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    40 साल बाद जौनसार के मंडोली गांव में मना पांडव-नृत्य

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 13 Jul 2021 03:50 AM (IST)

    संवाद सूत्र साहिया करीब चार दशक के लंबे इंतजार के बाद जौनसार के मंडोली गांव में पांडव ...और पढ़ें

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    40 साल बाद जौनसार के मंडोली गांव में मना पांडव-नृत्य

    संवाद सूत्र, साहिया: करीब चार दशक के लंबे इंतजार के बाद जौनसार के मंडोली गांव में पांडव नृत्य का आयोजन परंपरागत तरीके से किया गया। इस दौरान ग्रामीणों ने पीढि़यों से चली आ रही देव परंपरा का निर्वहन करते हुए पंचायती आंगन में नौ दिन तक पांडव नृत्य के समय गाजे-बाजे के साथ देवता की पूजा-अर्चना कर हरिपुर के यमुना तट पर शाही स्नान किया। इस दौरान देव मालियों ने पांडव गाथा का वर्णन कर क्षेत्रवासियों के खुशहाली की कामना की। कालसी प्रखंड से जुड़े मंडोली गांव में पिछले नौ दिनों से चल रहा परंपरागत पांडव नृत्य वैदिक मंत्रोचार के साथ सोमवार को विधि विधान से संपन्न हो गया। स्थानीय ग्रामीणों की माने तो गांव में चालीस बरस बाद पांडव नृत्य का आयोजन किया गया। जिसका शुभांरभ सात पंडितों ने वैदिक मंत्रोचार के साथ किया। इस दौरान गांव में करीब चालीस परिवारों ने देवता की पूजा-अर्चना की महासू देवता से अपने घर-परिवार और क्षेत्रवासियों के खुशहाली की कामना की। मंडोली के पंचायती आंगन में नौ दिन से लगातार चल रहे पांडव नृत्य के दौरान देवता की परंपरागत पूजा-पाठ व्यवस्था से जुड़े स्थानीय कारसेवकों और देव मालियों ने गाजे-बाजे के साथ परपंरागत अंदाज में पांडव नृत्य की प्रस्तुति से महासू देवता की आराधना की। देव परंपरा के अनुसार ग्रामीणों ने पांडव और कौरवों के बीच भूमि का बंटवारा किया। खुद को पांडव के वंशज मानने वाले स्थानीय ग्रामीणों ने ढोल-बाजे के साथ बीते रविवार को पांडव नृत्य के दौरान आठवें दिन हरिपुर के यमुना तट पर शाही स्नान किया। इसके बाद मंडोली लौटे ग्रामीणों ने पांडव नृत्य की अंतिम प्रस्तुति के दौरान देवता की स्तुति की। देव मालियों ने अर्जुन, भीम, युधिष्ठर, नकुल, सहदेव और द्रोपदी की पांडव गाथा का वर्णन कर अपनी प्रस्तुति दी। पांडव नृत्य के समय कई ग्रामीणों में देवता के भाव प्रकट हो गए। इससे समूचा वातावरण भक्तिमय हो गया। पांडव नृत्य संपन्न होने से सभी श्रद्धालुओं ने देवता से मनौती मांगी और प्रसाद ग्रहण कर धर्म लाभ कमाया। बताया जा रहा है मंडोली गांव में चार दशक में एक बार इलाके की खुशहाली को स्थानीय लोग पांडव नृत्य करते हैं। इस मौके पर आचार्य प्रवेश शर्मा, मोहित शर्मा, मुकेश शर्मा, नारायण सिंह चौहान, अतर सिंह चौहान, मोहन सिंह, श्याम सिंह चौहान, चमनलाल भट्ट, तुलसीराम, सियाराम शर्मा, सुरेंद्र चौहान, प्रताप सिंह, अनवीर सिंह, बलवीर सिंह, सूरत सिंह आदि मौजूद रहे।

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