नहाय-खाय के साथ 25 अक्टूबर से छठ महापर्व का आगाज, हरिद्वार में जोरों पर तैयारियां
हरिद्वार में छठ महापर्व की तैयारियां जोरों पर हैं। 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ पर्व का आरम्भ होगा। पूर्वांचल जन जागृति संस्था द्वारा चार दिवसीय आयोजन किया जा रहा है। व्रती महिलाएं गंगा स्नान कर विशेष भोजन ग्रहण करेंगी। खरना पर खीर-पूड़ी का प्रसाद बनेगा। श्रद्धालु अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देंगे। यह पर्व सौभाग्य, आरोग्य और खुशहाली की कामना के साथ मनाया जाता है।

शहर से लेकर देहात तक छठ महापर्व की तैयारियां शुरू. File
जागरण संवाददाता, हरिद्वार। शहर से लेकर देहात तक छठ महापर्व की तैयारियां शुरू हो गयी है। 25 अक्टूबर शनिवार को नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का आगाज होगा। इससे पूर्व 24 अक्टूबर को भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी।
पूर्वांचल जन जागृति संस्था की ओर से चार दिवसीय छठ पर्व की तैयारियां शुरू कर दी गयी है। संस्थापक अध्यक्ष ब्रह्माशंकर चौबे और अध्यक्ष मनोज कुमार शुक्ल ने बताया कि 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा का आगाज होगा। पहले दिन छठ व्रती महिलाएं गंगा स्नान कर लौकी और चने दाल की सब्जी और भात ग्रहण करेंगी। इसे नहाय-खाय भी कहा जाता है।
26 अक्टूबर को खरना पर पूरे दिन व्रती महिलाएं निराहार व्रत रखकर सायं काल मिट्टी के चूल्हे पर खीर, पूड़ी का प्रसाद बनाकर पूजनोपरांत प्रसाद वितरित कर ग्रहण करेंगी। 27 अक्टूबर तृतीय दिवस संस्था के परिवारीजन पूर्वांचलवाली व्रती महिलाएं गंगा घाटों पर नाना प्रकार के पकवान और मौसमी फलों के साथ अस्तांचलगामी सूर्य नारायण को अर्घ्य प्रदान करेंगी। संस्था का केंद्र हरकी पैड़ी मालवीय द्वीप पर सहयोग के लिए उपलब्ध रहेगा। 28 अक्टूबर चतुर्थ दिवस पर व्रती श्रद्धालु भगवान उदीयमान सूर्य को गाय के दूध से अर्घ्र्य प्रदान कर व्रत का उद्यापन और प्रसाद वितरण करेंगे।
सूर्यापासना का पर्व है छठ
हरिद्वार: छठ सूर्योपासना का पर्व है। सारे ब्रह्मांड का चराचर जीव भगवान सूर्य से ऊर्जा पाते हैं। पृथ्वी पर जीवन भगवान भास्कर के कारण ही संभव है। पूर्वांचल ही नहीं अब दूसरे प्रदेशों में भी जहां पूर्वांचल के लोग बसे हैं वहां पूरे भक्ति भाव से छठ त्योहार मनाते हैं। सौभाग्य, आरोग्य, शांति, खुशहाली, पुत्र प्राप्ति की कामना के साथ छठ व्रती चार दिनों तक उपासना में लीन रहते हैं। धर्मनगरी में हरकी पैड़ी समेत विभिन्न गंगा घाटों पर छठ की छटा देखते ही बनती है।
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