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    योग गुरु बाबा रामदेव के पतंजलि का दावा, बनाई ऐसी दवा; जिससे बुढ़ापा होगा धीमा

    Updated: Wed, 20 Aug 2025 03:09 PM (IST)

    पतंजलि के शोधकर्ताओं ने अष्टवर्ग जड़ी-बूटियों से बनी इम्यूनोग्रिट नामक औषधि पर शोध किया है। इस शोध में पाया गया है कि यह औषधि असमय आने वाले बुढ़ापे को धीमा करने में मददगार है। आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि तनाव और गलत जीवनशैली के कारण लोग जल्दी बूढ़े हो रहे हैं और इम्यूनोग्रिट इस समस्या का आयुर्वेदिक समाधान है। यह औषधि त्वचा की कोशिकाओं को सुरक्षित रखती है।

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    सेंट्रल डेस्क--असमय आने वाले बुढ़ापे को धीमा करने का दावा

    जागरण संवाददाता, हरिद्वार। पतंजलि के शोधकर्ता विज्ञानियों ने अष्टवर्ग एवं अन्य प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से निर्मित औषधि इम्यूनोग्रिट पर किए गए शोध द्वारा सिद्ध किया कि इस औषधि के जरिये असमय आने वाले बुढ़ापे को प्रभावी रूप से धीमा किया जा सकता है। यह शोध अंतरराष्ट्रीय रिसर्च जर्नल आर्काइव्स आफ जेरोन्टोलाजी एंड जेरिएट्रिक्स में प्रकाशित हुआ है।

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    आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि तनाव, चिंता, प्रदूषण और गलत जीवनशैली हमें असमय बुढ़ापे की ओर ले जा रही है। आजकल 35-40 वर्ष की आयु में चेहरे पर झुर्रियां, माथे पर लकीरें होना आम बात हो गई है। एलोपैथिक चिकित्सा और महंगे-महंगे इंजेक्शन के जरिये लोग इस समस्या का अस्थायी समाधान खोजने में लगे हैं। परंतु इस समस्या का हल भी हमारे पौराणिक ग्रंथों में ही निहित है। हमने अष्टवर्ग जड़ी-बूटियों को वर्तमान युग के अनुरूप, वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ इम्यूनोग्रिट के रूप में प्रस्तुत किया है।

    आयुर्वेद के अनुसार अष्टवर्ग जड़ी-बूटियां बलवर्धक, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली एवं आयु को बढ़ने से रोकने वाली विशेषताओं से निहित हैं। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आयुर्वेद की शक्ति को आज पूरा विश्व स्वीकार कर रहा है। यह हमारी परंपरा और हमारे ऋषि-मुनियों का ज्ञान है।

    अब वह समय दूर नहीं जब भारत ही नहीं, पूरा विश्व आयुर्वेद को अपनी चिकित्सा पद्धति के रूप में मान्यता देगा। इम्यूनोग्रिट औषधि विदारीकंद, मेदा, शतावरी, ककोली, क्षीरककोली, रिद्धि, वाराहीकंद, बला, सफेद मूसली, शुद्ध कौंच, अश्वगंधा से बनी है, जिन्हें हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथों में बुढ़ापे को मंद करने वाला माना गया है।

    इम्यूनोग्रिट प्रमाणिक आयुर्वेदिक समाधान

    हरिद्वार : पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख विज्ञानी डा. अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि यह शोध उन लोगों के लिए एक आशा की किरण है जो बढ़ती आयु और उस कारण त्वचा पर असमय होने वाली झुर्रियों से चिंतित हैं। इम्यूनोग्रिट मात्र एक हर्बल सप्लीमेंट नहीं, अपितु एक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित आयुर्वेदिक समाधान है, जो आने वाले वर्षों में एंटी-एजिंग उपचार की दिशा में बड़ी भूमिका निभाएगा।

    हमारा यह प्रयास पुष्टि करता है कि जब परंपरा और विज्ञान साथ आते हैं, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। इस अध्ययन में पाया गया कि इम्यूनोग्रिट बुढ़ापे के कारण त्वचा की कोशिकाओं में होने वाले बदलावों को नियंत्रित करने में कारगर है। साथ ही, इम्यूनोग्रिट ने डी-गैलेक्टोज के कारण त्वचा कोशिकाओं में उत्पन्न सेल्यूलर सेनेसेंस और आक्सीडेटिव स्ट्रेस के प्रभाव को कम किया।

    इम्यूनोग्रिट ने बुढ़ापे की पहचान माने जाने वाले p16, p21, p53 और बीटा गैलेक्टोसिडेज बायोमार्कर को भी संतुलित किया, जिससे त्वचा में लचीलापन बना रहा। इम्यूनोग्रिट ने त्वचा में विद्यमान कोलेजन को टूटने से बचाया और उम्र बढ़ने से जुड़े एमएमपी1 और एमएमपी9 एंजाइम के स्तर को नियंत्रित किया।