सुनील ने स्टिंग से उड़ाई हुई थी भ्रष्टाचारियों-अपराधियों की नींद, कई सरकारी कर्मचारियों पर गिर चुकी थी गाज
सुनील कुमार जिसने देहरादून में आत्महत्या की स्टिंग ऑपरेशन का मास्टर था। उसने राइज यूअर वायस अगेंस्ट क्रप्शन नामक एक ग्रुप भी चलाया। भ्रष्टाचार सेक्स रैकेट और नशा तस्करों के खिलाफ कई स्टिंग किए जिससे कई सरकारी कर्मचारी कार्रवाई की चपेट में आए। उसने एसपी को धमकी दी और हरिद्वार में एक दारोगा को गोली मार दी। हरियाणा पुलिस के अनुसार वह जुनूनी था और रिश्वतखोरों के स्टिंग करता था।

मेहताब आलम, हरिद्वार। मुठभेड़ में दारोगा को गोली मारने के बाद देहरादून में खुदकुशी करने वाले सुनील कुमार उर्फ सुनील कपूर स्टिंग अपरेशन का मास्टर था। वह राइज यूअर वायस अगेंस्ट क्रप्शन यानि भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें नाम से सोशल ग्रुप भी संचालित करता था।
उसने भ्रष्टाचार, सेक्स रैकेट, नशा तस्करों, दवा कारोबारियों के अनगिनत स्टिंग किए हुए थे। जिनमें कई सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई भी हो चुकी थी। जबकि कुछ स्टिंग पर जांच चल रही थी।
यही वजह थी कि वह सरकारी अधिकारियों, भ्रष्टाचारियों और अपराधियों की आंख की किरकिरी बना हुआ था, लेकिन सुनील ने पहली गलती एसपी को धमकी देकर की। दूसरी गलती हरिद्वार में दारोगा को गोली मारकर की।
हरिद्वार में मुठभेड़ के वीडियो में साफ दिख रहा है कि सुनील ने रोडवेज बस अड्डे से बाहर भागने के लिए पूरी ताकत से दौड़ लगाई। जल्दबाजी में लड़खड़ाकर वह गिर पड़ा। दोबारा भागने पर दारोगा सुरेंद्र कुमार ने उसे पीछे से पकड़ने का प्रयास किया तो दोनों गिर पड़े।
तब सुनील ने दारोगा को मौका नहीं दिया और पिस्टल निकालकर तीन गोलियां दाग दी। वीडियो में सुनील बेखौफ होकर सड़क पर गिरे दारोगा सुरेंद्र पर गोली चलाता नजर आ रहा है। रविवार को उसने देहरादून में खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली।
हरियाणा पुलिस से मिली जानकारी में सामने आया है कि सुनील जुनूनी और सिरफिरा था। वह भ्रष्टाचार, सेक्स रेकेट, नशा तस्करों के साथ ही कई पुलिस अधिकारियों के रिश्वत लेते स्टिंग कर चुका था। इंटरनेट मीडिया पर बने उसके ग्रुप में कई आरटीआइ कार्यकर्ता, समाजसेवी जुड़े हुए थे।
सुनील के 15 से ज्यादा स्टिंग वीडियो अभी भी फेसबुक पर मौजूद है, जिनमें पुलिसकर्मी रिश्वत लेते, मेडिकल स्टोर संचालक अनाधिकृत रूप से दवाइयां बेचते नजर आ रहे हैं। कुछ दिन पहले सुनील ने यातायात नियम तोड़ने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक अभियान छेड़ा, जिसमें बिना हेलमेट और दुपहिया वाहन पर तीन सवारियां बैठाकर चलने वाले पुलिसकर्मियों को अपने कैमरे में कैद किया।
इनकी तस्वीरों को फेसबुक पर डालने के साथ ही पुलिस अधिकारियों को भेजा, जिसका नतीजा यह हुआ कि वाहन नंबर के आधार पर पुलिसकर्मियों की पहचान करते हुए उन पर कार्रवाई की गई थी। अपने ऐसे कारनामों के चलते जींद में वह पुलिस ही नहीं, अन्य विभागों और आमजन की सुर्खियों में रहता था।
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