गंगा का किनारा बना रणभूमि, भारतीय थल सेना ने युद्धाभ्यास 'रैम प्रहार' से परखी हर तरह की रणनीतिक क्षमता
भारतीय सेना की पश्चिमी कमान ने हरिद्वार में गंगा किनारे युद्धाभ्यास “रैम प्रहार” किया। इसका उद्देश्य सेना की रणनीतिक तैयारी और तकनीकी दक्षता को बढ़ाना था। अभ्यास में विभिन्न सैन्य टुकड़ियों ने भाग लिया और आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया। रात्रिकालीन संचालन और पर्वतीय मार्गों पर तैनाती का भी अभ्यास किया गया। लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने अभ्यास का मूल्यांकन किया।

भारतीय सेना की पश्चिमी कमान की ओर से हरिद्वार के गंगा किनारे किया गया युद्धाभ्यास “रैम प्रहार”।
जागरण संवाददाता हरिद्वार : भारतीय सेना की पश्चिमी कमान की ओर से हरिद्वार के गंगा किनारे वाले वास्तविक युद्ध जैसी परिस्थितियों में उच्च पर्वतीय युद्धाभ्यास “रैम प्रहार” किया गया।
इस दौरान भारतीय सेना की रणनीतिक तैयारी, तकनीकी दक्षता और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में समन्वित संचालन क्षमता को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है।

इस बहुआयामी अभ्यास में पर्वतीय युद्धक टुकड़ियों, विशेष बलों, मैकेनाइज्ड तत्वों, आर्टिलरी, इंजीनियरिंग डिटैचमेंट, एविएशन संसाधनों तथा संचार इकाइयों की सक्रिय भागीदारी शामिल है।
रैम प्रहार का उद्देश्य वास्तविक युद्ध-परिदृश्यों में त्वरित प्रतिक्रिया, अंतर-सेना समन्वय, लाजिस्टिक समर्थन तथा अत्याधुनिक तकनीकों के समेकित उपयोग का परीक्षण करना है।
इस अभ्यास में इसके अंतर्गत रात्रिकालीन संचालन, पर्वतीय मार्गों पर त्वरित तैनाती, रसद आपूर्ति, दुश्मन की काल्पनिक पोजीशन पर सटीक प्रहार, वास्तविक युद्ध जैसे परिदृश्यों में सैनिकों की मनोबल-क्षमता एवं सामरिक निर्णय-क्षमता का परीक्षण किया गया।

रैम प्रहार के दौरान ड्रोन-आधारित निगरानी प्रणाली, नाइट-विजन क्षमताएं, उपग्रह-आधारित संचार, उन्नत हथियार प्रणालियां तथा एआइ-सक्षम सामरिक विश्लेषण साधनों का भी उपयोग किया जा रहा है।
इन आधुनिक संसाधनों का उद्देश्य कम समय में सटीक जानकारी उपलब्ध कराना, दुर्गम इलाकों में लक्ष्य-सटीकता बढ़ाना तथा कमांडरों को वास्तविक समय में प्रभावी निर्णय लेने में सहायता प्रदान करना है। अभ्यास में विभिन्न शाखाओं पैदल सेना, आर्टिलरी, आर्मी एविएशन, इंजीनियर्स और सिग्नल कोर के बीच संयुक्त संचालन का व्यापक परीक्षण किया गया है।

पश्चिमी कमान इस अभ्यास के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रही है कि सभी शाखाओं के बीच संचार और सामरिक तालमेल किसी भी संभावित संघर्ष की स्थिति में निर्बाध रूप से कार्य करें। इसके तहत बहु स्तरीय कमांड और नियंत्रण प्रणालियों की प्रभावशीलता, त्वरित सूचना प्रवाह तथा आपात स्थिति में समयबद्ध कार्रवाई की क्षमता को भी परखा गया।

इसके अलावा संयुक्त एयर-लैंड आपरेशन, पर्वतीय घेराबंदी रणनीति, बहु-स्तरीय रिस्पांस ड्रिल और महत्वपूर्ण संसाधनों की रक्षा का भी प्रशिक्षण लिया। अभ्यास के समापन पर पश्चिमी कमांड के जीओसी इन-सी लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने मूल्यांकन किया।
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