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    हरिद्वार में संतों के बीच घमासान, अर्धकुंभ और कुंभ को लेकर चल रहे शब्‍दों के बाण

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 07:35 PM (IST)

    हरिद्वार में अर्धकुंभ को कुंभ कहने और अखाड़ा परिषद को लेकर संतों में विवाद जारी है। महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज के बयान पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने आपत्ति जताई। उदासीन अखाड़ा ने स्वामी रूपेंद्र प्रकाश का समर्थन किया और कहा कि कुंभ के बाद अखाड़ा परिषद भंग हो जाती है। उन्होंने अर्धकुंभ को कुंभ कहने का विरोध किया।

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    अर्धकुंभ को कुंभ कहने और अखाड़ा परिषद को लेकर संतों में बयानबाजी। आर्काइव

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार । अर्धकुंभ को कुंभ कहने और अखाड़ा परिषद को लेकर लगातार संतों में बयानबाजी का दौर चल रहा है। महामण्डलेश्वर स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज की ओर से अखाड़ा परिषद का वर्तमान में कोई अस्तित्व न होने संबंधी बयान दिया गया। जिस पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व निरंजनी अखाड़े सचिव श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज के उन्हें बयानबाजी न करने की नसीहत दी तथा बयान देने के लिए संत परंपरा के रूप से अयोग्य बताया।इस पर स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश महाराज के समर्थन में उनके अखाड़े के पदाधिकारियों ने बयान जारी किए हैं।

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    श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत राघवेन्द्र दास महाराज ने स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि यह परम्परा रही है कि कुंभ पर्व की समाप्ति के बाद अखाड़ा परिषद स्वंय भंग हो जाती है। इस कारण से वर्तमान में अखाड़ा परिषद का कोई अस्तित्व नहीं है। जिस प्रकार से अर्ध कुंभ को कुंभ कहकर प्रचारित किया जा रहा है, परम्परा के मुताबिक वह भी गलत है।जिस समय अर्ध कुंभ की बात कही जा रही है, उस समय अखाड़े के समस्त पदाधिकारी नासिक कुंभ की तैयारियों में रहेंगे।

    हरिद्वार में न तो कोई पंच परमेश्वर होगा और न ही कोई साजो सामान। इतना ही नहीं अर्ध कुंभ में अखाड़ों में धर्मध्वजा भी नहीं स्थापित होगी, जबकि अखाड़ों के कुंभ आदि पर्व के समस्त कार्य धर्मध्वजा के नीचे ही होते हैं। किन्तु जिस प्रकार सरकार की तैयारी होगी, उसके मुताबिक अखाड़ा निर्णय लेगा, किन्तु अर्धकुंभ को कुंभ कहना गलत है।बड़ा अखाड़ा उदासीन के मुकामी महंत सुर्यांश मुनि महाराज ने कहा कि स्वामी रूपेन्द्र प्रकाश को अखाड़े ने महामण्डलेश्वर बनाया है। वह अखाड़े जिम्मेदार पद पर हैं, उन्हें बयान देने का पूर्ण अधिकार है। जब व्यक्ति किसी जिम्मेदार पद पर होता है, तो समाज में जो गलत हो रहा है, उसके खिलाफ बोलना उसका धर्म बनता है।

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