लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार बोले, पाकिस्तान ने दुस्साहस किया तो आपरेशन सिंदूर से प्रचंड होगा जवाब
भारतीय सेना ने गंगा तट पर पाकिस्तान सीमा को ध्यान में रखते हुए युद्धाभ्यास किया। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने कहा कि दुस्साहस करने पर दुश्मन को 'आपरेशन सिंदूर' से भी कठोर जवाब मिलेगा। 'रैम प्रहार' अभ्यास में आधुनिक तकनीक और युद्धक क्षमता का प्रदर्शन किया गया। सेना ने नदी पार करने और दुश्मन की तकनीक को निष्प्रभावी करने का अभ्यास किया। एआइ और स्वदेशी उपकरणों का उपयोग सेना की ताकत को बढ़ाता है।

हरिद्वार गंगा किनारे रैम प्रहार युद्ध अभ्यास करते सेना के जवान। वहीं, पत्रकारों से बातचीत करते सेना के पश्चिमी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : पाकिस्तान की सीमा पार संभावित ‘आफेंसिव आपरेशनों’ को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना ने गंगा तट पर अभ्यास किया। पश्चिमी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने कहा कि यदि दुश्मन ने दुस्साहस किया तो जवाब आपरेशन सिंदूर से भी अधिक प्रचंड होगा। भविष्य का युद्ध मल्टी-डोमेन होगा, तकनीक से संचालित होगा, पर निर्णायक विजय हमेशा भूमि पर ही लिखी जाएगी।
हरिद्वार के झिलमिल झील क्षेत्र स्थित गंगा किनारे पश्चिमी कमान की ओर से एक माह से संचालित युद्धाभ्यास ‘रैम प्रहार’ शनिवार को संपन्न हुआ।
वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में किए गए इस अभ्यास का निरीक्षण स्वयं पश्चिमी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने किया। उन्होंने अभ्यास की प्रभावशीलता, युद्धक क्षमता तथा उभरते तकनीकी युद्ध परिदृश्यों में सेना की तैयारी का मूल्यांकन भी किया।
झिलमिल झील दुधाल दयालवाला के गंगा किनारे युद्ध अभ्यास क्षेत्र में पत्रकारों से बातचीत में ले. जनरल कटियार ने कहा कि रैम डिवीजन का एक महीने से चल रहा प्रशिक्षण पाकिस्तान मोर्चे पर संभावित आपरेशन को ध्यान में रखकर किया गया है।
पश्चिमी क्षेत्र में चिनाब, रावी और सतलुज जैसी अनेक नदियां सीमा के समानांतर बहती हैं, इसलिए नदी पार कर आक्रामक कार्रवाई करना भारतीय सेना की प्रमुख क्षमता है। इसी कारण गंगा तट पर इस भू-परक अभ्यास को अंजाम दिया गया, ताकि वास्तविक परिस्थितियों से साम्यता कायम रखी जा सके।
ले. जनरल कटियार ने बताया कि आधुनिक युद्ध अत्यंत जटिल हो चुका है और इसमें टैंक, बीएमपी, अटैक हेलीकाप्टर, एयरक्राफ्ट, ड्रोन, सर्विलांस प्लेटफार्म और एआइ-संचालित सिस्टम प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
दुश्मन के पास भी समान आधुनिक तकनीक है, इसलिए हमारी ट्रेनिंग इस मानकर होती है कि हमें रात में भी ड्रोन निगरानी के बीच आपरेशन करना है और दुश्मन की तकनीक को निष्प्रभावी बनाना है।
उन्होंने कहा कि एआई अब सभी सैन्य सिस्टमों में सर्विलांस, डिसीजन मेकिंग, इंटेलिजेंस प्रोसेसिंग का अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। यह फोर्स मल्टीप्लायर की तरह हमारी क्षमता को कई गुना बढ़ाता है।
साथ ही, अधिकांश उपकरण स्वदेशी हैं, जिससे युद्ध क्षमता में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित हुई है। महिला सैन्य अधिकारियों की बढ़ती भूमिका का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की सहभागिता तेजी से बढ़ रही है और निकट भविष्य में यह और मजबूत होगी।
ले. जनरल कटियार ने कहा कि यदि दुश्मन हमारी क्षमता देखकर पीछे हटे तो यह सर्वोत्तम है, पर यदि वह कुछ करने की भूल करता है, तो जवाब पहले से कहीं अधिक कठोर होगा।
बहु-डोमेन रहा युद्धाभ्यास
हरिद्वार : भारतीय सेना की पश्चिमी कमान के खड़ग कोर के अधीन रैम डिविजन द्वारा हरिद्वार गंगा किनारे बहु-डोमेन युद्धाभ्यास ‘रैम प्रहार’ में वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में आयोजित की गई। जिसमें युद्धक टुकड़ियों, विशेष बलों, मैकेनाइज्ड यूनिट्स, आर्टिलरी, इंजीनियरिंग, आर्मी एविएशन और सिग्नल कोर की संयुक्त भागीदारी रही।
जिसमें त्वरित तैनाती, रात्रिकालीन संचालन, बहु-स्तरीय कमांड-कंट्रोल, लाजिस्टिक समर्थन क्षमता तथा आधुनिक तकनीक-आधारित निर्णय-प्रक्रिया का परीक्षण किया गया। इसमें ड्रोन-आधारित निगरानी, नाइट-विजन, उपग्रह संचार, एआइ रिपोर्ट, नेटवर्क कमांड सिस्टम और हथियार प्लेटफार्म का व्यापक उपयोग किया गया। इसके अलावा रिवर-क्रासिंग, घेराबंदी, एयर-लैंड इंटीग्रेशन और लक्ष्य पर सटीक प्रहार का अभ्यास किया गया।

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