी पहाड़ के कुमाऊं अंचल के गांव की बताई गई जिसमें गांव के प्रधान के यहां सींग वाला बच्चा पैदा होता है।
निराश होकर प्रधान नौकर से उसे मार डालने के लिए कहता है। नाटक का कथानक कुछ इस तरह बुना गया है कि सींग वाला वह बच्चा बड़ा होकर और पढ़लिख कर गांव लौट आता है। जिसे प्रधान मारने पर उतारू हो जाता है। नाटक में भ्रष्टाचार और पर्यावरण पर खतरों पर प्रहार किया गया है। कलाकारों के सधे हुए अभिनय को दर्शकों ने जमकर सराहा।
फोटो गैलरी में दिखा हिमालय दर्शन
देहरादून: समारोह में उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की ओर से उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक परिदृश्य विषय को दर्खाती फोटो प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें उत्तराखंड हिमालय के खूबसूरत दृश्यों, मंदिरों, जन जीवन, वन्य जीवन, मेलों, उत्सवों और त्योहार की तस्वीरों से यह फोटो गैलरी सजी है। जिसमें अनूप शाह, उमेश गोंगा, राहुल गुहा, सतीश एच, दीप रजवार जैसे जाने माने फोटोग्राफरों समेत कई अन्य फोटोग्राफर्स के उत्कृष्ट फोटो शामिल हैं।

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