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    हरिद्वार का यक्ष प्रश्न, लाश सड़ रही या व्यवस्था; खुले में रखे मिले 11 शव

    Updated: Thu, 19 Jun 2025 10:33 AM (IST)

    हरिद्वार जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही उजागर हुई है। मोर्चरी में शवों को सुरक्षित रखने वाले सभी सात डीप फ्रीजर खराब हैं जिससे 11 शव खुले में रखने को मजबूर हैं। शवों से दुर्गंध फैल रही है जिससे मरीज तीमारदार और डॉक्टर परेशान हैं। अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से शव सड़ रहे हैं और मेडिकल कॉलेज में मोर्चरी का काम अधूरा है।

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    जिला अस्पताल की मोर्चरी में डीप फ्रीजर खराब होने से शवों से उठने लगी है दुर्गंध l जागरण

     जागरण संवाददाता, हरिद्वार। बड़े जिलों में शुमार हरिद्वार में स्वास्थ्य विभाग की बेहतर व्यवस्थाओं के दावों का सच देखेंगे तो आंखें फटी रह जाएंगी। दावे ऐसे कि कोई भी सच मान लें लेकिन हकीकत लापरवाही के दर्शन करा रही है। जिला अस्पताल की मोर्चरी में शवों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था ने दम तोड़ दिया है।

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    यहां 19 शवों की क्षमता वाले सभी सात डीप फ्रीजर खराब हो गए हैं। 11 शव खुले में रखे गए हैं। इन शवों से दुर्गंध उठने लगी है। न सिर्फ मरीज, तीमारदार बल्कि डाक्टर और कर्मचारी भी परेशान हैं। सवाल व्यवस्था का है और जिम्मेदारी व जवाबदेही का भी। अस्पताल में शवों को सड़ने देने के लिए कौन जिम्मेदार है, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

    हरिद्वार के जिला अस्पताल में बेहतर सुविधाओं और व्यवस्थाओं के खूब दावे किए जाते रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि हरिद्वार गढ़वाल का प्रवेश द्वार है और यूपी की सीमा से लगा हुआ है। शहर की आबादी भी अन्य शहरों की अपेक्षा अधिक है। घटनाएं और दुर्घटनाएं भी अधिक होती हैं। लेकिन यहां के जिला अस्पताल में न तो मोर्चरी की स्थिति ठीक है न ही शवों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था है।

    टिन शेड के नीचे मोर्चरी चलाई जा रही है। खराब पड़े सभी सात फ्रीजर लापरवाही और अनदेखी के साथ ही व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। पूरे परिसर में फैली दुर्गंध ने जिला प्रशासन से लेकर अस्पताल प्रशासन तक के इंतजामों की पोल खोल कर रख दी है। इस गर्मी में भी शवों को सुरक्षित न रखे जाने की बेफिक्री दर्शाती है कि कहीं न कहीं लोचा है।

    मेडिकल कालेज में नहीं बनी मोर्चरी

    जिला प्रशासन की ओर से जिला अस्पताल को निष्प्रयोज्य घोषित करने बाद पोस्टमार्टम के लिए शवों को मेडिकल कालेज जगजीतपुर की मोर्चरी में रखने की तैयारी की जा रही है, लेकिन मोर्चरी का काम पूरा नहीं हुआ है।

    इसलिए जरूरी है डीप फ्रीजर

    जिला अस्पताल में प्रतिदिन तीन से चार शव पोस्टमार्टम के लिए आते हैं। इनमें से अधिकांश केस डूबने और दुर्घटना के होते हैं। कई शवों की शिनाख्त नहीं हो पाती है, जिस कारण इनको यहां डीप फ्रीजर में रखना पड़ता है।

    डीप फ्रीजर को ठीक किया जा रहा है। जिला प्रशासन की ओर से मेडिकल कालेज में मोर्चरी और पोस्टमार्टम करने का निर्णय लिया है, लेकिन अभी तक योजना तैयार नहीं है। -डा. विजयेश भारद्वाज, प्रमुख अधीक्षक, जिला अस्पताल

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